उत्तरकाशी के बड़कोट नगर में राजीव आवास योजना के लाभार्थियों में खुशी की लहर
प्रेम पंचोली
विशीला देवी का मकान वर्षों से जर्जर हालात में था। थोड़े से भूकम्प के झटके और बरसात में उन्हें कई बार रातें बाहर गुजारनी पड़ती थी। विशीला इस बात से बेहद खुश नजर आती हैं कि बिना कोई राजनीतिक पहुंच के वह अपने फ्लैट में रह रही हैं। उसकी खुशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी कोई उनके घर आता है तो उन्हें वह फ्लैट का मुआयना जरूर करवा देती है।
जशोदा रावत और सुनिता रावत की कहानी विशीला से जुदा है। उनके पति के पास इतना बड़ा रोजगार नहीं था कि वे अपने जीर्ण-शीर्ण भवन की हालत को सुधार पाये। वे अपने खस्ताहाल भवन में डरी-सहमी रातें गुजारती थी। वे अचंभित है कि उन्होंने मौजूदा नगर पालिका के अध्यक्ष को वोट तक नहीं दिया, फिर भी उनकी स्थिति को प्रमुखता से समझा गया। सुनिता कहती हैं कि विकास का पैमाना यही है। लगभग 26 वर्षीय सरिता टम्टा की कहानी तो बिल्कुल अलग है। वे परिवार से जिस वक्त अलग हुई, उन्हीं दिनों उसके पति की एक मोटर दुर्घटना में मौत हो गयी। भवन विहीन और पति का साया छूट जाने से सरिता के सिर पर पहाड़ टूटने जैसे हालात हो गये। छोटे बच्चों की परवरिश, सिर छुपाने के लिए एक अदद छत की चिंता सरिता के माथे पर मंडराती रही। पर वह मौजूदा समय में इतनी खुश है कि बिना सिफारिश उनका चयन राजीव गांधी आवास योजना के अंर्तगत हुआ। आज वह और उसके बच्चे एक सुरक्षित छत के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पहाड़ों में जगह और जमीन की कमी के चलते ढांचागत विकास में हालातों से समझौता करना होता है। फिर भी लोग बड़कोट बाजार की सुंदरता को देखते ही कह देते हैं कि ऐसा विकास उनके गांव तक होना चाहिए। अपनी रिश्तेदारी में टिहरी से आये मेहरबान सिंह नेगी, केदार सिंह बिष्ट का कहना है कि वे कई वर्ष पहले बड़कोट आये थे। उन दिनों बड़कोट शहर में न तो यातायात के लिए व्यवस्थित जगह कहीं नजर आती थी और न ही शहर में रेहड़ी, ठेली और अन्य दुकानों का कोई व्यवस्थित ठौर नजर आता था। वह इन दिनों बड़कोट शहर की सुंदरता को देखते ही रह गये।
नगरपालिका अध्यक्ष अतोल सिंह रावत कहते हंै कि 10 वर्ष पहले गांव-गांव से भारी मात्रा में लोगों ने पलायन किया है, जिन्हें बड़कोट नगर ने दूर शहर जाने के बजाय यहीं रोक कर रखा।
बड़कोट नगर ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल होने की वजह से नगर में जितनी जनसंख्या स्थाई रूप से निवास कर रही है, उससे तीन गुना प्रतिदिन यहां लोगों का आना-जाना बना रहता है। बड़कोट में तहसील, न्यायालय, लोनिवि, डिग्री कॉलेज, आईटीआई, डायट, नगरपालिका, यमुना वन प्रभाग जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के अलावा अन्य शिक्षण संस्थानों, समाजिक संगठनों के कार्यालय हैं, तो दूसरी तरफ सहस्त्रबाहु कुण्ड, लक्ष्मीनारायण मंदिर और तिलाड़ी जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जबकि यमुनोत्री जाने वालों का पहला पड़ाव भी बड़कोट ही है।
यही वजह है कि बड़कोट में हर समय लोगों का तांता लगा रहता है। इस छोटे से नगर ने जिस तरह से अपने को एक सुंदर शहर के रूप में तदील किया। उसके पीछे एक स्वच्छ राजनीतिक सोच को ही श्रेय दिया जा सकता है। कच्ची दुकानें पकी हो गयी, गली मोहल्लों में रास्तों की समस्या को बखूबी निपटाया गया, पानी और अन्य जनसुविधायें जोड़ी गयी। शहर की सुंदरता बनी रही, इसलिए व्यवस्थित सफाई कार्य को अधिक तवज्जो दी जाती है। बड़कोट बाजार में व्यापारी विरेन्द्र सिंह रावत, देवी प्रसाद व रामप्रसाद कहते हैं कि नगरपालिका के अध्यक्ष खुद कार्यस्थल पर कई बार मौजूद रहते हैं। वर्तमान में उन्होंने राजीव गांधी आवासीय योजना के क्रियान्वयन का जो तरीका अख्तियार किया, वह एक नजीर बनती जा रही है।