एक ही योजना को कई विभागों ने अपना कार्य दर्शाकर किया गबन। कार्यवाही के दायरे में कई अफसर
विनोद कोठियाल
वैसे तो सभी विभागों के अपने-अपने कार्य बंटे हुए हैं कि कौन सा विभाग क्या करेगा, परंतु बहुत से विभागोंं द्वारा एक ही प्रकार का कार्य किया जाता है, उसमें सबसे अधिक गड़बड़ी की संभावनाएं रहती हैं। पहाड़ों में सरकारी कार्यों की ठीक से निगरानी न होने से एक ही योजना को कई विभाग अपना-अपना कार्य दर्शाकर बजट हड़प लेते हैं और किसी को कानोंकान खबर भी नहीं होती। ग्रामसभाओं में पुस्ता हो या खड़ंजा आदि निर्माण कार्य ब्लॉक से होते हैं और उसी कार्य के लिए विधायक निधि और जिला पंचायत से भी निर्माण कार्य हेतु बजट निर्गत किए जाते हैं। इस प्रकार के कार्यों को रोकने के लिए प्रदेश में अभी तक कोई उपाय नहीं किए गए हैं।
वर्ष २००९ से २०१३ तक कालसी के अंतर्गत ग्रामसभा जैंदऊ में जलागम परियोजना का कार्य चल रहा था। जिसके अंतर्गत सिंचाई पाइप लाइन, भूमि संरक्षण, ग्रामीण सड़क सुधार, वाटर हार्वेस्टिंग टैंक तथा पेयजल योजना आदि कार्यों को योजना द्वारा संपन्न होना था। ग्राम प्रधान की मिलीभगत से उन्हीं योजनाओं को नरेगा से भी कार्य पूरा किया गया और जलागम के अधिकारियों ने प्रधान के साथ मिलकर बजट को ठिकाने लगाया। जब ग्रामीणों ने इस संबंध में शिकायत की तो तत्कालीन जिला पंचायतराज अधिकारी एमएम खान द्वारा मौके पर जाकर जांच की गई और शिकायतकर्ता की शिकायत सही पाई गई। ग्राम प्रधान द्वारा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर इसका विरोध किया गया और जांच कमेटी बनाने की मांग की। जलागम के तीन अधिकारियों सहित चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। घोटालाकर्ता जलागम अधिकारियों का विश्वास था कि विभागीय अधिकारी होने के नाते उन्हें सपोर्ट करेंगे और किसी प्रकार की सेटिंग-गेटिंग कर अपनी गर्दन बचा लेंगे, परंतु ऐसा संभव नहीं हो पाया और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आरोप सही पाए गए और अलग-अलग योजनाओं में अलग-अलग धनराशि का गड़बड़झाला पाया गया। कमेटी द्वारा इस धनराशि की वसूली की भी सिफारिश की गई। कमेटी के अनुसार सिंचाई योजना में ११ लाख २३ हजार ८९० रुपए, वाटर हार्वेस्टिंग में ४ लाख ४६ हजार ६९४ रु., सड़क सुधार में १ लाख १८ हजार ७९१ रु., भूमि संरक्षण में ५ लाख ४६ हजार ७३३ रु., जो कि सभी योजनाओं में कुल २२ लाख ३६ हजार १०८ रु. का गबन पाया गया। इस धनराशि का आधा हिस्सा ग्राम प्रधान व संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
इस प्रकार का मामला केवल ग्राम पंचायत जैंदऊ का ही नहीं है। यदि पूरी परियोजना की जांच की जाए तो इस प्रकार के सैकड़ों मामले संज्ञान में आ जाएंगे। परियोजना में वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे अधिकारियों की जब स्थानांतरण की बात होती है तो उनके हाथ-पैर फूलने लगते हैं और अपने आकाओं के चक्कर काटते हैं। अगर कोई फायदा नहीं है तो कुर्सी का इतना मोह क्यों?
जलागम पर घोटालों के आरोप यहीं तक नहीं रुकते। कुछ लोगों का प्रोजेक्ट देने और प्रचार-प्रसार की सामग्री के प्रिटिंग आदि में भी धांधली का आरोप लगाते हैं।
पहाड़ों में सरकारी कार्यों की ठीक से निगरानी न होने से एक ही योजना को कई विभाग अपना-अपना कार्य दर्शाकर बजट हड़प लेते हैं और किसी को कानोंकान खबर भी नहीं होती।