निराश्रित गौमाता फिर भी सड़क पर।
पालिका की आरएफआई टेगिंग भी सवालो में।
कानून बनने के बाद भी नही रुका गौवंश पर अत्याचार।
घायल गायों के काम नही आ रही गौशाला।
पशु अस्पताल ने किए हाथ खड़े।
गिरीश गैरोला
सड़क के किनारे घायल पड़ी गाय को पशु अस्पताल ने दवा देने के बाद उसे लेकर आने वाले को ही गाय को अपने साथ वापस ले जाने का जबाब दे दिया तो मानवीय आधार पर अपने संसाधनों से उसे पशु अस्पताल तक पहुंचाने वाले पुलिस के जवान के सामने प्रश्न है कि वह इस घायल गौ को कहां लेकर जाए!
डीएम उत्तरकाशी ने इसका संज्ञान लेते हुए इसे गौशाला गोफ़ियारा तक पहुंचने के लिए पालिका प्रशासन को निर्देश दिए हैं।
उत्तरकाशी में नगर पालिका द्वारा गोफ़ियारा में निर्मित गौशाला घायल और बीमार गौ वंश के काम नही आ पा रही है। गौशाला के उद्घाटन के मौके पर ही विधायक गंगोत्री गोपाल सिंह रावत ने गोफ़ियारा में गौशाला निर्माण के लिए भूमि के चयन पर इसीलिए नाराजगी जताई थी। उस वक्त उन्होंने पालिका प्रशासन से यही सवाल किया था कि सड़क मार्ग से दूर इस स्थान तक घायल और बीमार गाय को कैसे पहुंचाया जा सकेगा? तब भले ही सबने इसे हल्के में लिया, किन्तु आज ये सच साबित हो रहा है और गौ प्रेमियो का चोला ओढ़े लोग गौकथा के बाद प्रसाद खाकर चूल्हे चौके में नई हांडी चढ़ाने में मस्त हो गए हैं।
पुलिस में तैनात जवान कशिश भट्ट ने बताया कि कंसेन- मनेरा मार्ग पर उन्हें गंभीर घायल अवस्था मे एक गाय का बछड़ा दिखा, जिसे उन्होंने मानवीयता के नाम पर छोटा हाथी वाहन में डालकर पशु चिकित्सालय ज्ञानसू तक पहुंचाया। जहां उसे दवा तो दी गयी किन्तु बछड़े को अपने साथ वापस ले जाने की बात वहां मौजूद डॉ. द्वारा की गई।
कशिश ने बताया कि वह स्वयं भी पुलिस की नौकरी में है और बीमार बछड़े को देखकर मानवीयता के आधार पर यहाँ ले आया था। इस बात को लेकर दोनों में कहासुनी भी हो गयी। पशु अस्पताल के डाॅ. प्रमोद पाठक ने बताया कि गाय अपने पैरों पर खड़ी नही हो पा रही है। इसके अलावा पशुओं के लिए इंडोर वार्ड न होने से पशु को अस्पताल में नही रोका जा सकता है। लिहाजा उसे लाने वाले को ही उसे वापस भी लेकर जाना होगा।
गौरतलब है कि डीएम आशीष चौहान की पहल पर नगर में लोगों द्वारा दूध न देने के बाद अपनी गौवंश को सड़कों पर आवारा घूमने के लिय छोड़ देने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए इन नगर में घूम रही निराश्रित गायों पर आर एफ आयी टैगिंग लगाकर इनके मालिकों को पहचान के लिए एक बाहरी कंपनी से एग्रीमेंट किया था ।अब तक कितनी गायों का टैगिंग हुआ और कितनी गायें गौशाला तक पहुंची इस पर पालिका के पास कोई ठोस जबाब नही है। पालिका उत्तरकाशी के ईओ सुशील कुमार कुरील ने बताया कि फिलहाल गौशाला में 32 के करीब गाय मौजूद हैं जबकि गौशाला में 50 से 60 गाय की व्यवस्था है।
जैसे ही जिले के डीएम आशीष चौहान को घायल बछडे के बारे में पता चला उन्होंने नगर पालिका को निर्देशित करते हुए घायल बछड़े को गोफ़ियारा गौशाला छोड़ने के निर्देश दिये। साथ ही गायों पर की गई टैगिंग का लेखा जोखा भी प्रस्तुत करने को कहा है ताकि पता चल सके कि इसका कितना फायदा हुआ है।