पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों में जुटे डीएम उत्तरकाशी आशीष चौहान। पहली बार झील में उतरा पैराग्लाइडर। झील के बीचों-बीच फ्लोटिंग फ्लोर पर गंगा आरती पर्यटन को बढ़ावा देने की डीएम आशीष कुमार चौहान की पहल
गिरीश गैरोला
धार्मिक आस्था की शिव नगरी उत्तरकाशी अब अपने धार्मिक स्वरूप के साथ साहसिक पर्यटन और सांस्कृतिक पर्यटन को समेटे एक नया इतिहास लिखने की ओर बढ़ रही है। उत्तरकाशी जनपद में खाली पड़ी जोशियाड़ा झील मे पहले नौकायन की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के बाद झील के बीचो-बीच फ्लोटिंग फ्लोर पर गंगा आरती का नया कांसेप्ट पर्यटन की दृष्टि से शुरू किया गया है।
इतना ही नहीं वरुणावत पहाड़ी से पैराग्लाइडर पंछी की तरह हवा में उड़ते हुए झील के बीचो-बीच तैरते फ्लोर पर उतरे। हवा में तैरते हुए पैराग्लाइडर को देखने के लिए उत्तरकाशी के आम लोगो में कौतूहल बना रहा।
अक्सर पहाड़ों के बारे में यह मान्यता है कि पहाड़ों का पानी और पहाड़ की जवानी यहां के काम नहीं आती, किंतु डीएम उत्तरकाशी डॉक्टर आशीष चौहान ने अपने प्रयासों के बाद यह साबित कर दिया है कि इस कहावत को झुठलाया जा सकता है।
खाली पड़ी जो जोशियाड़ा झील में डीएम उत्तरकाशी के प्रयासों के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से सबसे पहले नौकायन, कयाकिंग कैनोइंग और सलालम जैसे वाटर स्पोर्ट्स की शुरूआत की गई । इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की राफ्टिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई ।
अगले चरण में झील के बीच तैरते फर्श पर गंगा आरती का आयोजन किया गया । कृत्रिम रोशनी में झीलों के बीचो-बीच आरती के आयोजन से नए तरह के पर्यटन की उम्मीद की जा रही है।
इतना ही नहीं अब तक आपदा का प्रतीक समझे जाने वाले वरुणावत पर्वत पर भी डीएम उत्तरकाशी डॉक्टर आशीष चौहान ने डिजास्टर टूरिज्म का कांसेप्ट तलाश कर लिया है । वर्ष 2003 में भूस्खलन का पर्याय बनी वरुणावत पहाड़ी से हवा में तैरते हुए पैराग्लाइडर सीधे जोशियाड़ा झील के बीच तैरते फर्श पर उतर कर साहसिक पर्यटन और मनोरंजन के नए अवसर तलाश करने में जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों की माने तो इस तरह के अभिनव प्रयोगों के बाद उत्तरकाशी में पर्यटन के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार का मौका भी मिलेगा।