कुलदीप एस. राणा
सूबे में आयुष शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी शुरुआत से ही अव्यवस्थाओं व अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों में रहती आयी है। ताजा मामला यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलसचिव राजेश अडाना एवं परम हिमालया मेडिकल कालेज के प्रबंधन की आपसी सांठ-गांठ से जुड़ा है।
परम हिमालया होमियोपैथिक मेडिकल कालेज के बीएचएमएस थर्ड ईयर के छात्रों ने हर्रावाला पुलिस चौकी में राजेश अडाना व कालेज प्रबंधन के विरुद्ध तहरीर है। जिसमे छात्रों ने अडाना व कालेज प्रबंधन के विरुद्ध मानसिक उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। छात्रों का कहना है कि उनके द्वारा पहले भी राज्यपाल से लेकर शासन सरकार तक कालेज प्रबंधन व राजेश अडाना की मनमानियों की शिकायत की थी। जिसके बाद प्रबंधन आए दिन उन्हें किसी न किसी झूठे मामलों में फंसाने में जुटा रहता है।
पहले तो कालेज प्रबंधन ने छात्रों से परीक्षा फार्म भरवाए, फिर उनके परीक्षा प्रवेश पत्र रुकवा दिए गए। प्रवेश पत्रों को रुकवाने के पीछे छात्र कालेज के ही होम्योपैथिक मेडिसन बोर्ड के प्रभारी निबंधक शैलेन्द्र पांडेय व स्वयं को कालेज की शिक्षिका कहने वाली फर्जी एवं विवादित महिला अंकिता भट्ट का हाथ मान रहे हैं।
बावजूद इसके जब छात्र परीक्षा देने गए तो उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। जब इस मामले की शिकायत यूनिवर्सिटी से की गई तो कुलसचिव अडाना द्वारा छात्रों से कहा गया कि वह उक्त परीक्षा के लिए एलिजिबल नहीं है। सवाल यह है कि जब छात्र एलिजिबल नहीं थे तो उनसे पहले फार्म क्यों भरवाए गए?
अडाना और कालेज प्रबंधन की सांठ-गांठ से अजीज आ चुके यह छात्र अब संगठित होकर आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। आपको बताते चले कि राजेश अडाना पर यूनिवर्सिटी में पहले भी भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के आरोप लगते आएं हैं।
देखना यह है कि क्या अडाना एवं परम हिमालया होमियोपैथिक मेडिकल कालेज प्रबंधन की यह छात्र विरोधी नीतियां प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के दायरे में आती है या नहीं!