फिर टकराव: वन विभाग और ट्रेकिंग एजेंसी आमने सामने।
नियमों की पाबंदी अपने अनुरूप करने का आरोप।
ट्रेक रुट पर एसोसिएशन खुद चेक करेगी दस्तावेज।
ट्रेकिंग एसोसिएशन को बिना वजह चक्कर कटाने और खास लोगों को फोन पर ही रिजर्व फारेस्ट में ट्रेकिंग की अनुमति देने का आरोप।
डोडीताल के बेस कैम्प संगमचट्टी में बिना दस्तावेजों के ट्रेकिंग पर जा रहे ग्रुप के पेपर चेक करेगी एसोसिएशन।
गिरीश गैरोला
गढ़वाल हिमालय ट्रेकिंग एवं माउंटेनियरिंग एसोसिएशन उत्तरकाशी ने आरक्षित वन क्षेत्र में ट्रैकिंग को लेकर बनाये गए अपने ही कायदे कानूनों को दरकिनार कर फोन पर ही कुछ खास लोगों को विशेष अनुमति दिए जाने पर आपत्ति जताई है।
एसोसिएशन के सचिव मनोज रावत ने बताया कि पिछले महीने भी देहरादून के एक ट्रेकिंग ग्रुप को महज एक फोन पर ही डोडीताल ट्रेक पर जाने की अनुमति दे दी गयी थी। मौके पर जाकर पाया गया कि स्कूल के बच्चों की आईडी के साथ प्राचार्य का एक पत्र ही दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया था, जिसमे कौन सी एजेंसी इन्हें ट्रेक करवा रही है, इसका कोई उल्लेख नही किया गया था। जबकि इसी प्रकार की अनुमति के लिए पंजीकृत एजेंसी को कई चक्कर कटवाए जाते हैं।साथ ही 10 रु के स्टाम्प पेपर पर लिखवाया जाता है कि मार्ग में कोई दुर्घटना होने पर एजेंसी ही जिम्मेदारी होगी। एसोसिएशन से जुड़े बलदेव राणा और अनिल पंवार ने बताया कि 14 मई को भी एक ग्रुप को महज फोन पर ही डोडीताल ट्रेक पर जाने की अनुमति वन विभाग ने जारी कर दी है , जिसमे उत्तरकाशी में पंजीकृत किसी भी ट्रेक और टूर एजेंसी को शामिल नही किया गया है और न ही स्टाम्प पेपर पर कोई एफिडेविट भर कर दिया गया है। लिहाजा वे इस ट्रेक पर आगे बढ़ने से पूर्व ट्रेक लीडर से जरूरी दस्तावेज दिखाने की मांग करेंगे।
अन्य प्रदेशों में है बेहतर व्यवस्था
गौरतलब है कि उत्तरकाशी में 40 पंजीकृत ट्रेकिंग एजेंसी को मिलाकर गढ़वाल हिमालय ट्रेकिंग एन्ड मॉन्टेनरिंग एसोसिएशन गठित की गई है, जिसमे प्रभागीय वन अधिकारी और डीएम के साथ बैठक में तय किया गया था कि बाहर से आने वाले ट्रेकर्स को जनपद में ट्रेकिंग करने के लिए स्थानीय पंजीकृत एजेंसी के सहयोग से ही ट्रेकिंग करनी होगी ताकि किसी दुर्घटना पर पंजीकृत एजेंसी की जिम्मेदारी तय की जा सके और स्थानीय लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सके। लद्धाख और हिमाचल प्रदेश में भी यही नियम लागू है और तो और अपने ही प्रदेश उत्तराखंड के जोशीमठ में भी बिना वहां की स्थानीय एजेंसी के सहयोग के ट्रेकिंग करना संभव नही है, जो उन्हें स्थानीय स्तर पर घोड़ा, खच्चर ,पोर्टर और परमिट आदि उपलब्ध कराती है। पर्यटकों को सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम में तपोवन से आगे, कालिंदी पास, उड़न कॉल, धुमदार कांडी पास, लम खागा पास, नंदन वन, वासुकी ताल और रक्त वन आदि स्थलों पर ऑनलाइन व्यवस्था के अंतर्गत जनपद की पंजीकृत किसी एक एजेंसी को क्लिक करने के बाद ही प्रिंट आउट मिलता है, जबकि डोडीताल और दयारा जैसे छोटे ट्रेक पर वन विभाग अभी ऑनलाइन प्रोसेस को नही अपना रहा है।
पहुंच वालों के लिए नहीं है कोई नियम
ट्रेकिंग एसिशशन से सचिव मनोज रावत ने आरोप लगाया कि इस ट्रैक पर स्थानीय पंजीकृत एजेंसी से दुनिया भर की पेपर फॉर्मेलिटी कराई जाती है और अंत मे स्टाम्प पेपर पर पंजीकृत एजेंसी को किसी भी दुर्घटना के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने की बात लिखवाई जाती है जबकि कुछ ऊंची पहुंच के लोगों को महज फोन से ही बिना जरूरी दस्तावेजों से अनुमति जारी कर दी जाती है। इतना ही नही स्थानीय अगोडा निवासी भारत लॉज के मालिक और पंजीकृत ट्रेकर एजेंसी से जुड़े राजेश पंवार के माध्यम से आने वाले ट्रेकर्स को डोडीताल बंगला आरक्षित नही कराया गया जबकि किसी खास के लिए फोन से ही ये सब काम तत्काल कर दिया गया जिसके चलते ट्रैकर की बुकिंग रद्द करनी पड़ी।
वन विभाग उत्तरकाशी के बड़ाहाट रेंज से रेंज अफसर रविंदर पुंडीर ने बताया कि 14 मई को वेल्हम गर्ल्स स्कूल से कुछ छात्राएं डोडीताल ट्रेक पर आ रही हैं जिन्हें स्कूल की प्राचार्य के अनुरोध पर अनुमति दी गयी है किन्तु कौन सी पंजीकृत एजेंसी इन लोगों के साथ ट्रैकिंग के लिए जा रही है और तय मानकों के अनुरूप स्थानीय एजेंसी से बिना सहयोग के और बिना स्टाम्प पेपर के कैसे ट्रेकिंग होगी इसका ठोस जबाब उनके पास भी नही था। उन्होंने कहा कि ट्रेकिंग एजेंसी जिला प्रशासन और वन विभाग को एक साथ बैठकर इन सभी प्रश्नों का जबाब ढूंढने होंगे।
देहरादून की एक ट्रेकिंग एजेंसी पर अपने ऊंचे रसूख के चलते स्थानीय ट्रेकर्स की रोजी रोटी पर सेंधमारी को लेकर ट्रेकर्स एसोसिएशन के द्वारा खुद मौके पर जरूरी दस्तावेज चेक किये जाने के बाद से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।