भ्रष्ट आईएएस अधिकारी आर के सुधांशु एक बार फिर दिल्ली से वापस आकर गढ़वाल का कमिश्नर बनने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस बात की तस्दीक दिल्ली तथा राज्य के बीच चल रहे कुछ पत्र कर रहे हैं। यह तब हो रहा है जबकि आर के सुधांशु के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच करके कार्यवाही की संस्तुति की गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के कार्मिक विभाग को उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने को लिखा है। गौरतलब है कि कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के ही अधीन है किंतु मुख्यमंत्री कार्यालय ने विगत 4 माह से यह फाइल दबा रखी है। इस प्रकरण को कुछ सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया भी था किंतु मुख्यमंत्री ने इस तथ्य का तो कोई संज्ञान नहीं लिया और ना ही मुख्यमंत्री कार्यालय के पत्र का संज्ञान लिया। अभी तो उन्हें लगा यह भ्रष्ट अफसर ही उन्हें कुछ खास दिला सकता है इसलिए उन्हें गढ़वाल का कमिश्नर बनाए जाने की तैयारी है। संभावना यह है कि यह निर्णय प्रमुख सचिव ओमप्रकाश की सलाह पर लिया गया है। सुधांशु ओमप्रकाश केसबसे करीब है। सीएम के विश्वास पात्र होने का यह गलत इस्तेमाल होगा।
आज के दिन ही आईएएस विनोद शर्मा रिटायर हुए हैं। वह गढ़वाल कमिश्नर थे। उनके रिटायर होने से पहले ही इस बात की तैयारी कर ली गई थी कि अगलागढ़वाल कमिश्नर आर के सुधांशु को बनाया जाएगा। आर के सुधांशु वही अधिकारी हैं जिन्होंने हरिद्वार का जिला अधिकारी रहते हुए राज्य सरकार को 21 करोड़ रुपए से अधिक की राजस्व हानि पहुंचाई थी। हरिद्वार का जिला अधिकारी रहते हुए आर के सुधांशु ने थिथौला नामक गांव में गोल्डप्लसग्लास इंडस्ट्रीज को इंडस्ट्री की स्थापना के लिए भूमि आवंटित की थी। आपराधिक रूप से आर के सुधांशु ने इस औद्योगिक जमीन को मात्र 31 रुपए प्रति वर्ग मीटर पर फैक्ट्री को सौंप दिया जबकि इसकी वास्तविक कीमत ₹800 प्रति वर्ग मीटर थी.यह भूमि सड़क के किनारे स्थित थी। इसलिए तत्कालीन सर्किल रेट के अनुसार इसका मूल्य ₹800 प्रति वर्ग मीटर से भी 20% अधिक था।
गोल्ड प्लस इंडस्ट्री को 13.69 हेक्टेयर भूमि दी गई। इस भूमि में ग्राम समाज की 10 हेक्टेयर भूमि थी। दुग्ध विकास की भूमि 2.90 7 हेक्टेयर थी किंतु आरके सुधांशु ने यह भूमि मात्र 31 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से फैक्ट्री को देकर स्टांपड्यूटी तथा अन्य रजिस्ट्रेशन फीस आदि के मद में राज्य को 21 करोड़ रुपए से अधिक की राजस्व हानि पहुंचाई। ग्राम समाज की भूमि को देने के लिए लीज पर देने से पहले लैंड मैनेजमेंट कमेटी तथा स्थानीय ग्राम प्रधान की अनापत्ति जरूरी होती है किंतु आर के सुधांशु ने ग्रामवासियों तथा लैंड मैनेजमेंट कमेटी की अनापत्तियां लेने की भी आवश्यकता नहीं समझी। जब स्थानीय ग्राम प्रधान ने इसकी शिकायत तत्कालीन लोकायुक्त के यहां दर्ज की तो तत्कालीन लोकायुक्त एसएचए राजा ने 21 अक्टूबर 2008 को इसे गंभीर भ्रष्टाचार बताते हुए आरके सुधांशु के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की संस्तुति की थी। किंतु तत्कालीन प्रमुख सचिव राजस्व एनएस नपलच्याल से लेकर अन्य अफसरों ने आर के सुधांशु को बचा लिया और लोकायुक्त की फाइल को रफा दफा कर दिया।यही नहीं जब आरके सुधांशु को लगा कि यह मामला दब गया है तो उन्होंने इस फैक्ट्री में अपने पिता श्री लक्ष्मी नारायण के नाम से शेयर भी खरीद लिए। इस कंपनी के वार्षिक रिटर्न्समें संलग्न विवरण के अनुसार कंपनी के शेयर धारकों की सूची के लेजरफोलियो नंबर 189 पर श्री लक्ष्मी नारायण सिंह का नाम अंकित है। जो सुधांशु के पिता है।
भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे इस आईएएस के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए जीरो टॉलरेंस की सरकार दिल्ली से वापस बुला करगढ़वाल का कमिश्नर बनाने जा रही है। सरकार को संभवतयायह लगता है कि ऐसे भ्रष्ट अफसर ही उनके डबल इंजन की गाड़ी को ज्यादा अच्छे ढंग से खींच सकते हैं।