पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग में अधिकारियों की बैठक ली और उनको बोला कि आप लोग महिलाओं से संबंधित कोई योजना क्यों नहीं चलाते। अधिकारियों ने कहा कि सर हम चला रहे हैं। तो सीएम साहब बोले- स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को रोजगार से जोड़ो। अधिकारी बोले- कि सर इस तरह की योजना हम पहले से ही चला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तीन-चार तरह के कामों को शुरू करने के निर्देश दिए, लेकिन अधिकारियों ने फिर वही जवाब दिया कि सर हम ये सब कार्यक्रम पहले से ही संचालित कर रहे हैं। अब मुख्यमंत्री को कुछ तो निर्देश देना ही था, तो बोले- अच्छा ऐसा करो, इन सब योजनाओं को मिलाकर इनका नाम मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना रख दो। सही है सीएम साहब! काम कोई भी करे, ठप्पा तो आपका ही लगना चाहिए।
अंकुश राज का राजयोग
रुड़की का अंकुश राज है तो सोलह साल का, लेकिन लगन है कि नेता बन के दिखाना है। अंकुश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भाषणों से प्रभावित होकर राजनीति में हाथ आजमाना चाहता है। अंकुश आजकल समाज सेवा से लेकर सभी राजनीतिक कार्यक्रमों में अभी से आने-जाने लगा है। कई शीर्ष नेताओं से वह मुलाकात कर चुका है। अंकुश पार्षद के चुनाव से राजनीति की शुरुआत करना चाहता है। देखते हैं अंकुश राज का ‘राजयोगÓ कब शुरू होता है।
संसदीय सचिव के मामा का बेटा
बागियों के खिलाफ युद्ध छेड़े बैठे मुख्यमंत्री हरीश रावत अब उन छोटे-छोटे कर्मचारियों पर भी खुंदक निकाल रहे हैं, जिन्हें नौकरी से न निकालने के लिए वे दो बार सदन में जवाब दे चुके हैं। सल्ट के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के द्वारा विधानसभा में उपनल कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के जवाब में मुख्यमंत्री ने स्वयं आश्वस्त किया था कि किसी भी कर्मचारी को नहीं निकाला जाएगा। उत्तराखंड के मुख्य सचिव भी इस संदर्भ में दो बार बयान जारी कर चुके हैं कि किसी को निकाला नहीं जाएगा। हरक सिंह रावत के उपनल के मंत्री रहते भर्ती हुए लोगों पर हरीश रावत की एकतरफा कार्यवाही से परेशान प्रतापनगर के विधायक और संसदीय सचिव विक्रम सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री से गुजारिश की कि उपनल के जिस खास को उन्होंने हरक सिंह से खुंदक मिटाने के लिए नौकरी से निकाला, वो विक्रम सिंह नेगी का ममेरा भाई है, किंतु मुख्यमंत्री इस मसले पर सुनने को तैयार नहीं। जिस विधायक विक्रम सिंह नेगी की विधायकी के कारण हरीश रावत के मुख्यमंत्री की कुर्सी सलामत है, जब उनके ममेरे भाई को सिर्फ शक की बुनियाद पर निकाल बाहर किया गया है तो समझा जा सकता है कि उपनल से भर्ती लोगों के साथ किस प्रकार का न्याय किया जा रहा होगा।