उत्तराखंड के राज्यपाल के के पॉल का कार्यकाल रविवार 8 जुलाई को पूरा होने के बाद उत्तराखंड को नए राज्यपाल मिलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
पर्वतजन के पास उपलब्ध आरएसएस सूत्रों के अनुसार प्रोफेसर दुर्ग सिंह चौहान उत्तराखंड के नए राज्यपाल हो सकते हैं।
प्रोफेसर दुर्ग सिंह चौहान उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय देहरादून के भी कुलपति रह चुके हैं और वर्तमान में जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा के कुलपति हैं। इससे पहले वह उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रह चुके हैं। दुर्ग सिंह चौहान एक जुलाई को ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बन चुके हैं।
डॉ. चौहान ने IIT BHU से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में किया है, तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हार्डकोर पृष्ठभूमि से जुड़े हुए माने जाते हैं।
एकेडमिक्स इंडिया की जानकारी के अनुसार दुर्ग सिंह चौहान भाजपा सरकार के समय में ही उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति बने थे और उसके बाद जालंधर लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी और जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के भी कुलपति रह चुके हैं।
हालांकि प्रोफेसर दुर्ग सिंह चौहान को राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा नहीं हुई है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि के के पॉल को ही एक्सटेंशन मिलेगा अथवा भारतीय जनता पार्टी नया राज्यपाल नियुक्त करेगी।
यदि नए राज्यपाल की नियुक्ति पर जल्दी ही कोई निर्णय नहीं हुआ तो उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक को भी उत्तराखंड का अतिरिक्त पदभार दिया जा सकता है।
भाजपा कांग्रेस का दर्द- ए- दिल
उत्तराखंड में भाजपा तथा कांग्रेस की ओर से राज्यपाल केके पॉल के कार्यकाल के विषय में मिलती-जुलती प्रतिक्रियाएं आई हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से पूछा गया तो उनका पुराना दर्द जुबां पर आ ही गया। उनके कार्यकाल के विषय में कहा कि राज्यपाल के वर्ष 2016 में कांग्रेस को बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का लंबा समय देने को लेकर उन्होंने आपत्ति जताई थी, लेकिन शायद उन्होंने अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल किया। भट्ट कहते हैं,-“हालांकि यह समय इन बातों का नहीं है किंतु उनका कार्यकाल उत्तराखंड के लिए कई मायनों में लाभदायक रहा।”
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्यपाल केके पॉल का कार्यकाल बेहतरीन रहा और वह विभिन्न विषयों पर उनके नजरिए तथा समझ से काफी प्रभावित हैं। लेकिन उनकी जुबां से भी एक दर्द बयां हो ही गया और उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में सेंट्रल रूल लागू किए जाने के उनके निर्णय से उन्हें काफी कष्ट हुआ था।
बहरहाल राजभवन के सूत्रों के अनुसार उनके पास अभी तक राष्ट्रपति कार्यालय से राज्यपाल केके पॉल के एक्सटेंशन अथवा नए राज्यपाल बनाए जाने के संबंध में कोई सूचना नहीं आई है।