राज्य सरकार ने आज कर्मचारियों के 15 विभिन्न प्रकार के विशेष भत्ते समाप्त कर दिए हैं। यह भत्ते वर्ष 2016 की वेतन समिति द्वारा की गई संस्तुतियों के आधार पर निरस्त किए गए हैं।
वित्त सचिव अमित सिंह नेगी ने आज एक शासनादेश जारी कर 15 विशेष भत्ते समाप्त कर दिए।
इन विशेष भत्तों को 1 फरवरी से समाप्त समझा जाएगा।
इन 15 विशेष भत्तों में
स्वैच्छिक परिवार कल्याण भत्ता
प्रतिनियुक्ति भत्ता
प्रशिक्षण भत्ता
जीपीएफ पासबुक रखरखाव के लिए अनुमन्य प्रोत्साहन भत्ता कैश रोकड़ भत्ता
द्विभाषी कंप्यूटर भत्ता
आईपीएओ भत्ता (कोषागार उप कोषागार)
सचिवालय में तैनाती पर विशेष भत्ता
स्नातकोत्तर भत्ता
राजस्व विभाग के संग्रह अमीनों को लेखन सामग्री भत्ता
लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत नियोजन, डिजाइन ,शोध प्रशिक्षण वेतन एवं सहायक प्रतिपूर्ति भत्ता
अपराध अनुसंधान एवं अधिसूचना विभाग में कार्यरत कार्मिकों को अनुमन्य विशेष प्रोत्साहन भत्ता
अवैध खनन निरोधक सुरक्षा सतर्कता इकाई में कार्यरत कार्मिकों को अन्य विशेष प्रोत्साहन भत्ता
स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ को अन्य विशेष भत्ता
सतर्कता विभाग में तैनात कार्मिकों को अनुमन्य प्रोत्साहन भत्ता शामिल है।
कई भत्ते तो ऐसे हैं जिनका नाम सामान्य लोगों ने नहीं सुना होगा।
इसके अलावा आज मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों का प्रोत्साहन भत्ता मूल वेतन का 10% और अधिकतम ₹12500 प्रतिमाह कर दिया गया है।
उक्त भत्ता तैनाती अवधि में ही अनुमन्य होगा।
कर्मचारियों पर ज़ीरो टॉलरेंस की गाज
तो अफसरोंं पर सरकार जबरदस्त मेहरबान !
अफसरों ने बिज़नेस क्लास में एडजस्ट कराया
किराए,आवास सुविधा सब में इज़ाफ़ा।
Stf, cbcid, liu, inteligence, के कर्मियों के भत्ते कटे।
जबकि सीएम के साथ चलने वाले स्टाफ का पैसा बढ़ा
स्टेट पुलिस, और इंटेलिजेंस से ही कर्मी जाते हैं सीएम आवास,राज भवन।
इसके अलावा सड़क मार्ग किराए में इजाफा हुआ
जब आर्थिक संकट प्रदेश में है।
तो क्या सिर्फ कर्मचारी ख़ज़ाने पर बोझ हैं !
एक लाख से अधिक तनख्वाह पाने वाले अफसरों पर मेहरबानी क्यों !
क्या सरकार को पता ही नही चला
या फिर अफसर चला रहे सरकार
सिर्फ दरोगा सिपाहियों से ही ख़ज़ाने पर बोझ पड़ रहा है !!
यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रदेश के माली हालत के कारण औचित्य विहीन हो चुके इन भत्तों पर चली कैंची पर कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया आती है !