एमबीबीएस की फीस वृद्धि को लेकर पिछले 4 दिनों से चल रहे आंदोलन के कारण आखिर राज्य सरकार को बैकफुट पर आकर फीस वृद्धि की घोषणा वापस करनी पड़ गई है। गौरतलब है कि इस पूरे मामले में इतनी फजीहत करने के बाद आखिर सरकार के हाथ बदनामी के सिवा और कुछ भी न लगा। पर्वतजन के पुख्ता सूत्रों के अनुसार सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ हाथ मिलाकर स्वार्थों के कारण फीस वृद्धि को मेडिकल कॉलेजों की ही हवाले कर दिया था। इसको लेकर केंद्र सरकार ने भी आपत्ति जताई थी और तत्काल फीस मॉनिटरिंग कमेटी बनाकर फीस का निर्धारण करने के आदेश दिए थे। लेकिन सरकार ने फीस मॉनिटरिंग कमेटी बनाने के बजाय फीस वृद्धि का फैसला कैबिनेट में ले जाकर मेडिकल कॉलेजों को लूट की खुली छूट दे दी।
त्रिवेंद्र रावत ने मेडिकल कॉलेजों की मनमानी के पक्ष में खड़े होकर साफ कहा था कि प्राइवेट इन्वेस्टर काफी खर्चा करता है इसलिए अगर फीस नहीं बढ़ाएंगे तो वह इन्वेस्ट क्यों करेंगे! लेकिन इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती है कि मुख्यमंत्री यह भूल गए हैं कि यह मेडिकल कॉलेज ट्रस्ट के द्वारा संचालित होते हैं और ट्रस्ट सरकार को टैक्स नहीं देते इसलिए इन्हें मनमानी फीस बढ़ाने की छूट देना सरासर गलत है।
सरकार ने न सिर्फ आने वाले वर्षों की फीस बढ़ा दी बल्कि 2016-17 और 17-18 की फीस बढ़ोतरी के लिए मेडिकल कॉलेजों को खुली छूट दे दी थी।
लिहाजा मेडिकल कॉलेजों ने 4 गुना तक फीस बढ़ा दी थी और छात्रों को नोटिस थमा दिया था कि जल्द से जल्द पिछले वर्षों की बढ़ी हुई बकाया फीस का भुगतान कर दें। इस तुगलकी फरमान को लेकर MBBS की पढ़ाई कर रहे छात्र अपने अभिभावकों के साथ आंदोलन पर उतर आए थे। 4 दिनों के आंदोलन में देशभर में सरकार की बदनामी के बाद सरकार को आखिरकार बैकफुट पर आना पड़ा। मेडिकल कॉलेजों द्वारा बढ़ती जा रही मनमानी का पूरा संज्ञान केंद्र सरकार को भी था।
इसके मद्देनजर केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव अरुण सिंघल ने 16 अक्टूबर 2017 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर फीस बढ़ाए जाने को लेकर राज्य सरकार के प्रति नाखुशी जाहिर की थी और इस मामले को फीस फिक्सेशन कमेटी में ले जाकर बढ़ी हुई फीस वापस लिए जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन सरकार ने फीस फिक्सेशन कमेटी बनाने के बजाय मेडिकल कॉलेजों को ही मनमानी फीस बढ़ाने की छूट दे दी थी।
आश्चर्यजनक बात यह है कि कैबिनेट की बैठक के बाद यह मामला राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए जाना था किंतु राज्यपाल की मंजूरी के पहले ही मेडिकल कॉलेजों ने छात्रों को बढ़ी हुई फीस का नोटिस थमा दिया था। एक प्रकार से यह पूरी तरह सरकार को अंदाजा हो गया था कि जैसे ही यह मामला सोमवार को कोर्ट में जाएगा कोर्ट इस पर स्टे दे देगी। इस पर सरकार की और भी अधिक छीछालेदर होनी थी।
छात्रों के आंदोलन, चारों तरफ हो रही बदनामी और हाईकोर्ट के डर से सरकार ने बढ़ी हुई फीस लेने का फैसला वापस कर दिया। सरकार के इस फैसले से पहले श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के बाहर 4 दिन से धरने पर बैठे छात्रों के दबाव मे कॉलेज के प्रिंसिपल ने वर्ष 2016-17 और 17-18 बैच की बढ़ी हुई फीस वापस लेने का निर्णय ले लिया था।
लेकिन एक बड़ा सवाल अभी वही है कि जो छात्र एडमिशन ले चुके हैं और अध्ययनरत हैं उनकी बढ़ी हुई पिछले सालों की फीस वापस हो जाएगी लेकिन जो आने वाले सत्र से नए एडमिशन होंगे उनको लेकर स्थिति ना तो सरकार ने साफ की है और ना ही मेडिकल कॉलेज ने।
