भूपेंद्र कुमार
देहरादून में पुलिस के संरक्षण में शराब की दुकानों पर जमकर ओवर रेटिंग की जा रही है। पुलिस का शराब के व्यापारियों को खुला संरक्षण प्राप्त है और आबकारी विभाग तथा पुलिस विभाग दोनों इसमें मौन साझीदार हैं।
उपरोक्त तथ्य की तस्दीक करने के लिए इस संवाददाता ने देहरादून में शराब की अलग-अलग दुकानों से बाकायदा एटीएम कार्ड से शराब की खरीदारी की और हर बार शराब के लिए दुकानदारों द्वारा ज्यादा वसूली की गई।
इसका प्रमाण डेबिट कार्ड को स्वाइप करने के बाद दुकानों से प्राप्त हुई रसीद भी है।
शराब की ओवर रेटिंग की शिकायत पर जब नजदीकी थाने में तहरीर दी गई तो थानेदारों ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया और मामले में इस संवाददाता को भी टहलाते रह गए।
देहरादून में शराब की दुकानों से एक से अधिक बार शराब लेने पर भी ओवर रेट पर ही शराब दी गई। इसका अर्थ सीधा सा है कि शराब के दुकानदार ओवर रेटिंग करने के आदी हैं।
गौरतलब है कि इससे पूर्व इस संवाददाता ने बाकायदा एक अपील मानवाधिकार आयोग में की थी। मानवाधिकार आयोग से भी शराब की ओवर रेटिंग रोके जाने के लिए आदेश जारी करवाए करवाए थे।
आयोग ने आबकारी कमिश्नर को ओवर रेटिंग पर कार्यवाही करने के लिए कहा था, लेकिन आबकारी महकमे ने मानवाधिकार आयोग के नोटिस को भी फाइलों में दबा दिया।
गौरतलब है कि आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने ओवर रेटिंग की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए थे किंतु आज तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने 2 जनवरी को एक आदेश जारी करके कहा था कि पुलिस विभाग मुकदमा दर्ज करने से मना नहीं कर सकता और पहले तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा, उसके बाद जांच शुरू की जाएगी। किंतु शराब की ओवर रेटिंग को लेकर पुलिस महकमा एक मुकदमा तक दर्ज करने को तैयार नहीं।
उदाहरण के तौर पर देहरादून के आराघर ठेके पर ओवर रेटिंग की शिकायत को लेकर दो बार ओवर रेटिंग की तहरीर नजदीकी चौकी आराघर एवं डालनवाला थाने में दी गई है लेकिन दोनों बार मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। आराघर स्थित ठेके के खिलाफ पहली बार 30 जुलाई 2018 को ओवर रेटिंग की शिकायत की गई थी तथा दूसरी शिकायत 5 जनवरी 2019 को की गई थी।
चकराता रोड की बिंदाल पुल स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान मे भी ओवर रेटिंग को लेकर एक तहरीर लाइसेंसी सचिन करण कर्ण वाल के खिलाफ थाना कोतवाली बाजार में दी गई थी लेकिन 13 अक्टूबर 2018 को दी गई इस तहरीर पर आज तक की कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
रायपुर रोड पर स्थित ठेके से भी जब शराब खरीदी गई तो 1405 रुपये के प्रिंट रेट पर बिक रही वैट69 नाम की बोतल 1700 में बेची जा रही थी। रायपुर रोड स्थित यह दुकान शाकुंभरी जुयाल के नाम पर है। अब आप समझ सकते हैं कि जब एक बोतल पर ₹300 अधिक लिए जा रहे हैं तो यह किस तरह खुलेआम लूट को संरक्षण है !
पुलिस के पास कार्यवाही करने का पर्याप्त आधार है। क्योंकि भुगतान एटीएम कार्ड के द्वारा हुआ है और यह पैसा खरीददार के अकाउंट से विक्रेता के अकाउंट मे गया है। एटीएम कार्ड की स्लिप पर पूरा मामला शीशे की तरह साफ है, लेकिन पुलिस तथा आबकारी विभाग को कोई कार्यवाही नहीं करनी है तो वह नहीं कर रही है।
एक ओर पुलिस महानिदेशक के आदेश हवा में उड़ा दिए गए हैं तो दूसरी ओर आबकारी मंत्री की बात भी जुमला साबित हो रही है तो फिर क्या यही समझा जाए कि शराब विक्रेताओं को सरकार का संरक्षण है !!