कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में असंख्य नदियों के बावजूद पीने के पानी की किल्लत पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है । उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि राज्य के कुल 672 गांवों के लोगों को कितना पानी प्रतिदिन दिया जा रहा है ? इस मामले में अब 7 जनवरी को सुनवाई होगी ।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में राज्य के पहाड़ी इलाकों में पानी की समस्या को लेकर पत्र द्वारा जनहित याचिका भेजी गई थी । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने न्यायालय को पत्र लिखकर कहा था कि अल्मोडा और बागेश्वर की यात्रा के दौरान, उन्होंने देखा कि वहां की महिलाएं दूर से सिर पर पानी लाकर गुजारा कर रही हैं। पहाड़ी जिलों में ये समस्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है और महिलाओं को पानी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ ने इस पत्र का संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रुप में सुना । आज सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है । पिछले दिनों सरकार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 40 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन पानी दिया जा रहा है। आज राज्य सरकार ने न्यायालय में बताया कि 672 गांवों में 5 लीटर से कम पानी प्रतिव्यक्ति दिया जा रहा है। खण्डपीठ ने सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी भी कि है कि हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से पानी मिलना चाहिये। मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होनी तय हुई है ।