कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में नैनीताल मण्डल मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर ग्रामीण गांव के बीमारों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों को नजदीकी मोटर मार्ग तक वाहन से ले जाने के लिए श्रमदान कर मोटर मार्ग का निर्माण कर रहे हैं।
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रास्ते भी होंगे, रिश्ते भी होंगे
इस गांव के युवाओं को दूसरे गांव के लोग अपनी लड़कियां सिर्फ इसलिए नहीं देते, क्योंकि यहां घने जंगल और पहाड़ी रास्ते के साथ उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजरते हुए पैदल ही पहुँचा जा सकता है। पहाड़ों से पलायन का कारण और सच भी यही है।
यहां नही पहुँची आजादी की रोशनी
देश की आजादी के 71 और उत्तराखण्ड बनने के 18 वर्षों बाद भी आज नैनीताल जिले में रामगढ़ ब्लॉक के नाथुवाखान से सुयाल गाड़ तरेना पोखरी गांव पहुंचने के लिए ग्रामीणों को पैदल मार्ग ही इस्तेमाल करना पड़ता है।
जिला पंचायत के कागजों में नथुवाखान से सुयालबाड़ी मार्ग के रूप में दर्ज है ये मार्ग। यहां के लगभग 65 परिवार किसी भी मौके पर एकमात्र पैदल मार्ग का इस्तेमाल कर बमुश्किल ठिकाने तक पहुंचते हैं। यहां के बच्चों को अच्छे स्कूल नसीब नहीं होते क्योंकि जंगल के बीचों बीच पहाड़ी रास्तों में लगभग दो किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करने में बहुत समय और खतरा भी होता है। ऐसे ही किसी बीमार को डोली, चारपाई या कंधों में उठाकर निकटवर्ती मोटर मार्ग तक ले जाया जाता है। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
खुद उठाया सब्बल
आज राज्य बनने के 18 वर्ष बाद सरकार की बेरुखी के चलते इनके सब्र का बांध टूट गया और पूरा का पूरा गांव निकल पड़ा है, खुद श्रमदान कर सड़क बनाने में। ये महिलाएं अपना चूल्हा-चौका पूरा कर सड़क के चौड़ीकरण में लग गई है। यहां के पुरुष कंधों पर सब्बल, फावड़े और बेलचे लेकर आजकल इसी तरह अपना जरूरी काम करने के बाद मोटर मार्ग को घर तक लाने में जुट गए हैं।
गांव की फसल को मिलेगा बाजार
ग्रामीणों के हौसले की तरह ही इस गांव की माटी भी कम उर्वरक नहीं है । यहां की बीन, बन्द गोबी, फूल गोबी, टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन, मटर, भुट्टा और आलू की सब्जियां बहुुुत स्वादिष्ट होती हैं। इतना ही नहीं यहां के डेलिशियस सेब, पुलम, खुमानी, आड़ू, नाशपाती भी खासे मशहूर हैं। अब यहां के ग्रामीण सरकार से गांव तक मोटर मार्ग निर्माण की मांग कर रहे हैं।
अन्य गाँव भी गुमसुम
उनका कहना है कि दूसरी समस्याओं के साथ-साथ यहां के लोगों को सब्जी और फल खराब होने से बचाने के लिए बाजार तक जल्द पहुंचाना पड़ता है। इसके अलावा भीमताल से जंगलिया गांव से आगे मलुवाताल में जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे इसी प्रकार 5 कि.मी.चढ़ाई में नजदीकी मोटरमार्ग तक ले जाना पड़ता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य गांवों में इसी तरह से लोगों को कुर्सी में बांधकर या कंधों पर रखकर ले जाया जाता है।