सपा के स्वर्गीय नेता विनोद बड़थ्वाल की पत्नी को सपा में जिम्मेदारी मिलने से राज्य में सपाइयों में जगी उम्मीद
चंद्रवीर गायत्री
आभा बड़थ्वाल कहती हैं कि वह स्व. विनोद बड़थ्वाल की तरह समाजवादी परिवार में रहकर समाजसेवा करती रहेंगी और समाजवादी रहेंगी। वह कहती हैं कि उत्तराखंड राज्य का गठन जिन मुद्दों को लेकर हुआ था, वह मुद्दे आज राज्य से भटक गए हैं। बेरोजगार सड़कों पर आकर ठोकरें खा रहे हैं और रोजगार में सरकार के बजाय ठेकेदारी सिस्टम से सरकारी तंत्र को चलाया जा रहा है।
पलायन: पलायन के सवाल पर श्रीमती बड़थ्वाल कहती हैं कि पलायन रोकने में राज्य गठन के बाद दोनों दलों की सरकार ने कोई ठोस पॉलिसी नहीं बनाई। उद्योगों में ७० प्रतिशत रोजगार देने के बजाय प्राइवेट एजेंसियों को काम दिया गया। जिससे राज्य के बेरोजगार युवा बाहरी प्रदेशों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए।
शिक्षा: शिक्षा के मुद्दे पर आभा बड़थ्वाल कहती हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में राज्य में स्कूल तो खोले गए, किंतु रोजगारपरक पाठ्यक्रम स्कूली पाठ्यक्रम में व्यवस्थित नहीं किए गए। जिससे इंटर की शिक्षा ग्रहण करने के बाद बच्चा भटक जाता है। शिक्षकों को एक निश्चित समय सारिणी के अनुसार प्रत्येक विद्यालय में सेवा का मौका मिले, जिससे विद्यालय में शिक्षक बच्चों को सुधारने का कार्य करें।
पर्यटन: पर्यटन के मुद्दे पर श्रीमती बड़थ्वाल कहती हैं कि पर्यटन स्थलों को विकसित नहीं किया जाता, न ही उन पर कोई खास ध्यान ही दिया जाता है। चारधाम इस देवभूमि की पहचान है, किंतु उन स्थलों पर व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति है। यात्री वहां पर पहुंचकर ठगा सा महसूस करते हैं। सिस्टम से अगर गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊं मंडल विकास निगम को पर्यटक स्थलों पर जिम्मेदारी देकर व्यवस्था को सुधारने का काम करना चाहिए।
परिसंपत्तियां: परिसंपत्तियों के मामले में आभा बड़थ्वाल कहती हैं कि उत्तराखंड राज्य की सरकारों ने परिसंपत्तियों के बंटवारे पर कोई भी कार्य नहीं किया और न ही कोई ठोस पहल ही की। १६ साल में आज भी कई परिसंपत्तियों को लापरवाही में विवादित बनाया गया है। जो मामले आपसी बातचीत से ही सुलझाए जा सकते थे, उन मुद्दों को कोर्ट में लंबित किया जा रहा है। वह कहती हैं कि मुझे दायित्व दिए गए ६ माह का समय हो गया है, किंतु कई बार पत्राचार करने के बाद भी सरकार ने कोई पहल नहीं की।
राजनीतिक: राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत में आभा बड़थ्वाल बताती हैं कि डोईवाला विधानसभा स्व. विनोद बड़थ्वाल की कर्मभूमि रही है। पार्टी हाईकमान यदि मुझे डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे का आदेश देता तो मैं डोईवाला की जनता की सेवा करने के लिए तैयार हूं।
जनता को अब दलबदलुओं पर विश्वास नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति जीवनभर एक ही दल में रहकर केवल जनता की पैरोकारी व समाज सेवा में लगा रहा, जनता को उन पर विश्वास करना चाहिए, न कि सदन के भीतर अविश्वासी लोगों व स्वार्थी लोगों को भेजे। इससे जनता के साथ केवल छलावा होता है। उत्तराखंड राज्य में विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि जनता के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थों में लगा रहता है, जिससे क्षेत्रों के विकास अवरुद्ध हो जाते हैं।
डोईवाला विधानसभा स्व. विनोद बड़थ्वाल की कर्मभूमि रही है। पार्टी हाईकमान यदि मुझे डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे का आदेश देता है तो मैं डोईवाला की जनता की सेवा करने के लिए तैयार हूं।