कुलदीप एस. राणा
मंगलवार का दिन देहरादून वासियों और मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के लिए काफी मंगलमय साबित हुआ।
देहरादून के मास्टरप्लान को निरस्त करने को लेकर लगभग 25 दिन पूर्व दिए उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे दे दिया है। जिससे एमडीडीए के साथ-साथ टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट बड़ी राहत महसूस कर रहा है। देहरादून के मास्टरप्लान को लेकर एस सी घिल्डियाल द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर 15 जून 2018 को आये निरस्तीकरण आदेश के बाद एमडीडीए में आम जनता के मकान के नक्शे पास होने से संबंधित समस्त कार्यों पर रोक लग गयी थी, जिसके बाद से एमडीडीए में दून वासियों के भवन इत्यादि से संबंधित लगभग 2000 से भी अधिक नक्शे पास होने से रोक दिए गये थे। जिसके खिलाफ उत्तराखंड सरकार व एमडीडीए ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस पर मंगलवार 10 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष बहस आरम्भ हुई । वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व सुनील गुप्ता समेत 9 वकीलों की टीम ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उत्तराखंड सरकार व एमडीडीए का पक्ष रखा। मास्टरप्लान पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के उपरांत सुप्रीम कोर्ट द्वारा आखिरकार हाई कोर्ट के निर्णय पर स्टे के आदेश दे दिए। सुप्रीम कोर्ट का उक्त निर्णय आ जाने के बाद एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ.आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अब प्राधिकरण में पूर्व की स्थिति बहाल हो जाएगी, जनता के नक्शे पास होने संबंधी कार्य जो हाइकोर्ट के आदेश के बाद रोक लिए गए थे अब पूर्व की भांति पुनः शुरू कर दिए जाएंगे।
वही उत्तरांचल आर्किटेक्ट इंजीनियर ड्राफ्टमैन ऐसोसियेसन के प्रदेश अध्यक्ष डी एस राणा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दूनवासियों के हित मे बताते हुए कहा कि स्टे मिल जाने के बाद अब राज्य सरकार को वन एवं पर्यावरण की एनओसी से संबंधित उन तमाम औपचारिकताओं को जल्द से जल्द पूर्ण करने की कार्यवाही करनी चाहिए, जिन कारणों को लेकर हाइकोर्ट ने मास्टर प्लान को निरस्त करने के आदेश दिए थे।