नीरज उत्तराखंडी
पुरोला। एक कहावत है कि असहाय तथा मरीजों की सेवा करना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। कुछ ऐसा ही परमार्थ का कार्य मां कल्याणकारी समिति पुरोला ने करके इस कहावत को चरितार्थ किया है।
अमूमन देखा जाता है कि अधिकांश लोग ऐशोआराम की चीजों को खरीदने उनका उपभोग करने के लिए जरूरत से ज्यादा धन खर्च करते हैं। यदि बात धार्मिक आस्था एवं विश्वास के नाम चंदा या दान देने या शादी पार्टियों में न्यौता लिखवाने से जुड़ी हो तब तो बहुत बढकर योगदान करते हैं ।
लेकिन जब किसी असहाय पीडित बीमार की मदद करने की आवश्यकता पडती है तो अक्सर बडी बडी हस्तियां हाथ खींच लेती है, लेकिन हमारे पहाड़ में अभी भी मानवता जिन्दा है।
अक्सर ये भी देखने को मिलता है कि कई समितियां या संस्थाएं बनाई तो लोक कल्याण के लिए जाती है, लेकिन वह स्वकल्याण तक सीमित हो जाती है। लेकिन कुछ समितियां या संस्थाएं ऐसी भी है जो धरातल पर जन कल्याणकारी कार्य को अंजाम देकर दूसरी संस्थाओं के लिए सबक और प्रेरणा की सीख देती हैं ।
ऐसा ही कर दिखाया पुरोला की मां कल्याण समिति ने।जिसने असाध्य रोग से जूझ रही पुरोला तहसील के ठंडूग गांव निवासी काजल की आर्थिक मदद के लिए व्यापारियों से चंदा एकत्र कर 70 हजार रूपये की एक विशाल धनराशि जुटाई और काजल के गांव जाकर उसके परिजन को भेंट की। महिला संगठन के इस मानवीय कृत्य की हो रही है। मां की ममता को माताएं ही समझ सकती है। मां कल्याण समिति ने अपने नाम के अनुरूप जो जन कल्याण का कार्य किया है। वह सदैव याद किया जायेगा।
गौरतलब है कि पुरोला की महिला संगठन “मां कल्याणकारी समिति ” ने बाजार से चंदा जुटा कर काजल से उसके गांव जाकर उसका हाल चाल पूछा तथा 70 हजार की आर्थिक मदद की। काजल के लिए आर्थिक धनराशि जुटाने तथा मुलाकात करने वालो में महिला संगठन की अध्यक्ष सुशीला शर्मा, मीना सेमवाल, रेखा रावत, अम्बिका, अत्री देवी, सुलोचना, राजकुमारी, मनीता आदि शामिल थी। इस अवसर पर विधायक प्रतिनिधि मोहब्बत नेगी भी उपस्थित रहे।
यह भी बताते चले कि काजल के इलाज के लिए उसके माता-पिता अपने खेत तथा गहने तक बेच चुके हैं, लेकिन उसकी गर्दन पर बना फोडा नासूर बनता जा रहा है। आर्थिक स्थिति बदहाल होने के कारण उसका इलाज नहीं हो पा रहा है।ऐसे समय में हमने अपने समाचार पत्र न्यूज पोर्टल पर्वतजन तथा फेसबुक पर अपने साथियों के साथ 16 मई को मुहिम शुरू की, जो धीरे-धीरे रंग लाती दिख रही है।
सभी का आभार एवं धन्यवाद