बॉलीवुड में उभरते सितारे के रूप में पहचान बनाने वालों में उत्तराखंड का एक और नाम शामिल हो गया है। गढ़वाल के जयबीर सिंह रावत ऐसा ही नाम है, जो लोकगायकी में शुमार हो गया है।
चमोली के विकासखंड थराली डुंगरी (रूईसांण) गांव के रहने वाला जयवीर उत्तराखंड की लुफ्त हो रही संस्कृति को अपने गीतों के माध्यम से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। बारहवीं के बाद मुंबई में रहने के बावजूद जयवीर का उत्तराखंड से लगाव कम नहीं हुआ। वह यहां की लुफ्त हो रही बोली-भाषा व संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। पहाड़ों में लुफ्त हो रहे घराटों और धार की उरख्याली गानों से लगभग ५० लाख से ज्यादा लोगों ने पसंद किया है।
जयवीर ने काफी सीरियल और फिल्म में भी काम किया है। जिसमें जी टीवी पर गौतम बुद्धा, केबीसी में मणीपुर के लड़के की जीवनी में नाट्य रूपांतरण में एज टीवी के शो में बहु हमारी रजनीकांत और सीआईडी क्राइम पेट्रोल हाल ही में बालाजी प्रोडक्शन के सोनी पर चल रहे शो दिल ही तो है, में काम किया। एक फिल्म रिब्बोन में काम किया। एड फिल्म अमूल्य प्योर इट अभी लिकब्वाय के दा में काम किया।
जयवीर उत्तराखंड की संस्कृति के उत्थान की दिशा में भी काम कर रहे हैं। वर्ष 2017 में घटवाली वीडियो बनाया है। उत्तराखंड की पुरानी संस्कृति को समर्पित गीत धार की उरख्याली जो यूट्यूब पर उत्तराखंड में काफी चर्तित हो रही है। इस गीत का मुख्य उद्देश्य नएपन के साथ उत्तराखंड संस्कृति का संवर्धन है। इसके बाद वर्ष 2018 में बैरी गीत ने पिता पुत्र के बदलते रिश्तों को मार्मिक चित्रण किया है। इसके अलावा कौथिग हमारे समाज को मेले की जरूरतों की कहानी कौथिक में वर्णन किया है। साथ ही उन्होंने दगडिय़़ा और गंगासार, गाने बनाये हैं। वर्तमान में धार की उरख्याली गीत है, जो लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। रावत म्यूजिक का उद्देश्य संगीत में आए नए बदलावों को स्वीकृति प्रदान करना और उत्तराखंड की संस्कृति की अमिट छाप छोडऩा है।
पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे घट या घराट कहते हैं। पनचक्कियां प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है, जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो जाता है। जयवीर सिंह ने घराट पर गाना गाकर पहाड़ की विलुप्त हो चुकी घराट की पुरानी यादें ताजी कर दी हैं।