एचडीए पर धर्मनगरी के नियोजित विकास की जिम्मेदारी है, लेकिन हविप्रा में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण जिले का यह महत्वपूर्ण विभाग नकारा साबित हो रहा है। प्राधिकरण के निकम्मेपन की पोल खोलती ये रिपोर्ट
कुमार दुष्यंत
विगत तीन दशकों से हरिद्वार की छाती पर नकारा बनकर खड़े हुए हरिद्वार विकास प्राधिकरण की कार्यशैली से हरिद्वार के नागरिक आज तक अन्जान हैं। हरिद्वार के नियोजित विकास की जिम्मेदारी संभालने वाला यह विभाग कभी तो किसी गरीब को एक ईंटें भी नहीं रखने देता और कभी धन्नासेठों की नियम विरुद्घ बनती इमारतें भी रातोंरात खड़ी करवा देता है। नगर के बीचोंबीच बन रही ऐसी ही एक इमारत प्राधिकरण की कार्यशैली को लेकर चर्चाओं में है, लेकिन प्राधिकरण के हुक्मरानों ने इस पर मौन साध रखा है।
हरकीपैड़ी से सटा जीरो जोन क्षेत्र नगर का सर्वाधिक व्यस्ततम क्षेत्र है। गंगा के दो सौ मीटर की परिधि में बसे इस क्षेत्र में आमतौर पर हविप्रा नये निर्माण की अनुमति नहीं देता, लेकिन आजकल नगर कोतवाली से महज कुछ कदम की दूरी पर ही खुलेआम एक बहुमंजिला व्यावसायिक इमारत का निर्माण किया जा रहा है। जिस पर प्राधिकरण ने अपने होंठ सिल रखे हैं।
एक पुराने लॉज को ध्वस्त कर बनाई जा रही इस इमारत में भूतल पर मार्केट व ऊपर बहुमंजिले होटल का निर्माण किया जा रहा है। नियमानुसार इस व्यस्त क्षेत्र में नये व्यावसायिक निर्माण को अनुमति नहीं मिल सकती, लेकिन यदि हविप्रा के अधिकारियों को साध लिया जाए तो सब कुछ संभव है।
अतीत में ऐसे ही अनेक इमारतें धर्मनगरी की बुनियाद पर खड़ी की जा चुकी हैं। इस निर्माण में भी ऐसा ही दिखाई पड़ रहा है।
खुलेआम दिन-रात इस अवैध निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। आमतौर पर महज सूचना पर सक्रिय हो जाने वाला प्राधिकरण खुलेआम हो रहे इस अवैध निर्माण की शिकायत पर इसकी खसरा-खतौनी बताने की मांग कर रहा है।
बताया जा रहा है कि यह निर्माण एक बड़े शराब कारोबारी का है। जिस पर क्षेत्र के एक प्रभावशाली राजनेता का वरदहस्त है।
इससे पूर्व इस लॉज को नवनिर्माण के लिए लक्सर के एक व्यापारी ने खरीदा था, लेकिन इस क्षेत्र में नियमानुसार निर्माण की कठिनाईयों को देखते हुए उसने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए।
नियमानुसार नवनिर्माण में अनकवर्ड स्पेस छोडऩा अनिवार्य है, लेकिन इस निर्माण में पहले से भी अधिक स्पेस कवर्ड किया जा रहा है, जिससे आसपास रहने वालों की धूप-हवा भी बाधित हो रही है। यह संपत्ति उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में खरीद-फरोख्त की गई संदिग्ध एवं जांच योग्य संपत्तियों की सूची में भी शामिल है, लेकिन इन तमाम कारणों के बावजूद हरिद्वार विकास प्राधिकरण इस सबसे अन्जान बना हुआ है।
यूं तो देहरादून समेत पूरे प्रदेशभर में भूमाफिया की गिद्ध दृष्टि पड़ी हुई है, लेकिन देश-विदेश में विख्यात आस्था का केंद्र धर्मनगरी हरिद्वार में आश्रमों, धर्मशालाओं व अन्य सार्वजनिक जमीनों का बड़ी मात्रा में खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। कुंभकर्णी नींद सो रखा हरिद्वार विकास प्राधिकरण से माफिया व बिल्डरों के बीच सांठ-गांठ के चलते ही यह खेल खेला रहा है।
ताज्जुब की बात यह है कि प्रशासन ने इस ओर आंखें मूंद रखी है और एचडीए की तो बात ही कुछ और है। बताया जा रहा है कि उसके कुछ अधिकारी भी मलाई खाकर अपनी जुबां खोलने से परहेज कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए हरिद्वार में कनखल महात्मा गांधी मार्ग पर बनाया गया आशीर्वाद अपार्टमेंट बिल्डर और एचडीए की सांठ-गांठ से नियमों-कायदों की धज्जियां उड़ाकर अवैध निर्माण कराया गया, लेकिन एचडीए इस पर अपनी जुबां नहीं खोल पाया।
एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ तो सभी की आंखें फटी की फटी रह गई।
इस खुलासे में यह साबित हो गया है कि आशीर्वाद अपार्टमेंट के बिल्डर सुनील अग्रवाल व अनिल गोयल ने हविप्रा से वर्ष २०१२ में जी प्लस थ्री के दो नक्शे आवासीय निर्माण के लिए पास करवाए थे, लेकिन बाद में उन्होंने नियम-कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर जी प्लस फोर का निर्माण करा दिया गया। इस अपार्टमेंट में आधा दर्जन दुकानों का निर्माण भी किया गया। इस प्रकार बिल्डर ने दुकानों व फ्लैटों को बेचकर खूब मोटा मुनाफा कमाया।