कृष्णा बिष्ट
बागेश्वर जिले मे डबल इंजन सरकार के मुख्या के अंतर्गत आने वाले लोक निर्माण विभाग के बेलगाम अधिकारी सड़क निर्माण के नाम पर जिस तरह का खेल बिना भय के खेल रहे हैं, उस के आगे वन विभाग व जिला प्रशासन पूरी तरह नतमस्तक है !
इसी तरह का एक मामला बागेश्वर जनपद के गरुड़ तहसील के अंतर्गत पड़ने वाले मच्छीबगड –ग्वालदे मोटर्माग का है, जिसकी स्वीकृति पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 5 जून 2015 को प्रदान की गई थी। इस मोटर मार्ग के कारण 2.875 हे. वन भूमि प्रभावित होने का आकलन किया गया था। सर्वे के बाद इस सड़क मार्ग की कुल लंबाई 7 किलोमीटर स्वीकृत थी किन्तु कुछ समय बाद विभाग ने नियमों को ताक पर रख इस मोटर मार्ग के अलाइनमेंट को ही बदल दिया और 7 किलोमीटर की लंबाई को बिना स्वीकृति घटा कर मात्र 5.75 किलोमीटर कर दिया गया !
इस मोटर मार्ग के लिये विभाग द्वारा 13 मई 2016 को समाचार पत्र के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई थी,जिसे 2 जून 2016 को खोला गया। इस के पश्चात अधिशासी अभियंता बागेश्वर द्वारा 5.75 किलोमीटर सड़क के लिये 282.65 लाख का प्रस्ताव मुख्य अभियंता अल्मोड़ा को स्वीकृति हेतु भेजा। यानी निविदा आमंत्रित करने के लगभग एक माह बाद !
2016 मे मच्छीबगड –ग्वालदे मोटर मार्ग का निर्माण आरंभ तो कर दिया गया किन्तु लोक निर्माण विभाग ने बिना वन विभाग की अनुमति के हरे वृक्षों को जे.सी.बी से उखाड़ ठिकाने ही नही लगाया बल्कि वन क्षेत्र मे सड़क निर्माण कार्य भी बिना जॉब पिलर के चलता रहा।
एक तरफ लोक निर्माण विभाग वन का दोहन करता रहा और दूसरी तरफ वन विभाग जिस पर वनों के संरक्षण की जिम्मेदारी है, वो मात्र पत्राचार से खानापूर्ति करता रहा !
समाधान पोर्टल पर एक शिकायतकर्ता द्वारा लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण में की जा रही अनियमितताओं की शिकायत का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी बागेश्वर ने जब लोक निर्माण विभाग से जवाब मांगा तो, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग बागेश्वर ने स्पष्ट तौर पर माना कि उनके विभाग द्वारा सड़क निर्माण में 136 वृक्षों का पातन वन पंचायतों द्वारा विभागीय नियमानुसार किया गया है, किंतु अधिशासी अभियंता का यह जवाब भ्रम के अलावा और कुछ नहीं, वन पंचायतों के पास मात्र वृक्षों के संरक्षण का अधिकार है।
वृक्षों के पातन का निर्णय वन पंचायत नहीं ले सकती, इसका अधिकार सिर्फ वन विभाग के पास है, दूसरा वन विभाग द्वारा 17 फरवरी 2018 को एक आर.टी.आई के जवाब में स्पष्ट कहा गया है कि मच्छीबगड – ग्वालदे मोटर मार्ग के छपान का कार्य वन विभाग के स्तर से नहीं किया गया है।
उप प्रभागीय वन अधिकारी, बागेश्वर से सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मच्छीबगड –ग्वालदे मोटर मार्ग निर्माण मे लोक निर्माण विभाग बागेश्वर द्वारा नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है, जिस का ज़िक्र वन विभाग ने स्थलीय निरक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर किया है।
1 अप्रैल 2018 को वन विभाग द्वारा जब इस मोटर मार्ग का स्थलीय निरक्षण किया गया तो वन विभाग ने पाया इस मोटर मार्ग का बिना जॉब पिलर बनाये ही निर्माण किया जा रहा है। यहाँ तक कि मोटर मार्ग निर्माण तक भारत सरकार से स्वीकृत मानचित्र के अनुसार नही किया गया है, जो कि वन संरक्षण अधिनियम का घोर उल्लंघन है।
मलबे का निस्तारण तक मानकों के अनुरूप नही किया जा रहा था। वन क्षेत्र का बड़े पैमाने पर दोहन तो हुआ ही है जो स्पष्ट है, किन्तु इस से प्रभावित वृक्षों का सही आकलन भी पिलर बनाये जाने के बाद ही संभव है !
यह तो लोक निर्माण विभाग की कार–गुजारियों का एक छोटा सा नमूना भर है, पूरे जिले में इसी प्रकार विभाग मन-माने ढंग से सड़क निर्माण के नाम पर प्रकृति का दोहन तो कर ही रहा है साथ में नियमों का उल्लंघन भी कर रहा है !