हालंाकि सरकार का कहना है कि सरकार ने आने वाले वर्षों की भी फीस बढ़ोतरी वापस ले ली है।
जाहिर है कि यह आंदोलन अभी तक अध्ययनरत छात्रों द्वारा चलाया जा रहा था और उनकी एकमात्र मांग पिछले वर्षों को लेकर ही थी।
पर्वत जन के सूत्रों के अनुसार मेडिकल कॉलेजों को एक बार यह अहसास हो गया था कि यदि आंदोलन और भड़का और इसमें राज्य भर के और संगठन शामिल हुए तो कहीं सरकार को दबाव में आकर फीस बढ़ोतरी का पूरा फैसला ही निरस्त ना करना पड़ जाए। इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता निकालना उचित समझा और बीत चुके वर्षों की फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने का निर्णय ले लिया।
पर्वतजन की पुष्ट जानकारी के अनुसार जो भी फैसला मेडिकल कॉलेज छात्रों के डर के मारे करेंगे सरकार उसी फैसले को अपना फैसला बता कर लागू कर देगी। इस बात का प्रमाण यह है कि फीस बढ़ोतरी वापस लेने का फैसला पहले मेडिकल कॉलेजों ने किया उसकी प्रति भी बाकायदा छात्रों को बांट दी गई और उसके बाद सरकार ने इसका श्रेय खुद लेते हुए फीस बढ़ोतरी वापस लेने घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा नहीं चलने देंगे मनमानी
फीस वापसी के मुद्दे पर CM ने क्या कहा जरा यह भी पढ़ लीजिए
श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के निजी मेडिकल संस्थानों ने मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद मेडिकल कालेज़ों में फीस वृद्धि का निर्णय वापस ले लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा पूर्व में उनसे भेंट कर अवगत कराया था कि उन्हें संस्थानों की अवस्थापना सुविधाओं आदि के विकास के लिये बड़ी धनराशि व्यय करनी पडती है। इसके लिये उनके द्वारा मेडिकल छात्रों की फीस में वृद्धि का अनुरोध किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस में कई गुना वृद्धि किये जाने तथा कई अविभावकों द्वारा भी उन्हें फीस वृद्धि के संबंध में अवगत कराये जाने पर मेडिकल छात्रों के हित में संस्थानों को फीस वृद्धि वापस लेने को निर्देशित किया गया। जिस पर उनके द्वारा फीस वृद्धि वापस लेने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस वृद्धि वापस लिया जाना मेडिकल छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। उन्होंने कहा कि इससे मेडिकल के छात्रों को फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी को भी मनमानी नही करने दी जायेगी यदि कोई मनमानी करेगा तो उसके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल काॅलेज के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
और जब न्यूज़ चैनल के हाय हाय के लगे नारे
आज इस आंदोलन के दौरान पटेल नगर में गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के बाहर धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं ने 1 न्यूज़ चैनल के खिलाफ हाय-हाय के भी नारे लगाए इस न्यूज़ चैनल के खिलाफ आरोप है कि न्यूज़ चैनल ने स्कूल के मैनेजमेंट से सेटिंग करके छात्रों और अभिभावकों के बीच मतभेद होने की ही खबरें बनानी शुरू कर दी थी छात्रों को लगा कि इससे तो उनका आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा बस फिर क्या था उन्होंने न्यूज़ चैनल के संवाददाता को गाड़ी से उतार कर फिर से अपने बीच ले आए और उन्हें फिर से खबर बनाने के लिए कहा।
पाठक समझ सकते हैं कि मेडिकल कॉलेजों और न्यूज चैनलों के बीच विज्ञापनों के दबाव के कारण ही इस संवाददाता को ऐसा कहा गया होगा।