पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

ये कैसे रत्न!

December 7, 2016
in पर्वतजन
ShareShareShare

Advertisement
ADVERTISEMENT

‘इस राज्य में जो न हो , वही कम है’  ‘उत्तराखंड राज्य मेरी लाश पर बनेगा’, कहने वाले राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बन गए। जो लोग उत्तराखंड राज्य बनाने का विरोध ही नहीं करते थे, बल्कि आंदोलनकारियों को गालियां तक देते थे, राज्य बनने के बाद वही लोग राज्य आंदोलनकारी चिन्हित हो गए। जिस सांस्कृतिक व भाषाई पहचान के लिए भी राज्य की लड़ाई लड़ी गई, वही राज्य बनने के बाद सबसे ज्यादा खतरे में पड़ गई। जो लोग ग्राम प्रधान बनने तक की कुव्वत नहीं रखते थे, वे लोग राज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था विधानसभा की शान बढ़ाने लगे हैं। जिस देरादून को राज्य की अस्थाई राजधानी घोषित किया गया, उसका कोई शासनादेश तक जारी नहीं हुआ हो और वह असंवैधानिक रूप से पिछले सोलह साल से राजधानी बनी हुई हो, ऐसे में किसी भी मुख्यमंत्री व सरकार को कोई भी निर्णय लेने की छूट तो मिल ही जाती है। वह चाहे फिर लोगों की भावनाओं को कितना ही चोट क्यों न पहुंचाती हो?

ऐसे में मुख्यमंत्री हरीश रावत भी क्यों पीछे रहें? कुछ ऐसे निर्णय करने का अधिकार तो उन्हें भी मिल ही जाता है, जो विवादित ही नहीं, लोगों के दिलों पर चोट करने वाले भी हों। वैसे भी जनता की भावनाओं की कद्र सत्ता तब तक नहीं करता, जब तक कि उसे इसके लिए वोट का खतरा न दिखाई दे। ऐसे में अब वह अपने यौनाचार की आदतों के लिए कुख्यात रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को ‘उत्तराखण्ड रत्नÓ घोषित कर देते हैं तो आश्चर्य कैसा?
वास्तव में यह समय राजनैतिक दिवालिएपन और नेताओं के बौने कद का है, जिसमें वे जनता के हित में लिए गए निर्णयों के कारण नहीं , बल्कि जनविरोधी फैसलों के लिए कुख्यात होना चाहते हैं। उन्हें जनता के भावनाओं की नहीं, बल्कि अपनी तुच्छ राजनीति की चिंता ज्यादा है। जिसके लिए उनमें जनता का आदर्श बनने की नहीं, बल्कि इस बात की होड़ लगी है कि नैतिक रूप से कौन कितना नीचे गिर सकता है? अब राज्य स्थापना के दिन मुख्यमंत्री हरीश रावत ऐसे व्यक्ति को उत्तराखण्ड रत्न घोषित कर दें, जिसे लगभग 80 साल की उम्र में राजभवन से इसलिए बर्खास्त करने की स्थिति बन जाती है, क्योंकि वह अपनी उम्र व पद की मर्यादा को अपने यौनाचार की आदतों के कारण शर्मसार कर देता है। जिसके राजभवन व मुख्यमंत्री निवास में रहते हुए महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस न करती हों। जो अपने अवैध संबंधों से पैदा हुए पुत्र को पुत्र न मानने के लिए आठ साल तक कानून की कमजोरियों का फायदा उठाता रहा हो और अन्तत: न्यायालय की सख्ती के बाद ही उसे पुत्र मानने को बाध्य हुआ हो। तो इसमें दोष मुख्यमंत्री हरीश रावत का नहीं, बल्कि समय का है, जो अनैतिकता को आदर्श बनाने व मानने में लगा हुआ है।
बताते चलें कि उत्तराखंड सहित पूरे देश में 25 दिसम्बर 2009 को तब सनसनी फैल गई थी जब हैदराबाद के एक तेलगू चैनल ‘एबीएन आन्ध्र ज्योतिÓ ने आन्ध्र प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल एनडी तिवारी के कुछ आपत्तिजनक दृश्यों का प्रसारण किया। जिनमें तीन युवा महिलाओं के साथ तिवारी को बेहद आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। हैदराबाद राजभवन के सेक्स कांड के बाद उत्तराखंड ने खुद को बेहद शर्मसार महसूस किया था, क्योंकि राज्य की पहली निर्वाचित सरकार का मुख्यमंत्री सुदूर प्रदेश के राजभवन में लाट-साहब बनने के बाद कैमरे के सामने अपनी पोतियों की उम्र की लड़कियों के साथ यौनाचार करता हुआ पकड़ा गया। तब पूरे देश में हल्ला हो गया था।
आन्ध्र प्रदेश में तब महिलाएं इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आई थी। जिसके बाद दबाव में आई केन्द्र सरकार को एनडी तिवारी को राज्यपाल पद से त्यागपत्र देने के निर्देश देने पड़े थे। राजभवन से अपने यौनाचार के कारण जब एनडी को जबरन बेआबरू होकर बेदखल होना पड़ा था तो कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे पूरी तरह से किनारा ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस मुख्यालय में उनके प्रवेश पर अघोषित प्रतिबंध तक लगा दिया था। उसके बाद कांग्रेस के अंदर एनडी का एक तरह से सामाजिक बहिष्कार हो गया और अधिकतर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तिवारी से एक दूरी बना ली थी। जिस व्यक्ति का कांग्रेस नेतृत्व ने सामाजिक व राजनैतिक बहिष्कार किया हो, उसी व्यक्ति को कांग्रेस सरकार के एक मुख्यमंत्री द्वारा सामाजिक व राजनैतिक सम्मान के रूप में ‘उत्तराखंड रत्न’ जैसा सम्मान देना अपने आप में कई नैतिक, सामाजिक व राजनैतिक सवाल खड़े करता है।
समझ नहीं आ रहा है कि यह उत्तराखंड के लिए सम्मान की बात है कि अपमान की? सामाजिक व राजनैतिक रूप से चारों ओर से इस बारे में रहस्यमय चुप्पी तो और भी खतरनाक है। अगर यौनाचार की हरकतों के लिए कुख्यात लोग ही उत्तराखंड के रत्न हैं तो राज्य का भविष्य साफ दिख रहा है कि वह किस ओर जा रहा है और किस तरह के बौने लोगों को हमने सत्ता पर बैठा कर अपने भविष्य का निर्माता बना दिया है?


Previous Post

गैरसैंण पर सियासी पाखंड

Next Post

PM मोदी के नाम पर सत्ता परिवर्तन का बिगुल बजा गए अमित शाह

Next Post

PM मोदी के नाम पर सत्ता परिवर्तन का बिगुल बजा गए अमित शाह

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • उम्मीद: श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में स्टेज-3 एडवांस कोलन कैंसर की सफल सर्जरी
  • भ्रष्टाचार: अब इस IFS ने कर दिया कॉर्बेट 2 घोटाला।  CBI और ED से जांच की सिफारिश 
  • बड़ी खबर : राशन कार्ड धारक हो जाए सावधान ।25 लाख से ज्यादा राशन कार्ड होंगे रद्द !
  • एक्शन : 20 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार चकबंदी लेखपाल
  • बड़ी खबर: 25 OTT ऐप्स और वेबसाइट्स ब्लॉक | हो जाए सावधान,जानिए पूरी लिस्ट
  • उत्तराखंड
  • टेक
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • हेल्थ
July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
« Jun    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!