अशासकीय विद्यालयों में अपने भाई की नियुक्ति कराने के लिए स्कूल प्रबंधक पर दबाव बनाने और अनुमोदन के नाम पर पैसे लेते हुए पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत और जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक हरेराम यादव स्टिंग कैमरे में कैद हुए हैं।
“जागो उत्तराखंड” मीडिया द्वारा पर्वतजन को उपलब्ध कराए गए दो वीडियो में पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत अपने भाई की नियुक्ति किए जाने को लेकर अशासकीय विद्यालय के प्रबंधक पर दबाव बनाते हुए कह रहे हैं कि मैं देखता हूं, वरना इंटरव्यू कैसे होता है !
देखिए वीडियो
यूं तो अशासकीय विद्यालयों पर मनमानी नियुक्तियां करने का आरोप लगता रहता है, किंतु इस वीडियो में साफ पता चल रहा है कि किस तरह से भ्रष्ट अधिकारी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार और पैसों के लेनदेन के लिए अशासकीय विद्यालयों पर दबाव बनाते हैं !
गौरतलब है कि जनपद में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों और अध्यापकों की नियुक्ति के लिए पैसे के लेनदेन को लेकर एसआईटी जांच चल चल रही है।
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ऐसे ही एक विद्यालय प्रबंधक ने यह वीडियो तैयार किया है। यह वीडियो वर्ष 2017 के मई माह का बना हुआ है।( हालांकि कैमरे की डेट और सेटिंग में गड़बड़ी होने के कारण वीडियो में रिकॉर्डिंग की तिथि वर्ष 2013 की प्रदर्शित हो रही है।)
अशासकीय विद्यालय के प्रबंधक वर्तमान में भाजपा के पदाधिकारी हैं। इन अधिकारियों ने भाजपा के इन पदाधिकारी को अपने भाई की नियुक्ति के लिए इतना मानसिक रूप से प्रताड़ित किया कि 2 माह पहले विद्यालय में नियुक्ति के साक्षात्कार के दिन उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ गया।
इस वीडियो में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक हरे राम यादव विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री मातंग मलासी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। जाहिर है कि मलासी वर्तमान में शिक्षा विभाग मे फर्जी नियुक्तियों को लेकर आरटीआई के माध्यम विभाग का भ्रष्टाचार उजागर कर रहे हैं।
जागो उत्तराखंड के संपादक आशुतोष नेगी का कहना है कि पौड़ी शिक्षा विभाग में इन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें काफी पहले से आ रही थी लेकिन कोई सबूत ना होने के कारण यह लोग बच जाते थे। “अब इनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।” वहीं जिला शिक्षा अधिकारी हरेराम यादव का कहना है कि स्टिंग ऑपरेशन को बनाने तथा उसे वायरल करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेंगे।
अब इन वीडियो के माध्यम से विभाग के भ्रष्टाचार का सारा पुलिंदा विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री को सौंपे जाने की तैयारी हो रही है।
देखना यह है कि शिक्षा मंत्री और जीरो टोलरेंस की सरकार इस खुलासे के बाद क्या कदम उठाती है!