चीता पुलिस का कारनामा: सब्जी वालों से कर रहा अवैध वसूली!
देहरादून के थाना कोतवाली सदर क्षेत्र में यह चीता पुलिस के कर्मचारी सब्जी वालों से अवैध वसूली करते पाए गए।
7 दिसंबर को होने वाले सशस्त्र झंडा दिवस के फ्लैग वह सब्जी वालों को जबरन बेच रहे थे। वह प्रत्येक सब्जी वाले से ₹30 ले रहे थे।
सब्जी वालों के मना करने पर भी वह उनके साथ हाथापाई करने से भी बाज नहीं आ रहे थे। जब सब्जी वालों ने एतराज किया तो उन्होंने कहा कि यह झंडी अपनी तराजू पर लगा लो इससे तुम्हारा चालान नहीं होगा। वरना 500रुपये का चालान किया जाएगा।
जाहिर है कि या तो इस चीता पुलिस के कर्मचारी को झंडी बेचने का टारगेट मिला हुआ है या फिर यह खुद ही झंडा दिवस के नाम पर अपने लिए अवैध वसूली कर रहा है।
हकीकत चाहे जो भी हो लेकिन इतना तय है कि चीता पुलिस के इन कर्मचारी की इस हरकत से सब्जी वाले तो परेशान थे ही, सब्जी खरीदने आए हुए आम लोग भी बेहद गुस्से में दिखे। उन्हीं में से एक महिला ने अपने जागरुक नागरिक होने का परिचय देते हुए चीता पुलिस की और इसके द्वारा बेची गई कुछ झंडी की तस्वीरें भेज कर हमें चीता पुलिस की कारस्तानी से वाकिफ कराया।
जाहिर है कि राजधानी क्षेत्र में इस तरह की अवैध वसूली, वह भी थाना कोतवाली के चंद कदम के फासले पर, पुलिसिया कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाती है।
यह खेल झंडा दिवस के नाम पर शहर में और भी कितनी जगह चल रहा होगा, कहा नहीं जा सकता। झंडा दिवस आने में अभी लगभग 12 दिन शेष हैं। तब तक इस तरह के चीता पुलिस कर्मचारी कितने लोगों को चूना लगा चुके होंगे और इनकी कारस्तानी को खुले आम देखने वाली जनता के मन में पुलिस मित्र की क्या छवि तैयार होगी, यह सोचने वाली बात है। बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह चीता पुलिसकर्मी उच्चाधिकारियों की शह या निर्देश पर ऐसा कर रहा है। और यदि वह खुद से ही इस वसूली में लिप्त है तो क्या इसे अपनी नौकरी का खौफ नही। इस संबंध में जब क्षेत्रीय कोतवाल श्री जुयाल से उनके नंबर 9411112809 पर बात की गई तो उनका कहना था यह 20और 30रुपये मे पुलिस बिक्री कर रही है। लेकिन यदि कोई झंडी नहीं लगाना चाहते तो जबरदस्ती नही है। जब इस संबंध में एसएसपी निवेदिता कुकरेती से बात की गई तो उनका कहना था कि वह इस मामले को दिखवा रही हैं और जिसकी भी गलती होगी उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
अगर पुलिस के अधिकारियों की अनुमति झंडा बेचने में है तो यह भी एक अहम सवाल है कि यह कैसे तय होगा कौन सा झंडा किस व्यक्ति को कितने दाम पर बेचा गया और कुल कितना पैसा एकत्रित हुआ। जाहिर है कि यदि ऐसा कोई नियम है भी तो उसे और भी अधिक पिन पॉइंट होना चाहिए। ताकि जवानों के प्रति स्वेच्छा से कंट्रीब्यूशन कर रहे नागरिकों के नाम पर लोग पुलिस की मनमानी और अवैध वसूली का शिकार न हों।