यूं तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत दिन-रात डबल इंजन की सरकार होने का राग अलापते दिखाई देते हैं, किंतु डबल इंजन की यह सरकार उत्तराखंड के लोगों पर किस प्रकार भारी पड़ रही है, इसका ताजा उदाहरण देहरादून में देखा जा सकता है।
मोहकमपुर रेलवे ओवर ब्रिज का उद्घाटन करते वक्त मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अपनी पीठ थपथपाते हुए भाषण दिया था कि उन्होंने तय समय से पहले और लागत से कम में रेलवे ओवर ब्रिज बनाकर इतिहास रच दिया है। उसी उद्घाटन कार्यक्रम के दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ऐलान किया कि उनकी सरकार बहुत जल्दी जोगीवाला चौक में फ्लाईओवर बनाने जा रही है, जिसके लिए न तो धन की कमी आड़े आएगी और न ही गुणवत्ता की।
मुख्यमंत्री की जोगीवाला फ्लाईओवर की घोषणा तमाम इलेक्ट्रॉनिक चैनलों व अखबारों में सुर्खियां बनी रही, किंतु कुछ दिन बाद ही मुख्यमंत्री की यह घोषणा हवाई साबित हो गई। राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों को आगे रखकर सरकार अब तर्क दे रही है कि जोगीवाला में फ्लाईओवर की कोई आवश्यकता नहीं है, उस पर बहुत धनराशि खर्च हो रही है। फ्लाईओवर बनने के बावजूद विभिन्न स्थानों पर जाम से निजात नहीं मिल पा रही है, इसलिए अब त्रिवेंद्र रावत सरकार जोगीवाला में फ्लाईओवर के स्थान पर गोलचक्कर बना रही है।
सरकार का नया तर्क बड़ा ही हास्यास्पद है कि गोलचक्कर में फ्लाईओवर के वनस्पत आधा खर्चा आएगा। मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर जब तहकीकात की गई तो बहुत ही आश्चर्यजनक बातें सामने आई कि आखिरकार मुख्यमंत्री की घोषणा इतनी जल्दी पलट कैसे गई।
दरअसल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जोश में जोगीवाला चौक में जिस फ्लाईओवर की घोषणा कर आए, उस फ्लाईओवर की जड़ में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार में मंत्री महेश शर्मा का वह कैलाश अस्पताल है, जहां फ्लाईओवर बनने से कैलाश अस्पताल का धंधा चौपट होने की नौबत आ जाती। महेश शर्मा का यह खुद का व्यवसाय आज इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि मुख्यमंत्री को अपनी घोषणा ही पलटनी पड़ गई।
गौरतलब है कि देहरादून के विभिन्न स्थानों में जहां-जहां फ्लाईओवर व रेलवे ओवर ब्रिज बने हैं या निर्माणाधीन हैं, वहां महेश शर्मा या भाजपा के किसी आलाकमान का संस्थान नहीं रहा, वरना मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत वहां भी गोल चक्कर बनवाकर हाईकमान के प्रति अपनी वफादारी साबित कर देते।