कृष्णा बिष्ट/हल्द्वानी
तेजी से विकसित हो रहे हल्द्वानी शहर में अवैध निर्माण जोरों पर जारी। बिल्डर के सामने मूकदर्शक रहता है, विरोध होने पर जुर्माना लेकर सो जाता है प्रशासन
हल्द्वानी विकास प्राधिकरण को गठित हुए दो माह हो गए हैं, लेकिन प्राधिकरण अभी कागजों से बाहर नहीं निकल पाया है। प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारी का कोई पता नहीं है। केवल सिटी मजिस्ट्रेट को प्राधिकरण का सचिव बनाकर इतिश्री कर ली गई है। नतीजा यह है कि शहर में अवैध निर्माण जोरों पर है। उदाहरण के तौर पर हल्द्वानी स्थित प्रेम सिनेमा हॉल के समीप काफी लम्बे समय से धनंजय गिरी द्वारा चल रहे एक व्यावसायिक भवन निर्माण का है, जिस प्रकार धनन्जय गिरी सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाकर प्रसाशन की नाक के नीचे निर्माण कर रहा है, वह बगैर प्रशासनिक मिलीभगत के संभव नहीं है। शायद यही कारण है कि अब शहर के लोग दबी जुबान में इस निर्माण से कई बड़े अधिकारियों व बाहुबली पत्रकारों के नाम जोड़ कर देखने लगे हैं, क्योंकि जहां एक तरफ प्रशासन कार्यवाही का स्वांग रच रहा है, वहीं दूसरी तरफ अप्रत्यक्ष रूप से बिल्डर को उसके मन मुताबिक निर्माण के लिए कानून की कमजोरियों से फायदा पहुंचाने का काम कर रहा है।
बेबस नगर आयुक्त
कम से कम कुछ दिन पूर्व तक हल्द्वानी के नगर आयुक्त रहे के.के.मिश्र की बात से तो यही प्रतीत होता है, जो एक तरफ इसलिए खुश हैं, क्योंकि इस भवन का नक्शा उनके द्वारा पास नहीं हुआ, तो वही कानून को लचर बता कर यह तर्क देते हैं कि प्रशासन अवैध निर्माण पर केवल जुर्माना लगा सकता है, निर्माण को रोक नहीं सकता, तो क्या इस का अर्थ यह हुआ कि किसी भी ऊंची पहुंच वाले बिल्डर को अवैध तरीके से अपनी इच्छा अनुसार निर्माण करने की खुली छूट मिल सकती है। बशर्ते वह विभाग द्वारा लगाया जुर्माना अदा करता रहे। क्या केवल जुर्माना लगाने मात्र से शहर मे चल रहे अवैध निर्माणों से प्रशासन अपना पल्ला झाड़ सकता है और जुर्माना अदा करने भर से अवैध को वैध का दर्जा दिया जा सकता है?
जुर्माने के बाद भी निर्माण
शायद अधिकारियों के इस ही प्रकार के तर्क व रवैये की आड़ मे धनन्जय गिरी जैसे ऊंची पहुंच वाले लोगों को कानून को ताक पर रखने का हौसला मिलता है, तभी अनुमति मिलने से पहले ही धनन्जय ने भवन निर्माण के लिए खुदाई शरू कर दी थी जिस के लिए उस पर जुर्माना भी लगाया गया था, और दो मंजिला बेसमेंट पार्किंग की अनुमति मिलने के बाद धनन्जय गिरी ने एक बार फिर नियम-कानून को ताक पर रख तय मानक से कई मीटर अधिक गहरा गड्ढा शहर के बीचोंबीच खोद डाला, जिस कारण दूसरी बार फिर से उस पर जुर्माना लगाया गया, यही नहीं गड्ढे से निकली मिट्टी को ठिकाने भी लगा दिया गया जिस की कीमत से पेनाल्टी की पूरी नहीं तो काफी रकम तो वसूल हुई ही होगी।
जहां नियम के अनुसार धनन्जय को दो मंजिला पार्किंग के लिए 7 मीटर से अधिक अनुमति नहीं दी जा सकती थी। अब वही पूर्व नगर आयुक्त के अनुसार धनन्जय ने तय सीमा से कई मीटर अधिक खोदा है, जिसमें तय नक्शे से एक मंजिला अधिक बनाई जा सकती है। अगर वो मंजिल बनती है तो उस मंजिल की दुकानों के बाजार भाव के आगे सरकारी जुर्माना कुछ भी नहीं होगा। यानी दोनों स्थिति में फायदा धनन्जय का ही है। और दूसरी तरफ जुर्माना लगाकर प्रशासन ने अपनी पीठ पहले ही थपथपा कागजों का पेट भर दिया है।
अवैध निर्माण को फायदे का सौदा बता रहे अफसर
हाल ही में ट्रांसफर हुए खनन अधिकारी राजपाल लेघा के अनुसार धनन्जय गिरी ने भवन निर्माण के लिए खनन विभाग की अनुमति मिलने से पहले ही भवन का बेसमेंट खोद डाला डाला था। जिस पर खनन विभाग ने तुरंत संज्ञान लेते हुए बिल्डर पर रु.70 लाख का अर्थ दंड भी लगाया था, किंतु जिला प्रशाशन ने उसे रु.15 लाख में समेट दिया था।
इसके पश्चात जब विभाग से धनन्जय को अनुमति मिली तो धनन्जय ने बेसमेंट के लिए 6 मीटर की अनुमति होने के बावजूद 9 मीटर खोद डाला। जिस पर एक बार फिर विभाग द्वारा बिल्डर के पर रु.20 लाख का अर्थ दंड लगाया गया है।
बिल्डर धनन्जय गिरी कहते हैं कि हमने नियम कानून के तहत निर्माण किया है। अधिक गहरा गड्ढा खोदने की जो बात की जा रही है, वो गलत है। हमने 7 मीटर की अनुमति मांगी थी और केवल उतना ही खोदा है। सिर्फ दीवार की तरफ कुछ अधिक खुदा है। हल्द्वानी में सारे ही निर्माण इसी प्रकार होते है।