कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अखबार में छपे उस बयान का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें उन्होंने खुले में बली और खून की निकासी पर पूर्ण रोक लगाई है । कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खण्डपीठ ने कहा है कि हल्द्वानी के हिंदूवादी संगठन के सदस्य प्रशांत अग्रवाल ने पत्र लिखकर कहा है कि ईद-उल-जुहा ‘बकरा ईद’ के मौके पर खुले में बली की अनुमति नहीं दी जाए।
न्यायालय ने कहा कि 22 अथवा 23 अगस्त को ईद-उल-जुहा ‘बकरा ईद’ के दिन बकरी, भेड़ या भैंस में से किसी को भी खुले में बली ना दी जाए । इसे किसी भी सार्वजनिक सड़क या प्रार्थनास्थल के आगे ना काट जाए। न्यायालय ने कहा कि गाय, बछड़ा या ऊंठ को इस मौके पर किसी भी हाल में बली ना दिया जाए। न्यायालय ने कहा कि बली दिए गए जानवरों का खून किसी भी हालत में नाली में नहीं पहुंचना चाहिए।
राज्य के किसी भी हिस्से में बली दिए गए जानवर का खून या बचा हुआ अंग किसी भी खुली जगह में नहीं फैंका जाना चाहिए । खण्डपीठ ने कहा कि प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों की निकायों ने सुनिश्चित करना है कि अगर कोई जानवर के शरीर का हिस्सा फैंका हुआ है तो उसे साफ करके तय जगह पर निस्तारित करें।
न्यायालय ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को कहा है कि वो ये सुनिश्चित करें कि इस आदेश का पालन सख्ती से हो। खण्डपीठ ने कहा है कि कोई भी बली मंदिर, सड़क या सार्वजनिक स्थल (पब्लिक प्लेस) में नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा की जनहित में प्रार्थनाएं केवल प्रशासन द्वारा चिन्हित जगहों पर ही पूरे राज्य में की जाएं । राज्य के प्रशासन से न्यायालय ने कहा है कि वे उन जगहों में संतोषजनक सुरक्षा का प्रबंध करें जहां प्रार्थना की जाती है। मामले में सभी जिम्मेदार अधिकारियों को जवाब दाखिल करने को कहा गया है और अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की गई है ।