उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उपनल कर्मियों को एक साल के भीतर चरणबद्ध ढंग से नियमित करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को कहा कि 6 माह के भीतर भीतर उपनल कर्मियों को एरियर और महंगाई भत्ता तो दिया ही जाए साथ ही न्यूनतम वेतनमान भी मिलना चाहिए।
हाई कोर्ट ने सोमवार को एक अहम आदेश में राज्य सरकार को निर्देशित किया कि उपनल कर्मियों से जीएसटी और सर्विस टैक्स न लिया जाए इससे पहले सरकार किसी भी तरह से उपनल कर्मियों को टरकाना चाहती थी।
उपनल कर्मियों के विषय में सरकार का कहना था कि उपनल का लेबर एक्ट में रजिस्ट्रेशन नहीं है और यह एक मात्र आउटसोर्सिंग वाली संस्था है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट में कुंदन सिंह नेगी ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था और उसमें उपनल की ओर से की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की याचना की गई थी।
इसी पत्र को हाई कोर्ट ने पीआईएल में स्वीकार कर लिया। उनके इस आदेश के बाद उपनल से विभिन्न विभागों में तैनात लगभग 21000 कर्मचारियों को अपने भविष्य के प्रति उम्मीद जागी है।
हाई कोर्ट ने इस केस की पैरवी के लिए एडवोकेट एमसी पंत को न्याय मित्र के तौर पर नियुक्त किया है।