विगत तीन वर्षों से निष्कंटक राज कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्री एक बार फिर वही हरकतें करने लगे हैं, जिनके लिए वे वर्षों से जा
ने जाते हैं।
पर्वतजन ब्यूरो
भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे किस प्रकार भ्रष्टाचार की जड़ें धीरे-धीरे पैर पसार रही है, संभवत: इसका भान नरेंद्र मोदी को भी नहीं। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में सुशासन की बात कर रहे हैं, वहीं उन्हीं के इर्द-गिर्द के लोगों ने मोदी का रायता फैलाना शुरू कर दिया है। तमाम चुनावी रैलियों में पुरजोर तरीके से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाडऩे की सौगंध खाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले यह शुरुआत भाजपा दफ्तर से ही करनी होनी, क्योंकि वर्षों से भ्रष्टाचार के वातावरण में फल-फूलकर आगे बढ़े लोग इतनी जल्दी सुधर जाएंगे, इसकी कल्पना करना अभी मुश्किल है।
ताजा उदाहरण उस उत्तराखंड का है, जहां हाल ही में अपने दल की सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ जी-जान से मेहनत की, बल्कि खुद को मोर्चे पर भी झोंका, लेकिन उसी उत्तराखंड में मोदी सरकार को विफल करने और उन्हें बदनाम करने का भी खाका खींचा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री की सेवा में लगे रहने वाले आधा दर्जन सेवादारों में से एक सेवादार प्रधानमंत्री मोदी कीसरकार से वेतन पाता है। संगठन महामंत्री संजय कुमार के इर्द-गिर्द घूमने वाले और उनके लिए काम करने वाले इन लोगों में मोदी सरकार ने कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा के निजी सहायक (पीए-२) सतीश कविदयाल भी शामिल हैं। कपड़ा राज्य मंत्री का कार्यालय कहां है, कपड़ा मंत्रालय में क्या काम हो रहे हैं और कपड़ा मंत्री क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं, से कोसों दूर सतीश कविदयाल का काम संजय की सेवा करना है। सतीश कविदयाल लंबे समय से संजय की सेवा में कार्यरत हैं। केंद्र सरकार में अजय टम्टा के कपड़ा राज्य मंत्री बनने के बाद संजय कुमार ने भाजपा के बड़े नेता शिव प्रकाश से आग्रह कर सतीश कविदयाल की केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा के निजी सहायक के रूप में तैनाती करवाई।
राष्ट्रीय महामंत्री शिव प्रकाश ही वो नेता हैं, जिन्होंने अजय टम्टा को मंत्री बनवाया। यही कारण है कि अपने प्रिय शिष्य उत्तराखंड के संगठन महामंत्री संजय कुमार की सेवा में लगे रहने वाले सतीश कविदयाल को आज वे भारत सरकार से वेतन दिलवा रहे हैं।
चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपा जहां एक ओर अब इस मसले पर खुद बेनकाब हो चुकी है, वहीं दूसरी ओर संजय के शागिर्द को इस प्रकार नैतिकता को ताक पर रखकर नियुक्ति देना और उस शागिर्द का भारत सरकार में काम करने की बजाय देहरादून स्थित भाजपा दफ्तर में महामंत्री संगठन के लिए भोजन बनाना, कपड़े धुलना, राशन-पानी लाना साबित करता है कि भाजपा की कथनी-करनी में भारी अंतर है।
संगठन महामंत्री संजय और विवादों का चोली-दामन का साथ है। संजय कुमार की कई मौखिक और लिखित शिकायतें भाजपा हाईकमान को कई बार सबूतों के साथ की जा चुकी हैं, किंतु राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल और संगठन महासचिव शिव प्रकाश की कृपा से संजय कुमार अभी तक बचे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी को खून-पसीने से सींचने वाले कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि यदि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आई तो एक बार फिर संजय के खिलाफ मोर्चा खुल सकता है।
बहरहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे हो रहे इस प्रत्यक्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी क्या कदम उठाते हैं, इसका उत्तराखंड के लोगों को जरूर इंतजार रहेगा।