कृष्णा बिष्ट
निर्वाचन अधिकारियों ने कल मतदान केंद्र के अंदर फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने वाले तमाम भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज किए लेकिन ठीक इसी बीच विधायकों और सांसद में भी मतदान करते समय अपनी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी लेकिन निर्वाचन अधिकारियों ने जानबूझकर इन माननीयों द्वारा कानून तोड़े जाने का कोई संज्ञान नहीं लिया।
खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने मतदान केंद्र के अंदर जाकर बाकायदा वोट देने के लिए बने केबिन के अंदर से विक्ट्री का चिन्ह बनाते हुए फोटो खिंचवाई और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी। यही नहीं कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुवरानी देवयानी हरिद्वार की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, उन्होंने तथा उनके पुत्र ने भी कुंवर प्रणव के साथ मतदान केंद्र से अपनी फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी लेकिन निर्वाचन अधिकारियों ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया।
ठीक इसी तरह से बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने भी मतदान केंद्र के अंदर से अपनी फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर डाली इसका भी निर्वाचन अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
यही नहीं सांसद प्रदीप टम्टा और सांसद प्रत्याशी तीरथ सिंह ने भी मतदान केंद्रों के अंदर से फोटो खिंचवा कर और भाजपा के चुनाव चिन्ह के साथ फोटो खिंचवाई।
यह लोक प्रतिनिधित्व कानून का सरासर उल्लंघन है और इसमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है लेकिन हमारे जनप्रतिनिधियों को ही कानून की कोई चिंता नहीं है।
जाहिर है कि इन्होंने बड़े नेताओं का नाम सामने आने पर चुपचाप आंखें मूंद ली। बड़ा सवाल यह है कि क्या कानून का राज सिर्फ छुट भइया कार्यकर्ताओं के लिए है, अथवा कानून की नजर में सब कुछ समान है।
होना तो यह चाहिए कि संसद और विधानसभा में कानून बनाने वाले हमारे जनप्रतिनिधि जब खुद ही कानून तोड़े तो उन्हें इसकी अधिक सजा मिलनी चाहिए क्योंकि उनकी जवाबदेही ज्यादा है जब हमारे जनप्रतिनिधि ही खुद कानून तोड़ेंगे तो भला छोटे कार्यकर्ताओं और आम जनता से कानून के पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है !