मुजीब नैथानी, आशीष किमोठी
कोटद्वार सवा साल पहले 13 सितंबर 2017 को एडवोकेट सुशील कुमार रघुवंशी की दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी। इसको लेकर तब से आज तक कोटद्वार सुलग रहा है। धरना प्रदर्शन जारी है। हत्यारों का सबको पता है। हत्या करने वाले भी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन आज तक भी हत्यारों की और हत्या करवाने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। कारण सिर्फ यही है कि पुलिस अपराधियों को संरक्षण दे रही है। लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जनपद में ही इस सर्वाधिक समय से आंदोलित प्रकरण की कोई सुनवाई नहीं है। क्या वाकई कोई सरकार सत्ता में आने के बाद इतनी बहरी और अंधी हो जाती है !!!!!
पर्वतजन अपने पाठकों से भी अनुरोध करता है कि इस खबर को इतना अधिक शेयर कीजिए कि पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री जी के आंख कान इसका संज्ञान ले सकें ! यही सोशल मीडिया की ताकत है
कोतवाल पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में कोटद्वार के कोतवाल की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है जो हत्या करवाने वालों को बचाने में पूरी मदद कर रहा है। पुलिस ने जो बयान डायरी में लिखे थे वो डायरी ही गायब कर दी गई और मोबाइल रिकोर्डिग भी गायब कर दी गई है और यही SIT भी बोल रही जबकि इस फोटो से साफ़ जाहिर हो रहा है कि कोटद्वार पुलिस के SI ने बयान दर्ज किए हैं।
इससे ही पता चल जाता है कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए कितना तत्पर है ! इसलिए हत्या करवाने वाले और हत्या करने वाले आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।
इस हत्याकांड को हुए पूरे सवा साल हो गए हैं और ना तो कोटद्वार पुलिस या SIT ने जिसे बने भी 3 महीने से ज्यादा हो गया है हत्यारे और हत्या करवाने वालों को तो छोडो, ये आज तक भी हत्या में इस्तेमाल किए हथियार और गाड़ी तक को भी बरामद नहीं कर पाई।
इससे कोटद्वार पुलिस और SIT की कार्यप्रणाली का साफ़ पता चलता है कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस असल में अपराधियों की मित्र है और जनता की दुश्मन ! पुलिस की इस तरह की कार्यप्रणाली से समाज में भय का महौल बना हुआ है।
13 सितम्बर 2017 को कोटद्वार के वकील सुशील कुमार रघुवंशी की उनके घर के सामने सुबह करीब दस बजे मोटर साइकिल पर सवार दो युवकों ने गोली मार दी। उनको पड़ोसियों द्वारा तुरन्त हॉस्पिटल ले जाया गया। जहाँ उनकी पीठ में लगी गोली को निकालने के लिए रेफर करने की बात की गई। आनन फानन में वकील, मीडिया, पुलिस अस्पताल पहुंच गई और पुलिस ने वकील रघुवंशी से हत्यारों के बावत पूछताछ की और एक डायरी में नोट किया।करीब चालीस मिनट रघुवंशी हॉस्पिटल में रहे फिर उन्हें एम्बुलेंस से नजीबाबाद फिर हरिद्वार ले जाया गया। जहाँ रास्ते मे उनकी मौत हो गई।
हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए वकीलों ने आंदोलन किया मगर पुलिस की जाँच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
वक्त बीतते बीतते वकील रघुवंशी की पत्नी की तरफ से पुलिस की नाकामी पर जाँच किसी अन्य एजेंसी से कराने की बात हुई। हाई कोर्ट के आदेश पर कोटदार के कोतवाल उत्तम सिंह जिम्मीवाल से जाँच हटाकर पौड़ी के एस ओ उनियाल को सौंपी गई। उनियाल ने भी अपनी जाँच आख्या में हाथ खड़े कर दिये। तब हाई कोर्ट ने पुलिस कप्तान पौड़ी को एसआईटी गठित कर जाँच करने के आदेश दिए। एसआईटी गठन से पहले एसओजी प्रभारी कोटद्वार मंनोज रतूड़ी का तबादला पौड़ी कर दिया गया। और एसआईटी में जिम्मीवाल उनियाल समेत पूर्व अधिकारी ही रखे गये, जिसपर विरोध जताते हुए बार कोटद्वार के अध्यक्ष किशन सिंह पंवार ने महानिदेशक पुलिस अनिल कुमार रतूड़ी से बात की और एसआईटी में बाहर के अधिकारी रखने की मांग की। महानिदेशक के आदेश पर एसपी देहात सरिता डोभाल, सीओ पटेल नगर जुयाल, इंस्पेक्टर यशवंत सिंह कटैठ, विजय सिंह आदि शामिल किए गए।
