कृष्णा बिष्ट
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पिनानी गांव के एक अत्यंत निर्धन परिवार में वर्ष 1959 में जन्मे डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने आज केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली।
उत्तराखंड के मात्र 5 संसदीय सीटों से केंद्र सरकार में एक कैबिनेट मंत्री चुना जाना उत्तराखंड के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
निशंक को मंत्री पद से नवाज कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के प्रति अपने प्रेम का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है।
संक्षिप्त परिचय
वैसे तो डॉक्टर निशंक उत्तराखंड में किसी परिचय के मोहताज नहीं, किंतु इस मुबारक मौके पर उनके जीवन पर एक नजर।
डाॅ. निशंक की माता का नाम स्वर्गीय विश्वेश्वरी देवी और पिता का नाम स्वर्गीय परमानंद पोखरियाल है।
उत्तराखंड के लिए वर्ष 1980 से संघर्षरत रहे निशंक वर्ष 1987 में उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति के केंद्रीय प्रवक्ता नियुक्त हुए और वर्ष 1991 से वर्ष 2012 तक 5 बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विधानसभा में विधायक रहे।
वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए और लगातार तीन बार वर्ष 1993 एवं 96 में विधायक रहे वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में श्री कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री और उसके बाद 1999 में रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री रहे।
राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2000 में वह प्रदेश के पहले वित्त पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री बने।
वर्ष 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री रहे।
वर्ष 2009 में उत्तराखंड प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2011 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त हुए और वर्ष 2012 में ही डोईवाला क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए।
वर्ष 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए और वर्ष 2014 से 2019 तक लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति के सभापति रहे।
साहित्यिक यात्रा
डॉ. निशंक बचपन से ही कविता और कहानियां लिखते रहे उनका पहला कविता संग्रह वर्ष 1983 में समर्पण प्रकाशित हुआ। अब तक उनके 14 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 11 उपन्यास, 4 पर्यटन, 6 बाल साहित्य, 4 व्यक्तित्व विकास सहित कुल 5 दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
डॉ. निशंक के साहित्य का जर्मनी और स्पेनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच, नेपाली आदि विदेशी भाषाओं सहित तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, बंगाली, संस्कृत, मराठी आदि भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
डॉ. निशंक का साहित्य देश और विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। डॉ निशंक के साहित्य पर हम्वर्ग, जर्मन, मारीशस आदि देशों के विश्वविद्यालयों तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय गढ़वाल, विश्वविद्यालय मेरठ विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड सहित देश के अनेक विश्वविद्यालयों में शोध हो चुके हैं और हो रहे हैं।
सम्मान
देश के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, शंकर दयाल शर्मा, एपीजे अब्दुल कलाम एवं श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील एवं श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा उनकी पुस्तकों का राष्ट्रपति भवन में लोकार्पण एवं सम्मान हुआ है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा पुस्तक का विमोचन और भारत गौरव सम्मान भी प्राप्त हुआ है।
युगांडा के राष्ट्रपति द्वारा मानवीय शिखर सम्मान गया था और नेपाल सरकार द्वारा भी डॉक्टर निशंक को हिमाल गौरव सम्मान से विभूषित किया जा चुका है।
साहित्य सृजन के लिए श्रीलंका, जर्मन, हॉलैंड, रूस, जापान, इंडोनेशिया, भूटान आदि अनेक यूरोपीय देशों में सम्मान प्राप्त हुआ है।
मारीशस गणतंत्र द्वारा देश के सर्वोच्च सम्मान से भी डॉ निशंक को असाधारण उपलब्धि सम्मान प्राप्त हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय श्रीलंका द्वारा ऑफ साइंस एवं डी लिट की उपाधि और देश के अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा पी एच डी लिट की उपाधि मिली है।
देश विदेश की 300 से अधिक साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा राष्ट्र गौरव भारत गौरव आदि सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।