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ये कैसा परिसंपत्ति बंटवारा: डेढ करोड़ के बदले गंवाए अरबों 

May 28, 2018
in पर्वतजन
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उत्तराखंड की जमीन पर यूपी का पर्यटक आवास गृह
कुमार दुष्यंत
   हरिद्वार में करीब पचास करोड़ की लागत से बनने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के सौ कमरों के अत्याधुनिक पर्यटक आवास गृह का आज यहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिलान्यास किया।इस मौके पर उप्र की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी सहित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक आदि भी यूपी सरकार की खुशी के इस मौके पर शरीक हुए ।
हरिद्वार में गंगा किनारे जिस बेशकीमती भूमि पर यूपी का यह आवास गृह बनेगा, वह जमीन उत्तराखंड सरकार ने एक समझौते के तहत उत्तर प्रदेश को प्रदान की है।समझौते के तहत इस भूमि के बराबर में स्थित अलकनंदा रिजार्ट जो कि पिछले पंद्रह सालों से स्वामित्व को लेकर दोनों राज्यों के बीच उलझा हुआ था, उत्तराखंड का होगा।जबकि यूपी समझौते में उत्तराखंड से अलकनंदा के बराबर में प्राप्त भूमि पर अपना पर्यटक आवास गृह बनाएगा।उत्तराखंड सरकार द्वारा अपने अधिकार के अलकनंदा रिजार्ट के बदले यूपी को इस रिजार्ट के ही बगल में बेशकीमती भूमि देने के निर्णय पर शुरू से ही सवाल उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने Facebook पर इस पर संपत्ति बंटवारे को एक बड़ी सफलता बताया है जबकि यह एक बड़ा नुकसान है।
आप भी देखिए सीएम त्रिवेंद्र रावत की पोस्ट
उत्तराखंड के गठन के बाद केंद्र द्वारा अलकनंदा रिजार्ट उत्तराखंड को सौंपने का निर्णय लिया गया था।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम की व्यवस्था थी कि जो संपत्ति जिस राज्य के परिक्षेत्र में अवस्थित हो, उसी की मानी जाएगी के तहत भी अलकनंदा पर उत्तराखंड का ही दावा बनता था।लेकिन फरवरी 2003 में जब उत्तराखंड के अधिकारी अलकनंदा पर कब्जा लेने पहुंचे तो उन्हें यह कहते हुए लौटा दिया गया कि अलकनंदा यूपी का है।तब ही से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित था।दिसंबर में न्यायालय ने दोनों राज्य सरकारों  को मामला मिल बैठकर सुलझा लेने का अवसर दिया था।जिसके बाद अलकनंदा के बदले यूपी को भूमि देने का निर्णय लिया गया।और उत्तर प्रदेश को लैंड यूज बदलकर उत्तराखंड सिंचाई विभाग के स्वामित्व की बेशकीमती भूमि आवास गृह निर्माण के लिए दे दी गयी।
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गले नही उतर रहा समझौता
यह समझौता आरंभ से ही किसी के गले नहीं उतर रहा।इसका पहला कारण तो यह है कि कोर्ट में अलकनंदा को लेकर उत्तराखंड सरकार की मजबूत दावेदारी थी।स्टेट पुनर्गठन एक्ट भी उसके ही पक्ष में था।इसके बावजूद समझौते के नाम पर यूपी को तेरह हजार वर्ग मीटर के अलकनंदा के बदले सत्तासी हजार वर्ग मीटर भूमि दिया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा।इसे यूं भी समझा जा सकता है कि वर्तमान सर्किल रेट के अनुसार जहां अलकनंदा क्षेत्र की कीमत महज 1करोड़ 34 लाख है।वहीं यूपी को दिये क्षेत्र की सर्किल वैल्यू आठ करोड़ है।हकीकत में यह भूमि सैंकड़ों करोड़ की है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को दृढ़ इच्छा शक्ति वाला मुख्यमंत्री बताने वाले हरीश रावत भी त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़ा कर चुके हैं।
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 अब नहीं हो रहा एनजीटी मानकों का उल्लंघन
उत्तर प्रदेश इस होटल को बिल्कुल गंगा नदी के किनारे से सटाकर बना रहा है और उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनों संयुक्त रूप से इसका भूमि पूजन कर चुके हैं।
सवाल यह है कि क्या अब एनजीटी के मानकों का उल्लंघन नहीं हो रहा है ! यदि सरकार अपने लिए मानकों का पालन नहीं करेगी तो फिर वह गंगा के किनारे बेतरतीब निर्माणों को किस तरह से रोक पाएगी यह एक बड़ा सवाल है !

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