जगमोहन रौतेला
केदार नाथ शिलापट्ट के बाद अब बैनर बना चर्चा का विषय
आज 8 मार्च 2018 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत हल्द्वानी में मौजूद थे। हल्द्वानी स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ” मुख्यमन्त्री ई – रिक्शा जनकल्याण योजना ” का शुभारम्भ किया।
इस योजना के तहत 20 महिला और पुरुषों को परिवार की आजीविका के लिए ई रिक्शा वितरित किए।
ये ई- रिक्शा पॉच हजार रुपए प्रति महीने की किस्त पर दिए गए। जो उन्हें तीन साल तक चुकाना होगा। सरकार ने पूरे प्रदेश में एक लाख लोगों को रिक्शा वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमन्त्री ने कहा कि उनकी सरकार महिला हितों और उनके संरक्षण के लिए हमेशा तत्पर है। मुख्यमन्त्री ने इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक के मुख्यालय का भी लोकार्पण किया। मुख्यमन्त्री ने कुमाऊँ मण्डल के 30 विकास खण्डों की सर्वश्रेष्ठ महिला दुग्ध उत्पादकों को भी सम्मानित किया।
इस मौके पर मंच पर लगा बैनर बेहद चर्चा में रहा। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस वाले बैनर में दाहिनी ओर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत का फोटो लगा था तो बायीं ओर उच्च शिक्षा राज्य मन्त्री डॉ. धन सिंह रावत का फोटो लगा था। बैनर से परिवहन मन्त्री यशपाल आर्य का फोटो नदारद था।
आर्य का फोटो न होना ही चर्चा का विषय बना रहा। मन्त्रिमण्डल में यशपाल आर्य पद के अनुसार धन सिंह रावत से वरिष्ठ मन्त्री हैं। आर्य जहां कैबिनट मन्त्री हैं , वहीं धन सिंह राज्य मन्त्री हैं। इसके बाद भी मुख्य बैनर से मन्त्री आर्य का फोटो तो गायब था , पर राज्य मन्त्री रावत का फोटो काफी बड़े साइज में लगाया था।
एक सरकारी कार्यक्रम में प्रोटोकॉल की यह अनदेखी अनजाने में हुई या जानबूझ कर की गई ? इस पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। कार्यक्रम में मंच पर मुख्यमन्त्री , परिवहन मन्त्री , उच्च शिक्षा राज्य मन्त्री के अलावा कालाढूँगी के विधायक बंशीधर भगत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और कई दूसरे लोग विराजमान थे।
इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास करने के लिए केदारनाथ आए थे तो केदारनाथ में लगे शिलापट्ट से भी राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का नाम तो गायब था लेकिन राज्य मंत्री धन सिंह रावत का नाम संगमरमर के शिलापट्ट पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ था। उस दौरान भी धनदा की धमक पूरे राज्य में चर्चा का विषय रही थी।
केदारनाथ का कार्य पर्यटन तथा तीर्थाटन से जुड़ा हुआ है तथा सतपाल महाराज पर्यटन और तीर्थाटन मंत्री हैं। इससे पहले वह इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और धन सिंह रावत से काफी सीनियर भी हैं।
राज्य मंत्री धन सिंह रावत को कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और इससे पहले सतपाल महाराज के हक वाले स्थान पर अहम तवज्जो देना सियासी जानकारों के गले नहीं उतर रहा है। साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिसने भी यह किया है ,उसके कारण जनता में इन दोनों कैबिनेट मंत्रियों के समर्थकों में मायूसी का आलम है और इस तरह की घटनाएं सरकार में गुटबाजी को और हवा देने का काम करेगी।
बहरहाल राज्य मंत्री धन सिंह रावत के बढ़ते हुए कद के कारण उनके समर्थकों में उत्साह का आलम है और सभी यह कयास लगा रहे हैं कि जल्दी ही होने वाले मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में धन सिंह रावत को न सिर्फ कैबिनेट का दर्जा दे दिया जाएगा बल्कि उन्हें अहम मंत्रालय भी सौंपे जाएंगे। धन सिंह रावत को इतनी तवज्जो के पीछे केंद्र में उनकी मजबूत पकड़ को माना जा रहा है।