कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में धारचूला के दुर्गम गांवों की इन तस्वीरों को देखकर आपको जितना डर लगेगा, उतना ही गुस्सा भी आएगा। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह अपने बूढ़े माता पिता को संकरे उबड़ खाबड़ रास्तों से पीठ पर लादकर, ये लोग सुरक्षित जगहों की तरफ ले जा रहे हैं।
देखिए वीडियो
यहां खाई की तरफ पैर फिसलने में जिंदगी को कोई दूसरा मौका नहीं मिलेगा। भारतीय फौज के सबसे सक्रिय मददगार इन रंग(रं) समाज के क्षेत्रवासियों ने अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया है जो बेहद ही खरतनाक है।
ये वीडियो धारचूला से दारमा, पंचाचूली पर्वत जाने वाली सड़क का है जो इस वर्ष ही बनी थी। ये मार्ग पहली बरसात में ही ध्वस्त हो गया है, जिससे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र से लोग पलायन करने को मजबूर हैं। ये वीडियो स्थानीय निवासी गोविंद बवाल ने मुहैय्या कराया है।
पिथौरागढ़ जिले के हिमालय की गोद में बसे गुंजी से चीन की सीमा की तरफ कुटी, नाभीढांग, तकलाकोट आदि गांवों के लोगों के लिए ठंड और बरसातों में रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए यहां के लोग बरसात में बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाओं से बचने के लिए पलायन कर रहे हैं। आजादी के 71 वर्ष बाद आज भी इस क्षेत्र की कोई सुध नहीं ली गई है।
कैलाश मानसरोवर के मार्ग में पड़ने वाले इस क्षेत्र में लोग जटिल समस्याओं का सामना करके जिंदगी गुजारते हैं। बिना कोई भी सुविधा और रास्ते वाले गांव के लोग मजबूर होकर क्षेत्र को छोड़ रहे हैं ।
इन तस्वीरों को देखकर आपका कलेजा बाहर आ जाएगा। यहां से कई परिवार गांव छोड़कर जा रहे हैं, वीडियो में एक व्यक्ति वृद्ध को और एक माँ अपने बच्चे को पीठ पर लादे सक्रिय रास्ते से गुजर रहे हैं । इनका अगर पैर फिसला तो दो जिन्दगियां उफनाई धौली7 नदी में समा जाएंगी। इसी तरह बच्चों और महिलाओं को भी यहां के युवक हाथ पकड़कर ये जानलेवा रास्ते पार कराते हैं।
चीन से लगी सीमा में आम सुविधाओं का भारी अभाव है, जबकी चीन ने अपनी सीमा में भारत के काफी नजदीक तक रेल लाइन खड़ी कर दी है। इन गांव के लोगों के लिए अपने गांव से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचना बहुत मुश्किल है जबकि चीन पहुंचना बहुत आसान है।