भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने भाजपा जांच समिति को एक बार फिर ठेंगा दिखा दिया।
भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल के साथ चल रहे विवाद के बाद पार्टी की छीछालेदर हुई तो फिर पार्टी ने सजा तय करने के लिए एक जांच समिति बना दी थी।
देशराज कंडवाल तो जांच समिति के सामने पेश होकर अपना पक्ष रख चुके हैं, लेकिन कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन लगातार तीसरी बार मौका दिए जाने के बावजूद जांच समिति के समक्ष पेश नहीं हुए।
अब जांच समिति खिसिया करके बगले झांक रखी है। गौरतलब है कि चैंपियन को यह तीसरा मौका दिया गया था और जांच समिति 11:00 बजे से कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के आने का इंतजार करती रही लेकिन न तो चैंपियन हाजिर हुए और ना ही अपने ना आने की कोई सूचना देने की जरूरत समझी।यही नही सुबह चैंपियन का फोन भी बंद जा रहा था। जांच समिति को अभी उम्मीद है और जांच समिति के अध्यक्ष खजान दास ( विधायक) का कहना है कि अब चैंपियन चार बजे तक आ सकते है।
गौरतलब है कि चैंपियन ने दिखा दिया है कि वह भाजपा संगठन और संगठन के द्वारा बनाई गई जांच समिति से खुद को कहीं ऊपर मानते हैं।
हालांकि जांच समिति का तर्क है कि चैंपियन ने लिखित में महामंत्री नरेश बंसल को अपना जवाब दिया हुआ है। यदि यह तर्क मान लिया जाए तो फिर
पहला सवाल यह है कि
आज 11:00 बजे से जांच समिति क्यों चैंपियन का इंतजार कर रही थी !
दूसरा सवाल यह है कि क्यों उनको पेश होने के लिए 24 तारीख की तिथि नियत की गई थी !
तीसरा सवाल यह है कि यदि नरेश बंसल को ही जवाब सौंपा जाना था तो फिर जांच समिति का औचित्य ही क्या था !
गौरतलब है कि जांच समिति का गठन ही काफी ढुलमुल तरीके से किया गया था।
जांच समिति का गठन जब किया गया तो तब जांच समिति के सदस्यों का हिमाचल का दौरा लगा हुआ था। जांच समिति के गठन के बाद कार्यवाही तब शुरू हुई जब सदस्य हिमाचल के दौरे से लौटे।
जांच समिति ने इससे पहले दो बार चैंपियन को बुलाया लेकिन दोनों बार चैंपियन कभी राजस्थान तो कभी दिल्ली के ओबीसी समारोह में होने का हवाला देते हुए जांच समिति के सामने हाजिर नहीं हुए।
आखिरकार जांच समिति ने चैंपियन को तीसरा मौका दिया, किंतु आज तीसरी बार चैंपियन न तो खुद हाजिर हुए और न ही अपनी गैर हाजिरी की कोई पूर्व सूचना भेजी। क्या चैंपियन को जांच समिति के सदस्यों के समय की भी कोई परवाह नहीं थी !!
देखने वाली बात यह होगी कि जांच समिति अब क्या निर्णय लेती है ! जांच समिति के सामने चैंपियन के हाजिर न होने से यह बात साफ हो गई है कि संगठन और जांच समिति के सामने हाजिर न होने के पीछे कोई न कोई तीसरी ताकत है जो चैंपियन को पीछे से पूरी शह दे रही है और उसका चैंपियन को पूरा पूरा संरक्षण भी है।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह कौन शख्स है जो चैंपियन के माध्यम से संगठन को उसकी हैसियत बताना चाहता है !