कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आज हल्द्वानी में बच्चों से हो रहे अपराधों पर आधारित अकलेमा परवीन की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए निजी स्कूलों को बच्चों के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीयूष गर्ग ने बताया कि उनके न्यायालय से प्रार्थना करने के बाद कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में जनहित का बहुत जरूरी मुद्दा उठाया गया है।
याची ने हल्द्वानी में नन्हीं छात्रा के साथ अमानवीय व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बच्चों को स्कूल तक ले जाने और वापस सुरक्षित घर छोड़ने की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन/प्रबंधन की होती है ।
अपने आदेश में खण्डपीठ ने आज निर्देश जारी करते हुए कहा :-
(1) हर निजी स्कूल की बस में एक महिला स्टाफ रहनी चाहिए जो बच्चों को सुरक्षित स्कूल लाएगी और घर छोड़ेगी ।
(2) बच्चों के लिए स्कूल द्वारा लगाए गए हर वाहन में सी.सी.टी.वी.कैमरा लगाए जाएं जिसपर प्रिंसिपल या वाईस प्रिंसिपल नजर रखें ।
(3) राज्य के हर एक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का पहचान पत्र (आइडेंटिटी कार्ड)बने जिसमें चिप लगी हो और जिससे अभिभावकों द्वारा कहीं भी बच्चों की लोकेशन मालूम हो सके ।
(4) बच्चे के हर कदम जैसे घर से चलने, स्कूल पहुंचने और वापस घर लौटने का एस.एम.एस.द्वारा परिजनों को सूचित किया जाए ।
(5) न्यायालय ने निजी और सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल से निवेदन किया है कि वो निरंतर जागरूकता शिविर लगाकर स्टाफ और स्टूडेंट को जागरूक करें ।
(6) न्यायालय ने कहा है कि निजी स्कूल के हर कर्मचारी की प्रमाणिकता की नौकरी लगने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन होनी चाहिए और प्रिंसिपल अथवा स्कूल प्रबंधन भी इसे निजी रूप से प्रमाणित करे ।
(7) न्यायालय ने कहा कि उन स्थानीय लोगों को जिनकी जड़ें शहर में हैं, इन्हें ही चालक और परिचालक जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
(8) राज्य के हर निजी स्कूल के क्लास रूम, रास्ते और हर किनारे समेत सुनसान जगहों पर सी.सी.टी.वी.कैमरे लगाए जाएं ।
(9) न्यायालय ने कहा कि बच्चों को घर से ले जाना और घर छोड़कर जाने की हर स्कूल प्रबंधन/प्रशासन की निजी जिम्मेदारी होगी ।
(10) खण्डपीठ ने नैनीताल के पुलिस कप्तान को निर्देश देते हुए कहा कि हलद्वानी में स्कूल प्रबंधन द्वारा अपने कर्तव्यों की अनदेखी करने और छात्रा की सुरक्षा में असफल होने के लिए 48 घंटे के भीतर उनके खिलाफ एफ.आई.आर.दर्ज करें ।
(11) राज्य के हर निजी स्कूल के ट्रांसपोर्ट वाहन में जी.पी.एस.सिस्टम लगाने को कहा गया है ।
(12) न्यायालय ने कहा कि ये साफ हो गया है कि एहतियातन दिए गए सभी निर्देश आज्ञाकारी, ठीक समय पर स्कूल प्रशासन/प्रबंधन और स्टाफ द्वारा पालन किया जाएगा । अगर वो अपनी जिम्मेदारी निर्वहन करने में असफल होते हैं तो ये न्यायालय उनके पंजीकरण को निरस्त करने की सिफारिश करेगा ।
(13) न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी के लिए स्कूल प्रबंधन/प्रशासन खुद जिम्मेदार माना जाएगा।
(14) न्यायालय ने अंत में कहा कि राज्य के सभी जिलाधिकारी अथवा अपर जिलाधिकारी अपने क्षेत्रान्तर्गत आने वाले निजी स्कूलों में हर दो हफ़्तों में जाकर लगाए गए सी.सी.टी.वी.कैमरों की कार्यात्मकता देखेंगे और ये भी जाचेंगे की कहीं उनके साथ कोई खिलवाड़ तो नहीं हुआ है ।