महंत इन्दिरेश अस्पताल प्रबन्धन ने किया सवाल क्या एनसीडीसी की प्रमाणिकता को प्रमाणिकता नहीं माना जाना चाहिए
एनसीडीसी गुणवत्ता व कार्यप्रणालीं पर पूरी तरह संतुष्ट, तो फिर प्रमाणिकता पर भ्रम क्यों फैलाया जा रहा
स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखण्ड व सीएमओ देहरादून से श्री महंत इन्दिरेश ने फोन पर किया सम्पर्क, दोनों अधिकारियों ने ऐसी किसी समाचार को भेजे जाने से किया इंकार, रिपोर्ट की जानकारी के बारे में भी जताई अनभिज्ञता
देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की उत्तराखण्ड की एकमात्र मोलीक्यूलर लैब के प्रमाणिकता को लेकर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं वे सवाल अब खुद सवालों के घेरे मे खड़े होते नज़र आ रहे हैं। अस्पताल की मोलीक्यूलर लैब में स्वाइन फ्लू सैम्पलों की टेस्टिंग एनसीडीसी (नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज़ कंट्रोल) नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त होने के बाद ही शुरू की गई। एनसीडीसी के नियमानुसार हम निरन्तर 5 से 10 प्रतिशत सैम्पल एनसीडीसी नई दिल्ली को क्राॅस वेरीफिकेशन के लिए भेज रहे हैं। इन सैम्पलों में हमारे व एनसीडीसी के बीच सैम्पल परिणामों में कोई भिन्नता नहीं पाई गई है। इन सभी साक्ष्यों व प्रमाणों के साथ श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल प्रबन्धन शुक्रवार को मीडिया के साथ रूबरू हुआ। मीडिया के समक्ष सबसे बड़ा सवाल रखते हुए पूछा कि दिल्ली से आई टीम ने अस्पताल के सन्दर्भ में जो रिपोर्ट जारी की है, मीडिया में जाने से पहले उसकी प्रतिलिपि जनहित में अस्पताल प्रबन्धन को क्यों उपलब्ध नहीं कराइ गई ?
श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ के प्राचार्य डाॅ अनिल कुमार मेहता, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ (ब्रिगेडियर) विनय राय, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डाॅ जगदीश रावत व मोलीक्यूलर लैब के इंचार्ज डाॅ नरोत्तम शर्मा ने स्वाइन फ्लू लैब की मान्यता से जुड़े प्रपत्रों, अस्पताल की लैब से एनसीडीसी को क्राॅस वेरीफिकेशन के लिए भेजे गए सैम्पलों व उनके परिणामों की रिपोर्ट सहित अन्य प्रपत्र मीडिया के साथ सांझा किए।
मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ अनिल कुमार मेहता ने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल 1500 बिस्तरों का उत्तराखण्ड में सबसे बड़ा अस्पताल है। उत्तराखण्ड व आसपास के क्षेत्रों में खुले छोटे-छोटे अस्पतालों व क्लीनिकों से मरीजों को रैफर करने के लिए सबसे बड़ा केन्द्र है। मेडिकल कांउसिल आॅफ इण्डिया द्वारा समय समय पर श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइसेज़ एवम् श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की व्यवस्थाओं का निरीक्षण एवम् मूल्यांकन करता है। एमसीआई की सभी कसौटियों पर खरा पाए जाने के आधार पर ही एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज वर्तमान में उत्तराखण्ड में सर्वाधिक एमबीबीएस, एमडी व एमएस की सीटों वाला मेडिकल काॅलेज है। एमसीआई व राष्ट्रीय स्तर की अन्य एजेंसियों के मूल्यांकन में हम पूरी तरह खरे उतर रहे हैं, स्थानीय स्तर पर ऐसी परेशनियां क्यों खड़ी की जा रही हैं। बड़ी लकीर को छोटा करने की कोशिश में उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी अपनी नाकामियों को छुपाने का काम कर रहे हैं।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ विनय राय ने कहा कि स्वाइन फ्लू के कारण हुई मरीजों की मौत का स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेथ आॅडिट किया गया। डेथ आॅडिट के परिणामों में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल खरा उतरा। उत्तराखण्ड में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां एक ही विभाग में कई कई विशेषज्ञ डाॅक्टर्स उपलब्ध हैं। अस्पताल में अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सबसे अधिक आईसीयू बैड्स हैं।
