पालिका विकासनगर की निविदाओं के घोटाले की हो उच्चस्तरीय जांच। जी.एम.वी.एन. के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने की सरकार से मांग
2.38 करोड़ के 50 टेण्डर्स का है मामला।
2.38 करोड़ के सापेक्ष मात्र 24 हजार का हुआ इजाफा।
मात्र 3-3 ठेकेदारों के मध्य हुई टेण्डर स्वीकृति की रस्म अदायगी।
पी.डब्ल्यू.डी. व आर.ई.एस. में होते हैं 25 से 50ः तक ठमसवू दर पर टैण्डर स्वीकृत।
निष्पक्ष टेण्डर होते तो सरकार को होता 60-70 लाख का फायदा।
जीरो टोलरेंस का नारा देने वाली सरकार की नाक के नीचे नगरपालिका परिषद, विकासनगर ने अपने चहेते ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर 2.38 करोड़ के 50 टेण्डर मात्र 0.01से भी कम दर पर स्वीकृत कर सरकार को लगभग 60-70 लाख का चूना लगा दिया। हैरानी की बात यह है कि पालिका द्वारा इन 50 टेण्डर्स को, जो कि 2,37,62,927/-रू. दर पर प्रस्तावित थे उनको 2,37,38,612/-रू. में स्वीकृत कर लिया गया। उक्त टेण्डर की दर व स्वीकृत निविदाओं में मात्र 24,315/-रू. का अन्तर रहा, यानि सरकार को इन टेण्डर आमन्त्रित करने की कार्यवाही में कुल 24,315/-रू. का फायदा हुआ। पालिका द्वारा अगर ईमानदारी से टेण्डर प्रक्रिया अपनायी जाती तो पालिका/सरकार को लगभग 60-70 लाख का फायदा होता, जैसा कि अन्य विभागों यथा पी.डब्ल्यू.डी., आर.ई.एस. व इत्यादि विभागों के 25 से लेकर 50 प्रतिशत कम दर पर टेण्डर स्वीकृत होते हैं। मजे की बात यह है कि सभी टेण्डर मात्र 3 ठेकेदारों के मध्य ही सम्पादित हुए।
देहरादून के स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जी.एम.वी.एन. के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इन स्वीकृत निविदाओं में से अधिकांश निविदाओं के कार्यादेश भी पालिका द्वारा जारी किये जा चुके हैं।
पालिका द्वारा अमूमन हर निविदा 1प्रतिशत से भी कम दर पर स्वीकृत की गयी, जिसमें लाखों का हेरफेर व सांठगांठ की गयी, जिसके चलते सरकार को लाखों की चपत लगी।
नेगी ने कहा कि उक्त सभी टेण्डरों का प्रतिशत, एक प्रतिशत का दसवां हिस्सा रहना देश को खोखला करने जैसा है।
मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि उक्त घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही करायें।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, बागेश पुरोहित, ओ.पी. राणा, प्रभाकर जोशी आदि थे।