कुमार दुष्यंत, हरिद्वार//
संतों में अब साध्वियों पर बवाल। कुशमुनि ने लगाया अखाड़ों में महिला संतों के शोषण का आरोप
अखाड़ा परिषद् द्वारा फर्जी संतों की लिस्ट जारी करने के बाद से संतों में संग्राम छिड़ा हुआ है।अखाड़ा परिषद् जहां दीवाली पर फर्जी संतों की एक और सूची जारी करने जा रही है,वहीं फर्जी ठहराए गए संत मामले को कोर्ट ले जा रहे हैं।
अब फर्जी ठहराए गए बनारस के आचार्य कुशमुनि ने अखाड़ा परिषद् के संतों पर साध्वियों के शोषण का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है।जिससे पूरे संत जगत में हडकंप है।
स्वामी कुशमुनि के नाम से जारी विज्ञप्ति में अखाड़ों में महिला संतों के शोषण का आरोप लगाते हुए अखाड़ों में रह रही महिला संतों का चिकित्सकीय परिक्षण कराने की बात की गई है।कुशमुनि ने आरोप लगाया है कि अन्य संतों को फर्जी बता रहे अखाड़ा परिषद् के संत गरीब व बेसहारा महिलाओं को पहले गुमराह कर साध्वी बनाते हैं।फिर उनका शोषण किया जाता है।कुशमुनि ने अखाड़ों में नशे का कारोबार होने का आरोप लगाते हुए इसकी भी जांच की मांग की है।कुशमुनि के संतों पर इन आरोपों से हर कोई हैरत में है।
वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब संत बिरादरी पर ऐसे आरोप लगे हों।2010 के कुंभ से पूर्व अमेरिका से आयी महिला संत योगशक्ति ने भी अखाड़ों में महिलाओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। योगशक्ति ने इससे भी दो कदम आगे जाकर साध्वियों के शोषण को आवाज देने के लिए शंकराचार्य पद के समकक्ष पार्वताचार्य पद का भी सृजन कर डाला था।जिसके कारण अखाड़े उनके खिलाफ हो गए।संतों के उग्र तेवरों के बाद उन्हें देश छोडकर वापस अमेरिका भागना पड़ा।लेकिन वह कथित शोषण के खिलाफ साध्वियों को मुखर कर गई।जिसके बाद अखाड़ों को महिला संतों के लिए अलग से माईवाडे का गठन करना पड़ा। लेकिन क्योंकि यह व्यवस्था दबाव में की गई थी।इसलिए माईवाडा कुछ समय बाद गतिविधि शून्य होकर खत्म हो गया।अर्जी और फर्जी संतों के विवाद में स्वामी कुशमुनि ने एकबार फिर से इस विवाद को हवा दे दी है।
कुशमुनि ने दूरभाष पर ‘पर्वतजन’ से बातचीत में अखाड़ा परिषद् अध्यक्ष को चुनौती दी है कि वह यदि शपथ-पत्र देकर यह घोषित कर दें कि उन्होंने कभी कोई अपराध नहीं किया है और उनपर कोई केस नहीं चल रहा है तो वह फर्जी संत के उनके निर्णय को स्वीकार कर लेंगे।अन्यथा उन्हें किसी संत को फर्जी बताने का कोई अधिकार नहीं है।कुशमुनि का यह भी कहना है कि वह दंडी स्वामी परंपरा के संत हैं। जो अखाड़ा परंपरा से पुरानी संत परंपरा है। उन्होंने साध्वियों के मामले में मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर अखाड़ों में रह रही सभी साध्वियों का मेडिकल परिक्षण कराने की मांग की है। उधर अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने फर्जी संतों का नाम घोषित करने के बाद स्वयं व अखाड़ों के प्रमुख संतों को जान से मारने की धमकियां मिलने का आरोप लगाया है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब अर्जी-फर्जी संतों का मामला एक नये विवाद में फंस गया है।