एसआईटी टीम कोटद्वार आई और वकील रघुवंशी की पत्नी और उनके सहयोगियों के बयान लिए और चली गई। कोटद्वार बार एसोसिएशन ने हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए लगातार धरना तहसील परिसर में दिया। दो महीने बीतने पर भी जब एसआईटी कुछ ना कर सकी और सरिता डोभाल से पूछने पर हर बार बताया गया कि लगे हुए हैं। इस बीच इंस्पेक्टर यशवंत सिंह कठैत और सब इंस्पेक्टर विजय सिंह मृतक की पत्नी रेखा रघुवंशी को मिले और पूछा कि आपने लाई डिटेक्शन टेस्ट क्यों करवाया ? हमने केस खोल दिया है मगर पहले ही लाई डिटेक्शन टेस्ट होने के कारण आरोपी को हाई कोर्ट से तुरन्त जमानत मिल जाएगी, तो रेखा रघुवंशी ने उत्तर दिया कि मुझे तो पता ही नहीं है ये तो कोतवाल जिम्मीवाल से पूछिए। इसके बाद पुलिस फिर शांत बैठ गई।
तो कोटद्वार बार एसोसिएशन के अध्यक्ष किशन सिंह पंवार व मृतक की पत्नी रेखा रघुवंशी एवम उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सदस्य आशीष किमोठी आदि महानिदेशक को मिले और महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी ने एडीजी अशोक कुमार को डीआईजी गढ़वाल और एसआईटी टीम के साथ मीटिंग करने के आदेश दिए।
जब राजीव गौड़ ने कुछ ऐसे सवाल उठाए जो पुलिस पर ही उंगली उठा गए तो डीआईजी रौतेला भड़क उठे मगर सवाल वहीं के वहीं रहे। एसआईटी टीम कोटद्वार से गये सदस्यों की किसी भी बात का जवाब नहीं दे सकी। ये वाकिया 29 नवम्बर 2018 का है।
13 दिसम्बर को फिर महानिदेशक को मिल ‘बार’ सदस्यों ने 29 सितम्बर वाले बिंदुओं पर चर्चा की जिसपर महानिदेशक ने शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया।
पुलिस को मृतक के बयानों के आधार पर ही एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी , जबकि बड़े शातिराना तरीके से पुलिस ने मृतक की पत्नी पर दबाव बनाया कि वो एफआईआर दर्ज करे।इसके लिए कई बार फोन करके पुलिस ने मृतक की पत्नी पर एफआईआर दर्ज करवाने के दबाव डाला
मृतक द्वारा अस्पताल में पुलिस को बयान दिए गए। पुलिस ने न मजिस्ट्रेट बुलवाया और ना डॉक्टर को। जबकि मृतक करीब एक घण्टे तक अस्पताल में थे।
पुलिस ने अस्पताल का वीडियो बनाया था मगर बाद में डिलीट करना बताया।
अहम सवाल: मुंह मे दही जमाए बैठे कोतवाल
पुलिस ने मृतक के जो बयान लिए थे वो कहाँ हैं ?
एसओजी टीम को गाड़ी घोड़ा क्यों नहीं मुहैय्या कराया थानेदार ने ?
जब मंनोज रतूड़ी ने दब्बू और लाला को बुलाकर पूछताछ की तो थानेदार ने पूछताछ क्यों रुकवाई?
क्या कारण थे कि लाई डिटेक्शन टेस्ट बिना प्रीलिमिनरी पूछताछ के कराने की सिफारिश की गई ?
जब श्रीमती रघुवंशी ने बयान दिया था कि सुशील रघुवंशी ने उन्हें बताया था कि डब्यू ने उन्हें बताया था कि लाला ने उनकी सुपारी दी है। तब आजतक लाला डब्बु और रेखा रघुवंशी को आमने सामने बुला कर पूछताछ क्यों नहीं की गई ?
पुलिस को जब अस्पताल में मृतक ने बता दिया था कि हत्यारे bel की तरफ गए तो एसआईटी ने यह क्यों बताया कि पुलिस जाँच में यह क्यों नहीं बताया गया कि हत्यारे किस ओर गए थे ? एसआईटी को इस बात को क्यों पूछना पड़ा ?
मृतक के साथी वकीलों के बयान क्यों नहीं लिए गए ?
जब एडीजी को पुलिस कप्तान ने बता दिया कि लाला ने यह करवाया है तब एसआईटी लाला की तरफ से पूछताछ क्यों नहीं कर रही है ?
ज्ञान सिंह की खतौनी के आधार पर ज्ञान सिंह को क्यों नहीं खोजा गया ?
जिन खतौनियों को और रजिस्ट्री को पुलिस को दिया गया उसके आधार पर जांच क्यों नहीं की गई ?
एसआईटी ने लाला दब्बू और रेखा रघुवंशी को आमने सामने क्यों नहीं बैठाया ?
लाला ने हत्या के बाद पावर ऑफ एटॉर्नी क्यों करवाई ?
लाला को सबसे पहले एफआईआर की कॉपी क्यों दी गई जब कि पहली कॉपी रेखा रघुवंशी को दी जानी चाहिए थी ?
थानेदार के कॉल डिटेल उस समय के क्यों नहीं जांचे गए ?
यानी पुलिस ने ना 164 के बयान करवाये !
ना मृतक के बयान के आधार पर fir दर्ज की !
वीडियो भी डिलीट हो गया !
वो डायरी भी गायब बता रही है पुलिस !!
रविवार के दिन धरने में बैठने वालों में रेखा रघुवंशी, आशीष किमोठी, एडवोकेट ध्यान सिंह नेगी, मुजीब नैथानी, एडवोकेट विश्जीत बड़थ्वाल, एडवोकेट हुकुम सिंह, शगुफ़्ता सिंह, मनोज सिंह, राजदर्शन, हरीश चंद, प्रदीप कुमार शर्मा शामिल रहे।
रविवार को कोटद्वार वासियों के धरना प्रदर्शन को 140 से अधिक दिन हो गये हैं और संभवतः तब तक जारी रहेगा, जब तक हत्यारों की और हत्या करवाने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती।