पर्वतजन को पुलिस के अंदर खदबदा रहे आक्रोश की झलक मिली है। पुलिस कर्मी आपस मे एक दूसरे अपनी मांग को लेकर गोलबंद कर रहे हैं । उनकी अपील को यहाँ हूबहू दिया जा रहा है।
सभी पुलिस कर्मी कृपया करके, 06 जनवरी 2018 को अपनी ताकत सरकार और प्रशासन को दिखाने का समय आ गया अब नही तो कभी नही, हम पुलिस कर्मी कब तक अपने अधिकारों के लिए कब तक चुप रहे, कब तक सरकार और प्रशासन पर विश्वास करें कि सरकार हमारे, हित के लिए सोचेगी, जो हमारा विश्वास नही अंध विश्वास है, क्या संविधान में बनाये गए अधिकार हमारे लिए नही है, क्या मानवाधिकार हम पुलिस कर्मियों के लिए नही है, जो हम अपने हक के लिए नही लड़ सकते, हमारे हितों के लिए न तो सरकार और न ही प्रशासन ध्यान देता है, सरकार या प्रशासन ध्यान देता तो आज तक वर्ष 186,से चले आ रहे अंग्रेजो का दमनकारी पुलिस मैन्युल को न बदला जाता, उत्तरखण्ड राज्य बने हुए 17 वर्ष पूरे हो चुके है, परन्तु अभी तक पुलिस नियमावली नही बन पाई है, उत्तरखण्ड सरकार नियम तो उत्तर प्रदेश सरकार की भांति निकालती है परंतु कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्ते/वेतन उत्तर प्रदेश की भांति क्यों नही दिया जा रहा। दोस्तो हमारी निम्न मांगे थी जिसपर सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया है, यदि 5 जनवरी 2018 तक हमारी निम्न मांगो के सम्बंध में सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाया जाता है, तो *06 जनवरी 2018* को सभी पुलिस कर्मी अनुशासन में रह कर*मिशनमहाव्रत* रखेंगे जो मांगे पूरी न होने तक जारी रहेगा, यदि किसी भी कर्मी को कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदार उत्तराखंड सरकार, व पुलिस प्रशासन होगा, दोस्तो हम सबको एकजुटता से रहना होगा, एकता में शक्ति है ये सरकार को दिखाना होगा, यदि किसी भी कर्मचारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही की जाती है तो सभी कर्मी अवकाश पर जाना सुनिश्चित करेंगे।
1- सभी को ज्ञात है कि फोर्स कभी भी अपनी मांगो के लिए आवाज नहीं उठा सकती है तो तब भी उनकी समस्याओं/सुविधाओं को क्यो शासन/प्रशासन द्वारा समय- समय पर नजर अन्धाज किया जाता है। पिछले वर्ष 28 विभागों के ग्रेड वेतन को बढाया गया परन्तु पुलिस विभाग को उसमें भी वंछित रखा गया, इस वर्ष भी कुछ विभागो के ग्रेड वेतन व अन्य भत्तों को बढाया गया परन्तु पुलिस विभाग को इस वर्ष भी वंछित रखा गया है, कृपया पुलिस कर्मियों का ग्रेड पे तत्काल उच्चीकृत किया जाना सुनिश्चित करे।
2- शासनादेश संख्या-7793 आठ-1-3/1979 ग0पृ0आ0-1 दिनांक 07 दिसम्बर 1979 के अन्तर्गत पुलिस विभाग के अराजपत्रित अधिकारियों व कर्मचारियों को एक माह के वेतन के बराबर मानदेय दिये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है, जबकि पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड देहरादून के पत्र संख्याः-डीजी-तीन-351/2010 दिनांक 10.01.2017 में दी गयी सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष में जिलाधिकारी महोदय द्वारा घोषित छुट्टियों के अतिरिक्त वर्ष 2016 एवं वर्ष 2017(कलैन्डर वर्ष) की छुट्टियों के विवरण अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में राजपत्रित अवकाशों की कुल संख्या-33, द्वितीय शनिवार की कुल संख्या-12 व रविवार की कुल संख्या-52, कुल अवकाशों की संख्या-97 है।वित्तीय वर्ष में पडने वाले कुल राजपत्रित अवकाशों (97 दिवस) के एवज में मात्र एक माह(30 दिवस) का अतिरिक्त वेतन/मानदेय दिया जाना न्यायसंगत नहीं है, चुकिं शेष राजपत्रित अवकाश कुल 67 दिवसों में ली गयी ड्यूटी के बराबर में अन्य दिवसों में अवकाश/मानदेय को न दिया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 23 का उल्लंघन प्रदर्शित होता है, जबकि एक पुलिस कर्म0 अल्पवेतन भोगी कर्मचारी है, जिस पर सहानुभूति पूर्वक दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में पडने वाले कुल राजपत्रित अवकाश, द्वितीय शनिवार व रविवार में ली गयी ड्यूटी के बराबर अनुमन्य मानदेय प्रदान कराने की कृपा करें।
3- वर्ष 2007 से वर्तमान तक भर्ती कर्मचारियों को 09 माह ट्रेनिंग का पूर्ण वेतन प्रदान नहीं किया गया है जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा 2013 में आदेश पारित किया गया था, जबकि पुलिस कर्मचारी अर्द्धकुशल की श्रेणी में आता है, को तत्काल प्रदान करने की कृपा करें।*
4- पुलिस विभाग में एक अधि0/कर्म0 अपने स्वीकृत अवकाश में से मात्र 10-15 दिन का अवकाश ही ले पाता है, अतः अनुरोध है कि जो अवकाश स्वीकृत नहीं हो पाते है उसका नकदीकरण की सुविधा प्रदान की जाये जो व्यवस्था पूर्व में बंद कर दी गयी थी।
5- पुलिस विभाग में एल0आई0यू0/सुरक्षा में लगे कर्म0गणों को 30 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता दिया जाता है, जबकि जोखिम सीविल पुलिस/सशस्त्र पुलिस का एल0आई0यू0/सुरक्षा में लगे कर्म0गणों से कही ज्यादा अधिक है। आये दिन जुलूस/धरना/ मुठभेड/दबिस के दौरान सिविल पुलिस/सशस्त्र पुलिस कई जवान शहीद होते है, शहीदों की संख्या भी एल0आई0यू0/सुरक्षा में लगे कर्म0गणों से कहीं ज्यादा अधिक है, कृपया सिविल पुलिस/सशस्त्र पुलिस को भी 30 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता प्रदान करने की कृपा करें।
6- पोष्टिक आहार भत्ता वर्तमान में रु0 1500 देय है जबकि पुलिस विभाग के अधि0/कर्म0 अधिकतर वी0आ0पी0 ड्यूटी/मुल्जिम ड्यूटी/ स्कोर्ट ड्यूटी/ गनर ड्यूटी आदि में रहते है वर्तमान में होटल/रेस्टोरैन्ट में एक समय का पोष्टिक आहार 100-150 के मध्य लिया जाता है। जिसको उच्चीकृत किया जाना अति आवश्यक है।
7- जनपद टिहरी/उत्तरकाशी/पिथौरागढ/चमोली/अल्मोडा/नैनीताल के अधिकतर स्थानों पर पर्वतीय भत्ता वर्तमान में 200 रु0 देय है, जबकि उक्त जिले अति सीमांत/दुर्गम जिले है, सम्पूर्ण जिलो में पर्वतीय भत्ता उच्चीकृत किया जाना अति आवश्यक है।
8- महोदय एक माह में एक पुलिस कर्मियों को अन्य विभाग की तुलना में कम वेतन मिलता है,जबकि अन्य विभागों की वीआईपी डयूटी नही लगती उसके बाद भी एक सिपाही को मात्र 22 से 26 हजार सैलरी मिलती है जिसमें से कम से कम 10 हजार रुपये तो एक पुलिस कर्मचारी के वीआईपी डयूटी में ही लग जाते है, ओर अगर एक कर्मचारी TA/DAभरता है तो उसे 10 हजार में से मात्र 5 या 6 हजार मिलते है, तो एक पुलिस कर्मचारी को क्यो अनदेखा किया जाता रहा, हर वेतन आयोग द्वारा व पिछले साल 28 ओर इस साल भी 28 विभागों के ग्रेड पे बढ़ाये गए तो हम पुलिस कर्म0 को क्यों अनदेखा किया गया, सब जानते है कि फोर्स आंदोलन/धरना प्रदर्शन/जुलूस नही कर सकती तो उनकी समस्यों को क्यो अनदेखा किया जाता रहा है। कृपया पुलिस को 30-50% अतिरिक्त भत्ता देने की कृपा करें।*
9:- *आवास की सुविधा सभी कर्म0गणों के उपलब्ध नहीं है जो उपलब्ध है वह भी अत्यधिक क्षतिग्रस्त है, वर्तमान में मात्र 10-20 प्रतिशत कर्म0गणों को ही आवास उपलब्ध है, कृपया सभी कर्म0गणों को आवास उपलब्ध कराने की कृपा करें।पुलिस कर्मियों के रहने की व्यवस्था बहुत ही दयनीय है, जो बैरिक बनी है उनकी स्थिति भी बहुत दयनीय है, पुलिस कर्मी ज्यादा हो गए है और बैरिक कम हो गयी है, कृपया नई बैरिक/आवास बनाने के आदेश पारित करने की कृपा करें, व बैरिकों का निरीक्षण करने कर पुलिस की दयनीय स्थिति देखने का कष्ट करें।
10- महोदय माननीय न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया कि सिपाही को जमीन पर नही बैठाया जाएगा परन्तु वर्तमान तक भी पुलिस कर्मियों को ब्रीफिंग/ सम्मेलन आदि में जमीन पर बैठाया जाता है। कृपया इस सम्बंध में उचित कार्यवाही करने की कृपा करें।
11- महोदय एक पुलिस कर्मचारी यदि गैर हाजिर हो जाता है तो उच्चाधिकारी द्वारा यह आदेश पारित किया जाता है कि काम नही तो दाम नही, और यदि जब एक पुलिस कर्मचारी स्वीकृत अवकाश को एक वर्ष में पूरा अवकाश ग्रहण नही कर पाता है तो उसे तब काम के बदले दाम क्यों नही दिया जाता है, जो कि उसके अधिकारों का हनन है, इस ओर मानवाधिकार द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
12- कृपया पुलिस कर्मियों के बच्चों के लिए अलग से स्कूल की सुविधा, व आर्मी के तरह एक पुलिस कर्मी के बच्चों को भी पुलिस भर्ती में फायदा दिया जाए, और मेडिकल की सुविधा भी उच्चकोटि की दिए जाने की कृपा करें.
14- पुलिस विभाग में एक पुलिस कर्मी को 10 साल में 2400 ग्रेड पे व 16 साल में 4200 ग्रेड पे दिया जाता रहा है, ग्रेड पे के साथ पद नहीं बढाया जाता है, जब शासन पुलिस कर्मी को वेतन दे रहा है तो पद को बढाया जाने के आदेश पारित करने की कृपा करें, जिससे पुलिस कर्मियों में अपने कार्य के प्रति उत्साह और अधिक बढेगा।
नोट:- वर्ष 2015 में मिशन आक्रोश के दौरान भारतीय जनता पार्टी द्वारा समर्थन किया था कि पुलिस विभाग की विभिन्न मांगों को हमारी सरकार आने पर मागों को पूरा किया जायेगा, जिस कारण उत्तराखण्ड राज्य की समस्त पुलिस विभाग द्वारा भारतीय जनता पार्टी को अपना पूर्ण बहुमत दिया जाने पर अहम भूमिका निभायी है, तो क्यो भारतीय जनता पार्टी द्वारा अब पूर्ण बहुमत होने पर भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है।