मनोज नौडियाल, कोटद्वार
बीते दिनों अपने राजनीतिक शिष्य और भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत के नामांकन कार्यक्रम से गैरहाजिर रहकर भुवन चंद्र खंडूरी इस बात के संकेत दे ही दिए हैं उनका आशीर्वाद किसके साथ है !
हालांकि भुवनचंद खंडूड़ी ने गैरहाजिर रहने के पीछे स्वास्थ्य कारण बताया लेकिन होली के मौके पर पुत्र के माथे पर तिलक लगाने वाली उनकी कई फोटो खूब वायरल हुई। यह एक साफ और अभूतपूर्व संदेश था।
उपरोक्त दोनों उदाहरण कम नही हैं, जबकि शिष्य तीरथ के पास सिर्फ बात रह गई, वह भी एकतरफा और खोखली।
गढ़वाल लोकसभा का चुनाव अब धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है। भाजपा के उम्मीदवार तीरथ सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद भुवन चंद खंडूरी के राजनीतिक शिष्य कहलाए जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार मनीष खंडूरी उनके अपने पुत्र हैं।
कांग्रेस ने मनीष खंडूरी को टिकट देकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर दिया है। तो वहीं भाजपा की सबसे बड़ी मुश्किल कर्नल कोठियाल जो कि निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कहकर भाजपा का दम फुला रहे थे उन्हें भाजपा के दिल्ली दरबार में बैठे राजनेताओं ने मैनेज कर दिया है। और कोठियाल ने प्रेस वार्ता कर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है,जिससे तीरथ सिंह रावत की राह थोड़ी आसान हो चली है। परंतु कांग्रेस की उम्मीदवार मनीष खंडूरी पूरे जोर-शोर के साथ अपने पिता के शिष्य तीरथ सिंह रावत को टक्कर देने के मूड में हैं।
कोटदार पहुंचे मनीष ने कहा कि उनके पिता खंडूरी बेहद ईमानदार व्यक्ति हैं और उनका आशीर्वाद मेरे साथ है और पिता का आशीर्वाद किसी पुत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।
अगर बात भाजपा की करें तो भाजपा के उम्मीदवार और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत मजबूत संगठन और राजनीतिक गुरु के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
भाजपा ने भुवन चन्द्र खंडूरी को मनीष के खिलाफ स्टार प्रचारक बनाया है। यह लड़ाई बेहद दिलचस्प हो चली है। अगर राजनीतिक पंडितों की मानें तो उनका कहना है कि उत्तराखंड की राजनीति के योद्धा भुवन चंद्र खंडूरी अब इस लड़ाई के दोराहे पर खड़े हैं। उनका आशीर्वाद जिसको भी प्राप्त होगा, वह इस लड़ाई में पार हो जाएगा। अब देखना यह है कि उनका आशीर्वाद किस पर फलित होता है !