सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से धूल फांक रहे 64 वेंटिलेटर बेड में से 28 को स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को बाँट दिए। वेंटिलेटर तो सरकारी ही हैं लेकिन निजी अस्पताल मरीजों को सरकारी वेंटिलेटर पर भी कुछ रहत देने को तैयार नहीं हैं ।
हरिद्वार के सरकारी अस्पतालों में 64 वेंटिलेटर बेड काफी लंबे समय से धूल फांक रहे थे। स्टाफ न होने के कारण इन अस्पतालों में रखे वेंटिलेटर शुरू नहीं किये जा सके तो 28 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों में दे दिए ।
सरकारी वेंटिलेटर होने के बाद भी मरीजों को कोई रियायत नहीं दी जा रही हैं ।स्वास्थ्य विभाग ने खुद इसकी पुष्टि की।
सीएमओ डॉ. एसके झा के मुताबिक,कोरोना की पहली लहर के बाद हरिद्वार के मेला अस्पताल में 22, बाबा बर्फानी में 28 और सिविल अस्पताल रुड़की में 14 वेंटिलेटर मशीन लाई गई थी। स्टाफ न होने के कारण इन अस्पतालों में रखे वेंटिलेटर शुरू नहीं किये जा सके हैं।
उन्होंने बताया कि 28 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए हैं। हालांकि चार्ज वो नियमानुसार ही ले रहे हैं लेकिन किसी को सरकारी वेंटिलेटर होने के नाते फ्री सुविधा या रियायत नहीं मिल पा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जो 28 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए हैं। सिविल अस्पताल रुड़की से 10 वेंटिलेटर, जया मैक्सवेल और चार देहरादून में भेजे गए हैं। जबकि एसआर मेडीसिटी को छह, भूमानंद अस्पताल को पांच और आरोग्यम अस्पताल को तीन वेंटिलेटर दिए गए हैं।