रविवार को पूरे देश में हलचल मचा देने वाले धूमाकोट बस हादसे के प्रभावितों को सांत्वना देने गए मुख्यमंत्री के काफिले पर बरसने वाली महिला की अत्यंत दुखदाई कहानी सामने आई है।
इसके अलावा हादसे के असल जिम्मेदारों का नया तथ्य मालूम चला है। धूमाकोट बस हादसे में मुख्यमंत्री और उनके काफिले के लोगों को पत्थर मारकर भगाने की बात कहने वाली महिला आशा देवी खौल ग्राम सभा के भोपाटी गांव की रहने वाली है। इनके परिवार के पूरे 8 लोग इस बस दुर्घटना में मारे गए थे। दरअसल इनका परिवार पूजा पाठ के लिए दिल्ली, गाजियाबाद तथा खटीमा से गांव आया हुआ था और 2 तारीख से बच्चों की स्कूल खुलने थे, इसलिए एक तारीख रविवार को वापस लौट रहे थे।
अपने भरे-पूरे परिवार के 8 लोगों की मौत से आशा देवी काफी अवसाद में चली गई है और ढंग से बात भी नहीं कर पा रही है। आशा देवी ने मीडिया से खुद को अकेले उनके हाल पर छोड़ देने का अनुरोध किया है, इससे समझा जा सकता है कि उनका दर्द कितना गहरा है। पास के ही गांव मैरा के जनप्रतिनिधि तथा प्रधान पति वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जिस सड़क पर यह दुर्घटना हुई, वह धूमाकोट से भौन गांव तक 16 किलोमीटर की सड़क है। शुरुआत के 5-6 किलोमीटर के डामरीकरण के बाद से सड़क पर डामरीकरण भी नहीं हो रखा था। लिहाजा इस सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो रखे थे।
सड़क हादसे की हकीकत
इस पूरे प्रकरण में नया तथ्य यह है कि उत्तराखंड में हर साल मानसून से पहले सड़क के गड्ढे भरने के लिए बजट अवमुक्त किया जाता है, लेकिन इस साल सरकार की ओर से मानसून से पहले इन गड्ढों को भरने के लिए कोई धनराशि अवमुक्त नहीं की गई। अतः इस बार गड्ढे भरने का काम नहीं हो पाया।
जाहिर है कि इसके लिए अपर मुख्य सचिव PWD ओम प्रकाश तथा PWD के विभागीय मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही सीधे-सीधे जिम्मेदार हैं।
दूसरा तथ्य यह है कि घायलों को एयरलिफ्ट कराने के लिए सहस्त्रधारा हेलीपैड पर कंपनियों को उड़ान भरने के लिए लगभग 3:30 घंटे तक मनाया गया। इस देरी के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ! जाहिर है कि उत्तराखंड विमान प्राधिकरण के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ही हैं तथा यह मंत्रालय भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास ही है। ऐसे में बस हादसे की सीधी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री तथा अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ही बनती है। घायलों तक पहुंचने में देरी की वजह भी उपरोक्त दोनों ही है। ऐसे में गढ़वाल कमिश्नर दिलीप जावलकर से गढ़वाल कमिश्नरी का पदभार छीन कर यह संदेश जा रहा है कि जैसे इस बस हादसे के पीछे उन्हीं की जिम्मेदारी रही हो, जबकि इसकी जिम्मेदारी शासन स्तर पर मुख्यमंत्री तथा अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ही बनती है तथा जिला स्तर पर जिला अधिकारी तथा SSP ही मुख्य तौर पर सीधे जिम्मेदार अधिकारी हैं।
दोषी बने राइट हैंड, कर्मठ हुए सस्पेंड,
इधर एआरटीओ नेहा झा को निलंबित किए जाने पर भी तीखी आलोचना होने लगी है। नेहा झा ने ढाई महीने पहले ही धुमाकोट मे ज्वाइन किया था। इस दौरान नेहा ने 813 वाहनों का चालान किया है और इसमें से 47 वाहन धूमाकोट रूट के ही हैं।
ढाई महीने में ही इन अफसर ने 21 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा कराए हैं।
नेहा झा काफी तेज तर्रार अधिकारी मानी जाती हैं, ऐसे में बस दुर्घटना के असल जिम्मेदारों को छोड़कर कर्मठ अफसरों को निलंबित करने तथा ट्रांसफर करने से क्षेत्र में मुख्यमंत्री का यह एक्शन चर्चा का विषय बना हुआ है।