कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने सरकार से नैनीताल के बी.डी.पाण्डे अस्पताल और भवाली सैनेटोरियम की हालत को तीन माह में सुधारने को कहा है । नैनीताल निवासी दीपक रूवाली की सन 2009 में नैनीताल के अस्पतालों की दुर्दशा को लेकर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आज वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने भवाली के टी.बी.सैनेटोरियम को मेडिकल काउंसिल के नियमानुसार छह माह के भीतर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के आदेश दिए है । न्यायालय ने स्थानीय बी.डी.पाण्डे अस्पताल में महिला रोग और हृदय रोग विशेसज्ञ भी नियुक्त करने को कहा है । न्यायालय ने कहा की आज से सात दिन के भीतर मरीजों के इलाज के लिए टी.बी.अस्पताल के को आवश्यक धनराशि अवमुक्त करें।
न्यायालय ने हृदय रोग विभाग और वृद्ध चिकित्सा विभाग स्थापित करने के साथ अस्पताल में दो हफ्ते के भीतर हृदयरोग और महिला रोग चिकित्सक की नियुक्ति करें। न्यायालय ने सरकार से कहा है कि आगामी शीतकाल से पहले तीनों अस्पतालों को सेंट्रली हीटेड(गर्म कमरे) बनाया जाए ।
याचिकाकर्ता दीपक रूवाली ने न्यायालय में नैनीताल के बी.ड़ी.पाण्डे मेल, बी.ड़ी.पाण्डे फीमेल और जी.बी.पन्त(रैमसे)अस्पतालों में डॉक्टरों, स्थान और उपकरणों की कमी बताते हुए पूर्ति करवाने की प्रार्थना की थी । न्यायालय ने सभी अस्पतालों में लगातार बिजली सप्लाई के लिए जेनरेटर लगाने को कहा है । न्यायालय ने कहा कि जिन चिकित्सकों की जिस अस्पताल में नियुक्ति होती है वे 24 घण्टे उपलब्ध रहें और ड्यूटी से गायब होने की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए ।
बिना एफआइआर ही शुरू हो इलाज
इस पीआइएल की पैरवी करने वाले एडवोकेट विपुल शर्मा ने बताया कि न्यायालय ने प्रदेश के सभी सरकारी चिकित्सालयों को निर्देशित किया है कि वो सड़क हादसों और इमरजेंसी केसों को बिना एफ.आई.आर.के इलाज शुरू करें । न्यायालय ने फौज और निजी अस्पतालों को संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए सड़क हादसों में घायल लोगों का इलाज शुरू करने को भी कहा है। अन्त में खण्डपीठ ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से इस पहाड़ी राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए विशेष स्वास्थ्य पैकेज देने का निवेदन किया है ।