पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

‘आजीविका’  का नया आधार

October 8, 2016
in पर्वतजन
ShareShareShare

आजीविका परियोजना प्रदेश के भूमिहीन गरीब लोगों के लिए स्वरोजगार का संबल बन रही है। कुक्कुट पालन जैसे व्यवसाय से बढ़ी गरीबों की आय

विनोद कोठियाल

पहाड़ों में वे लोग जिनके पास काश्तकारी की जमीन नहीं है उनके सामने आजीविका का एक बड़ा संकट रहता है।भूमि हीन होने के कारण वे लोग चाहकर भी कुछ कामधंधा नहीं कर सकते है।यह स्थिति पहाड़ हो या मैदान दोनों जगह एक समान रूप से है।ऐसे में आदमी के सामने छोटी मोटी नौकरी करने के अलावा कोई चारा नहीं हे। परन्तु आजीविका मिशन के तहत इस प्रकार के भूमि हीन लोगों के लिये कुक्कट पालन व्यवसाय नयी उम्मीद लेकर आया है।योजना के तहत दो प्रकार के समूह बनाये जाते है। निर्मल उत्पाद समूह और उत्पाद समूह।
सोने का अंडा देती मुर्गियां
निर्मल समूह में विकलांग लोग विधवा अति पिछडे लोग भूमिहीन लोग और समस्त अनुसूचित जाति और जन जाती के लोग आते है।इस समूह को आजीविका मिशन से 3600 एंव 800 अतिरिक्त प्रति परिवार दिया जाता है।
दूसरा समूह उत्पादक समूह है जिसमें बी पी एल परिवार चाहे किसी भी जाति से हो आते है इस समूह को मिशन की ओर से 3600 प्रति परिवार फंड दिया जाता है। इस प्रकार पूरे उत्तराखंड में 762 परिवार मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुडे है। कई समूह के ऊपर एक फेडरेशन बनाया जाता है जो अब तक कुल 19 फेडरेशन है, जिन पर अब तक का खर्चा 41,72,000 है और इन फेडरेशनों का मुनाफा 4,02,000 है। ये संगठन मुर्गी पालन के अलावा भी कार्य करती है विभिन्न क्षेत्रों में इन फेडरेशनों का कुल व्यापार 33 करोड़ है जिसमें से मुनाफ़ा 2 करोड़ 90 लाख है।
कामेश्वर घाटी श्वेत सहकारिता समिति बागेश्वर केवल मुर्गी पालन के व्यवसाय से 9 लाख 60 हजार का व्यापार करती है, जिसमें केवल मुर्गीपालन का ही व्यापार है अन्य नहीं। समिति के माध्यम से बीस से पच्चीस परिवार काम कर रहे है।
बकरी बनी वरदान
आजीविका मिशन के तहत लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए परियोजना में केवल मुर्गीपालन तक ही सीमित न करके इसके साथ ही बकरीपालन भी लोगों से शुरू करवाया है। भूमिहीन लोगों के आय के बढ़ते स्रोत वरदान साबित हो रहे हैं। हवलबाग ब्लॉक के कटारमल में बकरीपालन का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
परियोजना के प्रारंभ होने पर एक साल पहले कटारमल के लोगों के पास कुल २० बकरियां थी और समूह में लोगों द्वारा आज तक ४५० बकरियां हो गई हैं, जबकि लोगों द्वारा बीच-बीच में कुछ बकरियां अपने खर्चे के लिए बेची भी गई हैं। बकरी पालकों को अधिक फायदा देने के लिए इन्हें मनरेगा से भी संबद्ध कर बकरियों के लिए बाड़े बनाए गए हैं। कुल ७० बाड़े बने और प्रत्येक की लागत ५० हजार तक आई। इस प्रकार से लोगों को परियोजना का अधिक से अधिक फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
मुर्गियों के पालने से कुछ लोगों को अच्छा फायदा हो रहा है। चौखुटिया के कुटुड़ा ग्राम पंचायत में विभिन्न समूह के सदस्य भोपाल सिंह काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं। २१ दिन में एक चूजे से एक वयस्क मुर्गी तैयार हो जाती है। जिसका बाजारी मूल्य ३०० रुपए तक होता है। अण्डे भी अतिरिक्त आमदनी का स्रोत हैं। लोग इन मुर्गियों द्वारा दिए जाने वाले अण्डों को बाजार में बेचते हैं, जो सामान्य मुर्गियों के अण्डों से अधिक मूल्य में बिकते हैं। एक अण्डे का बाजारी मूल्य लगभग ८ से ९ रुपए तक होता है।
स्थानीय निवासी और परियोजना समन्वयक यशोद महरा कहते हैं कि लोग अपने खाने के लिए बाजार से अण्डे लाते थे, अब नहीं लाते हैं।
यही नहीं बाजार के मुकाबले अब लोगों को और अधिक पौष्टिक अण्डे खाने को मिल रहे हैं। अतिरिक्त अण्डों को बाजार में बेचकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। अकेले चौखुटिया में ५०० से तीन चक्र चूजों का वितरण किया जा चुका है और लोग इसे करने को आगे आ रहे हैं।
आजीविका परियोजना के तहत मुर्गी व्यवसाय में अच्छी किस्म के चूजों का वितरण किया जा रहा है। इसके लिए परियोजना ने सीधे पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर अच्छी प्रजाति के ब्रायलरों का क्रय किया।
विश्वविद्यालय के अनुसार यह प्रजाति ब्रायलरों से ज्यादा पौष्टिक और विषम ताप में बिना बीमारी के जीवित रहने की क्षमता होती है और बिक्री में ब्रायलरों से ज्यादा कीमत भी मिलती है।
परियोजना के तहत लोग खासकर भूमिहीन, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग अपने मूल कार्य के साथ-साथ इस प्रकार के अतिरिक्त कार्यों को करके अपनी आजीविका बढ़ा रहे हैं, जिसका परिणाम भी काफी उत्साहवर्धक है।

परियोजना के प्रारंभ होने पर एक साल पहले कटारमल के लोगों के पास कुल 20 बकरियां थी और समूह में लोगों द्वारा आज तक 450 बकरियां हो गई हैं, जबकि लोगों द्वारा बीच-बीच में कुछ बकरियां अपने खर्चे के लिए बेची भी गई हैं।


Previous Post

महाराज का मेकअप!

Next Post

एक घंटे का विधायक!

Next Post

एक घंटे का विधायक!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • मनरेगा घोटाले में फंसे 50 ग्राम विकास अधिकारी और रोजगार सेवक। फर्जी मजदूर हुए गायब
  • बड़ी खबर : सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर अधीक्षण अभियंता तिवारी सस्पेंड
  • बड़ी ख़बर: बीआईएस दून ने फ्लिपकार्ट डिलीवरी स्टोर में की छापेमारी। गैर-अनुपालन उत्पाद किए जब्त
  • एक्शन: नाजिर 15 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार। पढ़िए ..
  • CBSE 10th Result 2025: जारी हुआ रिजल्ट, 93.66% छात्र पास, यहां देखें पूरी जानकारी
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!