सूबे की राजधानी स्थित राजकीय दून मेडिकल कालेज के छात्र आंदोलन की राह पर
कुलदीप एस. राणा
बड़ी तादाद में मेडिकल स्टूडेंट्स को फेल किया जाना बना आंदोलन का कारण।
सभी स्टूडेंट्स मुख्य परिसर के सन्मुख धरने पर बैठे।
एमबीबीएस द्वितीय सत्र में बड़ी संख्या में फेल किये जाने से भड़के छात्र छात्राएं राजकीय दून मेडिकल कालेज के परिसर ने धरने पर बैठे हुए हैं। एक-एक ,दो-दो नम्बरों से फेल इन छात्रों का आरोप है उन्हें जानबूझ फेल किया गया है। छात्रों के अनुसार पिछले सत्र की भांति इस सत्र में भी छात्र मात्र एनाटॉमी सब्जेक्ट में ही फेल किये हैं। इस सत्र में 52 स्टूडेंट्स की एनाटॉमी सब्जेक्ट में सप्पलीमेंट्री आयी। जिसे सुधारने हेतु आयोजित लिखित परीक्षा मेडिकल विवि ने अपने तत्वाधान में सम्पन्न करवाई। जिसका नतीजा यह हुआ कि दून मेडिकल कालेज के यह सभी 52 स्टूडेंट्स लिखित परीक्षा में पास हो गए। किन्तु प्रैक्टिकल परीक्षा जो कि कॉलेज के एनाटॉमी विभागध्यक्ष के द्वारा सम्पन की गई। जिसके उपरांत 52 स्टूडेंट्स में से 40 स्टूडेंट्स को फेल कर मात्र 12 ही स्टूडेंट पास हुए किया गया।
एनाटॉमी विभाग के इस प्रकार के रवैये के विरुद्ध स्टूडेंट का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। आंदोलनरत स्टूडेंट्स ने बताया कि एनाटॉमी की सप्पलीमेंट्री की लिखित परीक्षा में वह सभी पास हैं लेकिन प्रैक्टिकल में उन्हें जान बूझकर फेल किया गया हैं। ऐसा नही है कि एनाटॉमी सब्जेक्ट में इतनी बड़ी संख्या में पहली बार स्टूडेंट्स फेल हुए हों। पिछले सत्र में भी एनाटॉमी की परीक्षा में भी एनाटॉमी विभाग ने लगभग 56 स्टूडेंट्स की सप्पलीमेंट्री लगा दी गयी थी, जिनमे सप्पलीमेंट्री परीक्षा के उपरांत लगभग 48 स्टूडेंट्स तो पास हो गए शेष स्टूडेंट्स के विरुद्ध डिटेंशन की कार्यवाही कर दी गयी। जिनमे से डिटेंशन की कार्यवाही पीड़ित एक स्टूडेंट्स को कोर्ट का रुख भी करना पड़ा था।
लिखित परीक्षा में पास स्टूडेंट्स का प्रैक्टिकल परीक्षा में इतनी बड़ी तादाद में फेल हो जाना स्टूडेंट्स के साथ साथ कालेज प्रबंधन के भी गले नही उतर रहा है। अन्य सब्जेक्ट में पास हो जाना एवम मात्र एनाटॉमी सब्जेक्ट में इतनी बड़ी तादाद में स्टूडेंट्सबक फेंल होने एनाटॉमी विभागाध्यक्ष प्रो अग्रवाल के रवैये पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
वहीं आंदोलनरत स्टूडेंट्स की मांग है कि कालेज प्रबंधन उनकी प्रैक्टिकल परीक्षा का पुनर्मूल्यांकन करें। ताकि वह बार-बार की परीक्षाओं के झमेले से बच आगे की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रीत कर सकें।
सूबे की राजधानी में स्थित राजकीय मेडिकल कालेज स्टूडेंट्स व प्रबंधन के बीच इस प्रकार टकराव की घटना जा घटित होने राज्य की चिकित्साशिक्षा के दयनीय स्थिति को भी दर्शा रहा है। इस प्रकार की परिस्थितियों में राज्यवासी कैसे इन मेडिकल कालेजों से बेहतरीन डॉक्टर के बनने की उम्मीद कर सकते हैं जहां स्टूडेंट्स को अपने हकों के लिए आधी आधी रात को आंदोलन करना पड़ रहा हो।