स्वाइन फ्लू लैब के इंचार्ज डाॅ नरोत्तम शर्मा ने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल स्वाइन फ्लू लैब की व्यवस्थाएं एनसीडीसी व अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। हम निरंतर एनसीडीसी नई दिल्ली के सम्पर्क में हैं। मोलीक्यूलर लैब की क्वालिटी व अन्य मापदण्डों को जाॅच करने वाली एनसीडीसी (नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज़ कंट्रोल) को अस्पताल की स्वाइन फ्लू लैब की गुणवत्ता, कार्यप्रणांली व जाॅच परिणामों पर कोई ऐतराज़ नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या एनसीडीसी नई दिल्ली की मान्यता को मान्यता नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि एनसीडीसी के नियमानुसार हम निरन्तर 5 से 10 प्रतिशत सैम्पल एनसीडीसी नई दिल्ली को क्राॅस वेरीफिकेशन के लिए भेज रहे हैं। इन सम्पलों में हमारे व एनसीडीसी के बीच सैम्पल परिणामों में कोई भिन्नता भी नहीं पाई गई है। उन्होंने एनसीडीसी द्वारा क्राॅस वेरीफिकेशन के बाद भेजे गए पत्र की प्रति भी मीडिया के साथ सांझा की।
यह भी है बड़ा सवाल
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की लैब के अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखण्ड में अब तक कोई भी निजी लैब या सरकारी लैब मोलीक्यूलर लैब स्थापित करने की अर्हता को पूरा नहीं कर पाई है। ऐसा भी लगता है कि स्वाइन फ्लू के कारण राज्य में हुई सर्वाधिक मौतों के आंकड़ों से ध्यान हटाने के लिए सरकारी तंत्र लैब के परिणामों पर यह बाजीगरी का यह खेल कर रहा है। श्री महंत इन्दरेश अस्पताल की स्वाइन फ्लू लैब से मरीजों को 6 घण्टे में जाॅच परिणाम मिल रहे हैं फिर क्यों बार-बार लैब के परिणामों पर भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही।
एनसीडीसी बनाम स्वास्थ्य विभाग
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की स्वाइन फ्लू लैब की मान्यता, कार्यप्रणांली व स्वाइन फ्लू सैम्पलों के क्राॅस वेरीफिकेशन के लेकर अस्पताल की लैब एनसीडीसी की गाइडलाइन के अनुसार कार्य कर रही है। एनसीडीसी भी लैब की कार्यप्रणांली से संतुष्ट है। एनसीडीसी मान्यता को लेकर क्लीयर है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से मान्यता को लेकर भ्रम की स्थिति क्यों।
वार्षिक नवीनीकरण पर स्पष्टीकरण
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की सेंट्रल लैब एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब है। इस लैब का निर्धारित समयानुसार नवीनीकरण किया जाता है। एनसीडीसी की गाइडलाइन के अनुसार माॅलीक्यूलर लैब को एनसीडीसी की गाइडलाइन के अनुसार 5 से 10 प्रतिशत सैम्पल क्राॅस वेरीफिकेशन के लिए भेजने होेते हैं, जो हम नियमित तौर पर भेज रहे हैं।
“हमारी लैब एनसीडीसी की गाइडलाइन के अनुसार बिल्कुल सही”
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ विनय राय ने कहा कि एनसीडीसी की गाइडलाइन के अनुसार हमारी माॅलीक्यूलर लैब सभी अर्हताएं पूरी करती है। लैब के सैम्पल रिपोर्ट व एनसीडीसी के सैम्पल रिपोर्ट में कोई भिन्नता नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि किसी मरीज़ के सैम्पल जाॅच रिपोर्ट में एनसीडीसी ने भिन्नता पाई है तो ऐसे जाॅच परिणाम रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने चाहिए।