कुलदीप एस राणा
उत्तराखंड राजभवन ने मुख्यसचिव को सचिवालय में अपर सचिव के पद पर नियुक्त अरुणेंद्र चौहान को उत्तर प्रदेश हेतु कार्यमुक्त करने की शिकायत पर कार्यवाही के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि अरुणेंद्र चौहान वर्ष 2007-08 मे पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के सचिव प्रभात सारंगी के सबसे खासम खास अफसरों में शामिल थे। इन्हें उस दौरान आईएएस बनाए जाने की भी पूरी तैयारियां थी लेकिन केंद्रीय लोकसेवा आयोग की टीम ने उनका चयन निरस्त कर दिया था।
बहरहाल अरुणेंद्र चौहान के खिलाफ राजभवन ने यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता सीमा भट्ट की शिकायत का संज्ञान लेते हुए दिए गए हैं।
अपनी शिकायत में सीमा भट्ट द्वारा राजभवन को दिए साक्ष्यों में बताया था कि अरुणेंद्र चौहान उत्तर प्रदेश राज्य वित्त सेवा के अधिकारी हैं और उन्होंने वास्तविक तथ्यों को छिपाकर उत्तराखंड सचिवालय में नियुक्ति एवं पदोन्नति प्राप्त की है। साक्ष्यों के अनुसार अरुणेंद्र सिंह चौहान का नाम उत्तराखंड वित्त एवं लेखा संवर्ग ज्येष्ठता सूची 2014 में क्रमांक 19 पर है वहीं ज्येष्ठता सूची उत्तर प्रदेश 2012 में क्रमांक 411 पर है , जो उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के नियमों के विरुद्ध है।
दो राज्यों की वरिष्ठता सूची मे अरुणेंद्र सिंह चौहान का नाम अंकित होना ही उत्तराखंड सचिवालय में उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करता है।
राजभवन ने भी जांच परीक्षण के उपरांत पाया है कि अरुणेंद्र सिंह चौहान के क्रम में 16 जुलाई 2008 को उत्तराखंड शासन के वित्त अनुभाग 6 के स्तर से जारी आदेश उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की प्रावधान के विपरीत एवं विधि विरुद्ध है।
अरुणेंद्र चौहान का इस मामले में कहना है कि शिकायतकर्ता शिकायत करने की योग्यता नहीं रखती है क्योंकि वह कोई पीड़ित पक्ष नहीं है और सर्विस मैटर में पीड़ित पक्ष के अलावा कोई और शिकायत नहीं कर सकता। श्री चौहान यह भी जोड़ते हैं कि शिकायतकर्ता महिला के पति को आदतन शिकायत करने की लत है और उसने तो मुख्य सचिव के खिलाफ भी शिकायत की है तो ऐसे में कोई क्या कर सकता है !
राजभवन को उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों में सीमा भट्ट ने बताया है कि पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अरुणेंद्र सिंह चौहान व अन्य अधिकारियों द्वारा निदेशालय कोषागार में किए गए करोड़ों रुपयों के घोटाले एवं फर्जी भर्तियों से सम्बंधित प्रकरण पर जारी जांच आदेश पर वर्तमान तक कोई कार्रवाई ही नहीं हुई है।
साथ ही अरुण सिंह चौहान के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति आदेश 16 अगस्त 2000 का अनुपालन नही किया गया है। वर्ष 2008 से वर्तमान तिथि तक बिना शासनादेशों का पालन करते हुए उत्तराखंड राज्य के खजाने से नियमों के विपरीत वेतन आहरित कर उच्च पदों पर पदोन्नति प्राप्त करना एवं अपने वास्तविक तथ्यों को छिपाकर उत्तराखंड राज्य को गुमराह करने का उल्लेख भी किया गया था।
सीमा भट्ट की उक्त शिकायत के क्रम में गवर्नर उत्तराखंड के सचिव रमेश कुमार सुधांशु द्वारा 11 जनवरी 2019 को मुख्यसचिव को जारी आदेश में अरुणेंद्र सिंह चौहान के उत्तराखंड राज्य से उत्तर प्रदेश राज्य में कार्य मुक्त करने के जाने संबंधी कार्यवाही करने के आदेश दे दिए हैं।
अब यह देखना काबिले गौर है कि भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करने वाले प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र रावत अरुणेंद्र सिंह चौहान के उक्त प्रकरण पर क्या कार्यवाही अंजाम देते हैं !