आज देशभर में केदारनाथ नाम से बनी फिल्म रिलीज हो गई है। इस फिल्म की रिलीज होने से पहले तमाम तरह के लोगों ने सवाल खड़े किए और फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की भी मांग की मामला हाई कोर्ट भी गया, किंतु नैनीताल हाईकोर्ट से लेकर मुंबई हाई कोर्ट ने फिल्म पर बैन लगाने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। न्यायालय द्वारा मिली हरी झंडी के बाद आज फिल्म केदारनाथ रिलीज हो गई। किंतु दुर्भाग्यवश उत्तराखंड की सरकार इस मसले में बैकफुट पर आ गई। उत्तराखंड में बहु प्रचारित इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मंत्री व तमाम अधिकारी देश भर के फिल्म बनाने वाले लोगों निर्माता निर्देशकों के साथ फोटो खिंचवाते दिखाई दिए।
‘इसके बाद बाकायदा सरकार की ओर से फिल्म नीति भी जारी की गई। फिल्म बाहुबली के निर्माता-निर्देशक से लेकर बत्ती गुल मीटर चालू तक के हीरो हीरोइन के साथ उत्तराखंड के मंत्री विधायक और अधिकारी फोटो खिंचवाते रहे। उत्तराखंड तमाम फिल्मों की शूटिंग आ रही है और यहां नैसर्गिक सौंदर्य ऐसा है जो सबको अपनी ओर खींचता है। उत्तराखंड बनने से पहले से भी लोग यहां शूटिंग के लिए आते रहे हैं। इन्वेस्टर सम्मिट के बाद जो दावे सरकार ने की है उससे लग रहा था कि अब इस दिशा में और बेहतर काम होंगे किंतु उत्तराखंड के कई स्थानों पर फिल्माई गई फिल्म केदारनाथ के प्रसारण पर रोक का अधिकार जिला स्तर पर देने वाली सरकार के अधिकारियों ने भी सरकार की देखा देखी फिल्म को प्रदर्शित ना होने के आदेश जारी कर दिए। आज फिल्म उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में रिलीज हो गई है इस फिल्म में क्या दिखाया गया और क्या नहीं इन तमाम विषयों पर सेंसर बोर्ड पहले ही अपनी स्वीकृति दे चुका है। ज्ञात रहे की सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी उत्तराखंड के मूल निवासी हैं और यदि उन्होंने इस फिल्म को रिलीज होने के लिए स्वीकृति दी होगी तो उन्हें यह तमाम विषय भी मालूम होंगे जिन पर कुछ लोग आपत्ति कर रहे थे। उत्तराखंड के दृश्यों के साथ बनी फिल्म का उत्तराखंड में ही रिलीज ना होना दर्शाता है कि सरकार के पास उस इच्छाशक्ति की भारी कमी है जो एक प्रचंड बहुमत की डबल इंजन कही जाने वाली सरकार के पास होना चाहिए था यदि सरकार इसी प्रकार डर कर निर्णय लेती रही आने वाले वक्त में न तो कोई निर्माता इस प्रदेश में फिल्म बनाने आएगा और नहीं उस इन्वेस्टर सम्मिट के दावे धरातल पर उतर पाएंगे जिसके लिए कहा गया 130 लाख करोड़ के निवेशक आ गए हैं। ऐसा नहीं कि यह विरोध सिर्फ उत्तराखंड में हुआ हो फिल्म पद्मावत के दौरान भी इस प्रकार की छुटपुट विरोध हुए थे किंतु बाद में फिल्म बहुत बेहतर चली कुल मिलाकर सरकार का इस प्रकार बैकफुट पर आना न सिर्फ फिल्म निर्माताओं की दृष्टि से दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि उत्तराखंड की फिल्म का उत्तराखंड में फ़िल्म ना लगने से दर्शक मायूस भी हैं