आज सदन के आखिरी दिन लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी पर विपक्ष के सब्र का पैमाना ही छलक गया और उन्होंने लंच के बाद सदन का बहिष्कार कर दिया। वहीं दूसरी ओर आखरी दिन भी सरकार अपने ही विधायकों के निशाने पर रही।हालांकि इस बार सदन एक बार भी स्थगित नहीं हुआ यह सदन के इतिहास में पहली बार हुआ।
यह उत्तराखंड के लिए शुभ नहीं
किंतु उत्तराखंड के भविष्य के लिए सबसे दुखद पहलू यह रहा कि सत्ता पक्ष के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना तथा केदार सिंह रावत, सतपाल महाराज और खजान दास के प्रबल समर्थन के बाद भी थत्यूड़ और भवान होते हुए उत्तरकाशी जाने वाली रोड को ऑल वेदर रोड का हिस्सा बनाए जाने का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया और न ही सुरेंद्र सिंह जीना द्वारा पीएमजीएसवाई के मानकों में बदलाव लाने का संकल्प पारित हो पाया।
दुखद: लोकायुक्त को लेकर सदन का बहिष्कार
विपक्ष पहले नियम 310 के अंतर्गत लोकायुक्त की मांग को लेकर सदन में हंगामा करते रहा और आखिरकार नियम 58 के तहत लोकायुक्त के मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए मांग करता रहा लेकिन जब यह बात नहीं मानी गई तो लंच के बाद के सत्र का विपक्ष ने बहिष्कार ही कर दिया। विपक्ष का कहना था कि भाजपा ने सरकार बनने के 100 दिन के अंदर-अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति करने के वादे किए थे किंतु बाद में खुद ही इसे प्रवर समिति को सौंप दिया और अब प्रवर समिति से फाइनल हो जाने के बावजूद भी सरकार इसे सदन में नहीं लाना चाहती। इंदिरा हृदयेश ने लोकायुक्त को लेकर सड़क पर उतरने की बात कही।
अपनों के निशाने पर रही सरकार
खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन न अपनी विधानसभा क्षेत्र में हो रही बीमारियों को लेकर सदन से जवाब तलब किया तो पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के कारखानों में युवाओं को 70% आरक्षण दिए जाने के बारे में जवाब तलब कर दिया। वित्त मंत्री प्रकाश ने कहा कि सिडकुल में 70% कर्मचारी उत्तराखंड राज्य के हैं। सिडकुल में 1805 अधिकारियों में से 1295 इकाइयां उत्पादनरत है जिसमें 17914 स्किल्ड लेबर है।
किंतु पुष्कर सिंह धामी सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उत्तराखंड के युवकों को 70% रोजगार सुनिश्चित किए जाने को लेकर सरकार से औद्योगिक इकाइयों के भौतिक सत्यापन की मांग कर डाली।
कांग्रेस अध्यक्ष तथा चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों के विषय में जानकारी मांगी तो प्रकाश पंत ने बताया कि 4 कैटेगरी के तहत पेंशन वितरण और चिन्हीकरण के लिए चार शर्तें रखी गई हैं। 31 दिसंबर 2017 चिन्नी करण की डेडलाइन रखी गई थी और अब तक 11536 आंदोलनकारियों को चिन्हित किया जा चुका है।
भाजपा विधायक चंदन राम दास ने शराब और व्यसन मुक्त उत्तराखंड का संकल्प सदन में रखा लेकिन इसका जब किसी ने समर्थन नहीं किया तो विधायक ने अपना संकल्प वापस ले लिया।
विधायक सुरेंद्र सिंह जीना पीएमजीएसवाई के मानकों में बदलाव की मांग वाला एक प्राइवेट बिल सदन में लेकर आए और उन्होंने कहा कि वर्तमान मानकों के चलते कई गांव सड़क मार्ग से अछूते हैं लिहाजा जनसंख्या संबंधी मानकों में भी राहत दी जाए।
जीना ने सदन को बताया कि राज्य में 1 670 गांव तो अभी भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने आश्वासन दिया कि सरकार इसका परीक्षण करवाएगी और उसके पश्चात प्रस्ताव भी भेजेगी कि कम से कम 250 की आबादी वाले गांवों में भी सड़क पहुंचाई जा सके इस पर जीना ने अपना संकल्प वापस ले लिया।
बहरहाल इस मानसून सत्र में 6 विधेयक पारित हुए और राज्य के इतिहास में पहली बार एक बार भी सत्र स्थगित नहीं हुआ। एक अध्यादेश पास हुआ, एक सरकारी संकल्प और 48 सरकारी संकल्प पास हुए। नियम 105 के कुल 4 प्रस्ताव आए और कुल 117 याचिकाएं सदन में आई।इस बार सत्र कुल 19 घंटे 29 मिनट तक चला। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने सद्भाव पूर्ण सत्र चलाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।