महेशचंद्र पंत
कहते हैं देर आए दुरुस्त आए, यह कहावत ऊधमसिंहनगर के बाल कल्याण अध्यक्ष पद पर सटीक बैठती है। उत्तराखंड शासन ने मेदनी रस्तोगी को जिला बाल कल्याण समिति ऊधमसिंहनगर का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। यहां जिला बाल कल्याण समिति ऊधमसिंहनगर के अध्यक्ष पद पर तैनात डा. रजनीश बत्रा की नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध बताया गया था। तबसे इसका काफी विरोध भी किया जा रहा था। तब पर्वतजन ने भी नियम विरुद्ध हुई रजनीश बत्रा की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाते हुए सबसे पहले रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
गुरुवार को उत्तराखंड शासन ने वेदना रस्तोगी को जिला बाल कल्याण समिति ऊधमसिंहनगर का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए इस पद पर नियुक्त डॉ. रजनीश बत्रा की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।
खटीमा निवासी शैलेंद्र गुप्ता ने जिला बाल कल्याण समिति ऊधमसिंहनगर के अध्यक्ष पद पर डा. रजनीश बत्रा की नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध बताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर उच्च न्यायालय ने भी डा. रजनीश बत्ता की नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध पाया एवं डेढ़ वर्ष पूर्व उनकी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया।
राज्य चयन समिति द्वारा चयनित पैनल में से किसी एक सदस्य को नियुक्त किए जाने के आदेश शासन को दिए थे। जिसके अनुपालन में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने डॉ. रजनीश बत्ता की नियुक्ति समाप्त करते हुए मेदनी रस्तोगी, जो कि जिला समिति में सदस्य पद पर थी, को अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया है। इसी के साथ मेदनी रस्तोगी ने ऊधमसिंहनगर के बाल कल्याण अध्यक्ष पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने 28 जून 2017 को डा. रजनीश बत्रा की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द कर दो माह के भीतर दूसरा अध्यक्ष नियुक्त करने के आदेश सरकार को दिए थे। जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने इस प्रकरण की सूचना सचिव समाज कल्याण उत्तराखंड शासन को उचित कार्रवाई हेतु दे दी थी। जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उच्च न्यायालय के आदेशों पर लगभग डेढ़ वर्ष तक किसी भी स्तर से अमल न किए जाने पर सवाल उठना स्वाभाविक ही है। जिला स्तर से लेकर शासन स्तर के संबंधित अधिकारियों ने नियुक्तियों के मामले में नियमों का उल्लंघन तो किया ही है, बल्कि उच्च न्यायालय के आदेशों को भी ताक पर रख दिया है।